शून्य…., नहीं अनन्त Summary In Hindi

“शून्य… नहीं अनन्त” एक हिंदी कविता है जो महकवि राही मासूम रज़ा द्वारा लिखी गई है। इस कविता में कवि ने अंतरात्मा की गहराइयों में चुपी अनंतता की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रकट किया है। यह कविता आध्यात्मिकता और आनंद की खोज में एक अनूठी यात्रा का वर्णन करती है। Read More Class 6 Hindi Summaries.

शून्य…., नहीं अनन्त Summary In Hindi

शून्य…. नहीं अनन्त पाठ का सार

पाठ शून्य……..नहीं अनन्त! में लेखक शिवशंकर ने शून्य, जीरो की खोज और महत्ता के बारे में बताया है। ‘जीरो’ के आविष्कार से पहले वस्तुओं और अंकों की गणना (गिनती) करने में बड़ी समस्या आती थी। वैदिक काल में जीरो का प्रचलन बिन्दु (.) के रूप में हुआ। आरम्भ में इसके ( १ आदि रूप मिलते हैं। तीसरी शताब्दी में बेबीलोन निवासियों ने गणना के लिए ‘Y’ को 60 का आधार चिह्न मान कर गिनती की। ‘जीरो’ का जन्म हुआ चौथी शताब्दी में। भारत के महान् गणितज्ञ आर्यभट्ट इसके जन्मदाता हैं। इनका जन्म 476 ई० पू० बिहार के पाटलीपुत्र (पटना) के कुसुमपुर नामक स्थान में हुआ। आर्यभट्ट गणित, खगोल शास्त्र और ज्योतिष में प्रकांड पंडित थे। इन्होंने अपनी पुस्तक ‘आर्यभट्टीय’ में गणित, ज्योतिष और खगोल विज्ञान के अनेक नियम देकर अनेक अन्धविश्वासों को दूर करने का कार्य किया।

उन्होंने ही जीरो को ‘0’ का रूप दिया जिसे सारी दुनिया ने स्वीकार किया। आर्यभट्ट ने पृथ्वी, ग्रह, नक्षत्रों पर अनेक खोजें की जैसे धरती का अपने अक्ष पर घूमना, जिस कारण दिन और रात का बनना, सूर्य और चन्द्र ग्रहण सूर्य की परिक्रमा के दौरान एक रेखा होने से लगना आदि। भारत में जीरो की खोज होने के पश्चात् विश्व के अन्य देशों चीन और अरब ने भी इसको स्वीकार किया। आज संपूर्ण विश्व जीरो के आधार पर ही बड़ी-बड़ी गणनाएं (गिनती) करता है।

सचमुच जीरो (0) का आविष्कार करके न केवल आर्यभट्ट स्वयं अमर हो गए बल्कि सम्पूर्ण विश्व को गणना का एक आधार भी प्रदान कर गए। अतः जीरो (0) शून्य नहीं, यह तो है अनन्त अनमोल।

Conclusion:

“शून्य… नहीं अनन्त” कविता का संक्षेपन करते समय, हम देखते हैं कि यह कविता अंतरात्मा के अद्वितीयता और अनंतता को व्यक्त करने का प्रयास करती है। कवि द्वारा चित्रित अद्वितीय अनुभव और आत्मा की अनंतता हमें विचार करने और समझने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इसके माध्यम से कवि हमें समाज के भीतर छिपी गहरी सत्यता की खोज करने के लिए आत्म-विचार की महत्वपूर्ण भूमिका को समझाते हैं।

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