गजलें (अ) दोस्ती (आ) मौजूद is a collection of two ghazals written by the renowned Hindi poet Rahat Indori. The first ghazal is about friendship and the second ghazal is about being present in the moment.
गजलें (अ) दोस्ती (आ) मौजूद Summary in Hindi
गजलें (अ) दोस्ती (आ) मौजूद कवि परिचय :
राहत इंदौरी जी का जन्म इंदौर में 1 जनवरी 1950 में कपड़ा मिल के कर्मचारी रफ्तुल्लाह कुरैशी और मकबुल उन निशा बेगम के यहाँ हुआ। उनकी प्राथमिक शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर में हुई। उन्होंने इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से 1973 में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 1975 में बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल से उर्दू साहित्य में एम.ए. किया।
तत्पश्चात 1985 में मध्य प्रदेश के भौज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। आप एक भारतीय उर्दू शायर और हिंदी फिल्मों के गीतकार हैं। आप देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में उर्दू साहित्य के प्राध्यापक भी रह चुके हैं।
आप उन चंद शायरों में से एक हैं जिनकी गजलों ने मुशायरों (poet conference) को साहित्यिक स्तर और सम्मान प्रदान किया है। आपकी गजलों में आधुनिक प्रतीक और बिंब (image) विद्यमान हैं, जो जीवन की वास्तविकता दर्शाते हैं।
गजलें (अ) दोस्ती (आ) मौजूद प्रमुख कृतियाँ :
धूप-धूप, नाराज, चाँद पागल है, रुत, मौजूद, धूप बहुत है, दो कदम और सही (गजल संग्रह) आदि। काव्य परिचय : पहली गजल में दोस्ती का अर्थ और उसके महत्त्व को गजलकार ने स्पष्ट किया है। दूसरी गजल में गजलकार ने वर्तमान स्थिति का चित्रण किया है।
प्रस्तुत गजलें नया हौसला निर्माण करने वाली, उत्साह दिलाने वाली, सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता को जगाने वाली है, जिसमें जिंदगी के अलग-अलग रंगों का खूबसूरत इजहार (express) है।
गजलें (अ) दोस्ती (आ) मौजूद सारांश :
(अ) दोस्ती : दोस्ती का मतलब समझाते हुए कवि कहते हैं कि अगर सच्चे दिल से तुम मुझे दोस्त समझते हो तो मेरे विचारों को भी मान लीजिए। विश्वास रखना मैं हरदम तुम्हारी भलाई के बारे में ही सोचूंगा। मेरे सभी विचार तुम्हारे विचारों के साथ मेल खाएँगे। मेरा कोई विचार तुम्हें पसंद नहीं आया तो तुम शिकायत (नाराजगी व्यक्त) कर सकते हो, शायद मेरे विचार तुम्हें बुरे भी लग सकते हैं, लेकिन मेरे कुछ विचार तुम्हें मानने भी पड़ेंगे।
कवि कहते हैं कि मनुष्य के हृदय (दिल) को हमें सबसे बड़ा शत्रु मान लेना चाहिए। हमें पत्थर को भी खुदा (ईश्वर) मानना चाहिए।
कवि यह कहना चाहते हैं कि दुनिया ने मुझपर यह ठप्पा लगा दिया है कि मैं हमेशा झूठ ही बोलता हूँ। यह मुझे स्वीकार है कि ज्यादातर मैं झूठ बोलता हूँ लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं हमेशा झूठ ही बोलता हूँ। कभी-कभार मैं सच भी बोलता हूँ। इसलिए मेरी आप से बिनती है कि कभी-कभी तो मेरी बातों पर विश्वास रखना, अन्यथा पता नहीं उसमें तुम्हारा ही नुकसान होगा।
कवि कहते हैं कि युगों के अनुसार देवताओं के भिन्न अवतार माने जाते हैं लेकिन साधुओं, फकिरों की भी लंबी परंपरा हमारे समाज में पाई जाती है। वही वैराग्य धारण कर समाज की सेवा करने का व्रत लेते हैं। कई सालों से हम फकिरों के इस व्रत का अनुसरण करते चले आ रहे हैं।
कवि कहते हैं कि कागजों के बीच खामोशियाँ होती हैं, उन्हें हमें पढ़ना आना चाहिए। तब एक-एक शब्द भी अपना कहा कुछ कहता है। उन शब्दों के स्वर हमें सुनाई देने चाहिए। हमे संवेदनशील होना चाहिए।
