मास्टर ब्लास्टर : सचिन तेंदुलकर Summary In Hindi

“मास्टर ब्लास्टर: सचिन तेंदुलकर” एक आत्मकथा है जिसमें भारतीय क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर के जीवन और क्रिकेट करियर की रोचक कहानी है। यह किताब उनके बचपन से लेकर उनकी ब्लॉकबस्टर क्रिकेट करियर के विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास करती है और उनके महत्वपूर्ण संघर्षों और सफलता की कहानी को साझा करती है। यह किताब एक प्रेरणास्पद जीवन के उदाहरण के रूप में काम करती है और उन्होंने क्रिकेट के मैदान में अपनी अद्वितीय प्रतिबद्धता और उत्कृष्टता के साथ कैसे रचा। Read More Class 7 Hindi Summaries.

मास्टर ब्लास्टर : सचिन तेंदुलकर Summary In Hindi

मास्टर ब्लास्टर : सचिन तेंदुलकर पाठ का सार

‘होनहार बिरवान के होत चीकने पात’ उक्ति को पूरी तरह सिद्ध करने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर अढ़ाई वर्ष की आयु में ही मुगरी का बल्ला बना कर प्लास्टिक की गेंद से अपनी नानी और बड़े भाई अजित के साथ खेलते थे। उनकी नानी लक्ष्मी बाई गिजे ने इन्हें इन के तीसरे जन्मदिन पर गेंद-बल्ला उपहार में दिया तो रोज़ क्रिकेट खेलना उनका नियम ही बन गया था। इनका पूरा नाम सचिन रमेश तेंदुलकर, माता का नाम रजनी तेंदुलकर तथा पिता का नाम रमेश तेंदुलकर है। इनका जन्म 24 अप्रैल, सन् 1973 ई० को राजापुर, मुंबई में हुआ था। इनके माता-पिता नौकरी करते थे, इसलिए ग्यारह वर्ष तक इनका तथा इनके भाई अजीत, नितिन तथा बहन सविता का पालन-पोषण इनकी नानी ने किया था। सन् 1995 ई० में इनका विवाह अंजली से हुआ। इनकी पुत्री सारा तथा पुत्र अर्जुन है। सचिन अपनी नानी को अपना क्रिकेट और जीवन गुरु मानते हैं।

शारदाश्रम विद्या मंदिर में पढ़ते हुए इन्होंने क्रिकेट खेलना प्रारंभ किया। कोच रमाकांत अचरेकर इन्हें घण्टों अभ्यास कराते थे और स्टम्प्स पर सिक्का रखकर गेंदबाजों को कहते थे, जो सचिन को आऊट करेगा, सिक्का उसे मिलेगा तथा आऊट नहीं होने पर सिक्का सचिन का होगा। सचिन के पास ऐसे जमा किए हुए तेरह सिक्के हैं। सचिन ने पहला प्रथम श्रेणी मैच सन् 1988 ई० में चौदह वर्ष की आयु में मुंबई के लिए विनोद काम्बली के साथ मिलकर खेला और दोनों ने मिलकर 664 दौड़ों की अविजित पारी खेली, जिसे देखकर विरोधी टीम ने आगे खेलने से मना कर दिया था।

सचिन ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट सन् 1989 ई० में पाकिस्तान के विरुद्ध कराची में खेला था। अब तक वे अपने नाम अनेक रिकार्ड कर चुके हैं। वे बाएँ हाथ से लिखते और दाएँ हाथ से खेलते हैं। वे ऑफ स्पिन, लेग स्पिन, गुगली गेंदबाजी भी करते हैं। वे भारतीय सैनिकों को अपना आदर्श मान कर संघर्ष करना सीखे हैं। वे बहुत विनम्र, धैर्यवान, संयमी एवं विवेकी हैं। वे अपनालय के बच्चों का पालन-पोषण करते हैं तथा एक रेस्टोरेंट के मालिक भी हैं। उन्होंने 2 अप्रैल, सन् 2011 ई० को विश्वकप-2011 जिताया। इन्हें सन् 1994 में अर्जुन पुरस्कार, राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार, सन् 1999 में पद्मश्री और सन् 2008 में पद्म विभूषण सम्मान दिया गया था।

Conclusion:

“मास्टर ब्लास्टर: सचिन तेंदुलकर” का संग्रहण दिखाता है कि सफलता के लिए मेहनत, समर्पण, और पूरी ईमानदारी के साथ काम करना कितना महत्वपूर्ण है। यह एक निरंतर प्रेरणा स्रोत है जो हर क्षेत्र में सफलता पाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।

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