कवि कहते हैं कि किसी को परखने में, किसी की परीक्षा लेने में कोई बुराई नहीं है। हमें अपने कर्तव्यों को, उत्तरदायित्वों को पूर्ण करना चाहिए और मुझे भी तुम परखो और मुझे भला मानकर मेरी कुछ बातें भी माननी पड़ेंगी। आपको मेरी बातें आज शायद कटु, बुरी लगे, लेकिन उसमें आपकी भलाई ही छिपी होगी।
कवि कहते हैं कि आए हुए संकट को पार लगाना ही जिंदगी है। जो संकट, दुःख जीवन में मिले हैं उससे बाहर निकलने का. रास्ता तो हमें अवश्य ढूँढ़ना होगा। लेकिन उसके साथ-साथ दुःख ने हमें पनाह दी इसलिए उसके आभार भी प्रकट करने चाहिए क्योंकि दुःख के छत ने ही हमें सुख का अहसास करा दिया। जिंदगी में अगर हमेशा ही सुख मिलता रहे तो जीवन रुचिहीन होगा। दुःख ही वह बात है जो हमें सूख का मूल्य (महत्व) समझा देती है।
(आ) मौजूद : कवि कहते हैं कि इस शहर में अक्सर तूफान आते रहते हैं। आने वाला तूफान शहर को नेस्तनाबूद (destroyed) करने पर तुला रहता है। तूफान के कारण शहर का नक्शा बदल जाता है। हर तरफ नुकसान का मंजर छाया रहता है, कई जाने चली जाती है। इस हालत की आदत-सी हो गई है।
जब-तक जिंदा है तब तक चिंतामुक्त, तनावरहित जीवन जिएँगे। देखते हैं कल के तूफान में किसका नंबर आता है, किसके दिन भर गए हैं। तब तक तो खुशी-खुशी से जिएँगे। – कवि कहते हैं कि आज सच्चे मित्रों का मिलना बड़ा कठिन हुआ है। जिसे हम दोस्त मानते हैं, वही हमारा सबसे बड़ा दुश्मन हो सकता है। हमे हमेशा सतर्क और चौकन्ना रहना पड़ेगा। भले ही उनके दाँत जहरीले होंगे लेकिन हमें भी उस जहर का इलाज करना आना चाहिए।
कवि कहते हैं कि सूखे हुए बादल (हमारी भ्रष्ट व्यवस्था) हमारे भाग्य (होठों) पर कुछ प्रभाव जरूर छोड़ जाते हैं। इस के कारण गुस्सा आँखों में सैलाब (बाढ़) सा नजर आता है, वह सारी व्यवस्था को नष्ट कर नया भविष्य दे सकता है।
कवि कहते हैं कि कोई व्यक्ति जब अपने विचार बयान करता है, तब उसकी योग्यता, कौशल का पता चलता है। उस व्यक्ति के हृदय में क्या चल रहा है वह सब होठों पर आ जाता है। शब्दों के बिना हमारा चातुर्य बेकार है।
कवि कहते हैं कि मनुष्य को हमेशा सावधान, सतर्क रहना चाहिए। इस बस्ती में एक कातिल (killer) कागज (झूठा, दोगला) का पोशाक पहनकर (स्वार्थ) हत्याएँ करने आता है। मनुष्य जैसा दिखता है, वैसा नहीं होता। वह किसी को भी धोखा देकर अपना स्वार्थ पूरा करता है।
कवि कहते हैं कुछ व्यक्ति हमेशा अपने कर्मों की दुर्गंध (बुराई) अपने मस्तिष्क में भरते रहते हैं। दूसरों के लिए वे गड्ढा खोदते हैं लेकिन खुद उस गड्ढे में जाकर गिरते हैं। जब हम अपने कपड़ों पर इत्र लगाते हैं, तो उसकी सुगंध दूसरों को आने से पहले स्वयं को आती है। दूसरों का बुरा सोचने पर खुदका बुरा होता है।
कवि कहते हैं कि दया, कृपा, इंसानियत के दो बड़े पहलू हैं। लेकिन यह तभी मुमकिन है जब हम ईश्वरी सत्ता देख पाते हैं। दूरसों के प्रति दया, परसुख हम तभी देख पाएँगे जब हमारी आँखों में ईश्वरी दृष्टि होगी।
कवि कहते हैं अनुभवि व्यक्ति या दूसरों की मदद करने वाला व्यक्ति थकने पर, उसकी शक्ति क्षीण हो जाने पर वह कुछ नहीं कर सकता किंतु उसके अनुभवों (दयालु वृत्ति) से जो ज्ञान प्राप्त होता है उसे प्राप्त करने के लिए उसके पास हमेशा भीड़ लगी रहती है।
कवि कहते हैं कि जो आँखें ख्वाब (सपने) देखती हैं, वह सपने अगर प्रत्यक्ष में उतरते हैं तो उन आँखों की नींद गायब हो जाती है। अर्थात वह बहुत सुखी और सफल बन जाता है। अपने सपनों को प्राप्त करने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी चाहिए।
Conclusion
गजलें (अ) दोस्ती (आ) मौजूद is a beautiful collection of ghazals that remind us of the important things in life. Indori’s words are both moving and insightful, and they offer us a unique perspective on friendship and being present in the moment.