अंगुलिमाल Summary In Hindi

Angulimala, whose name means “finger necklace” or “finger garland,” is a figure from Buddhist history and legend. He is known as a fearsome and notorious serial killer who underwent a remarkable transformation through his encounter with the Buddha, Siddhartha Gautama. Read More Class 8 Hindi Summaries.

अंगुलिमाल Summary In Hindi

अंगुलिमाल कहानी का सार/सारांश:

महात्मा बुद्ध संसार-भर की भलाई की इच्छा अपने मन में रखते थे। इसी कारण वे लगभग पैंतालिस वर्ष तक एक स्थान से दूसरे स्थान तक घूमते रहे थे । एक बार महात्मा बुद्ध घूमते-घूमते कौशल की राजधानी श्रावस्ती गए। वहाँ का राजा प्रसेनजित उनका शिष्य था। बुद्ध धर्मोपदेश देने वहाँ जाते थे। इस बार जब वे वहाँ गए तो राजा को परेशान पाया। पूछने पर उन्हें बताया कि अंगुलिमाल नामक डाकू मेरी प्रजा को परेशान कर रहा है। महात्मा बुद्ध ने राजा को धैर्य बंधाया और उस पर विजय प्राप्त करने का विश्वास दिलाया। वह डाकू बड़ा खतरनाक था। जनता में आंतक फैला हुआ था। वह सैंकड़ों लोगों को मार चुका था। हत्याओं की गिनती के लिए उसने हर एक की अंगुली काट कर माला बनाई हुई थी। वह माला उसने गले में पहन रखी थी। इसी कारण उसका नाम भी अंगुलिमाल रखा गया था। महात्मा बुद्ध राजा से विदा लेकर उस जगंल की ओर चले जहाँ वह डाकू रहता था। महात्मा बुद्ध अभी कुछ दूरी पर ही गए थे कि उन्हें जोर की आवाज़ सुनाई दी -‘ठहरो’। बुद्ध ने मुड़ कर देखा तो झाड़ियों को चीरता हुआ वह विकराल डाकू वहाँ आ पहुँचा जिसे देखते ही महात्मा बुद्ध समझ गए कि यह वही अंगुलिमाल डाकू है।

महात्मा बुद्ध ने प्यार से अंगुलिमाल की ओर देखा और कहा,”मैं तो ठहर गया तुम कब ठहरोगे।” अंगुलिमाल हैरान था कि यह कौन आ गया जो मेरे आगे डरने की बजाए मुस्कुरा रहा है। महात्मा बुद्ध फिर बोले , “बोल कब ठहरेगा ” महात्मा बुद्ध के इन शब्दों का उस पर जादू-सा प्रभाव पड़ा और वह घुटने टेक उनके आगे बोला ,” मैं आपकी बात नहीं समझा।” महात्मा बुद्ध ने उसे समझाया कि मैं तो इस संसार के दु:खों के बन्धन से मुक्त हो गया हूँ परन्तु तुम इस मार-काट के बन्धन से कब छुट्टी लोगे? यह सुनकर डाकू बुद्ध के पैरों पर गिर पड़ा और बोला ,”महात्मन् मुझे सही मार्ग बताइए।” महात्मा बुद्ध ने उसे शान्ति, दया तथा प्रेम का पाठ पढ़ा कर उसे अपना शिष्य बनाया और अपने प्रेम, दया और निर्मल हृदय से डाकू के कठोर हृदय को जीत लिया। इसके बाद उसने कभी भी कोई मारकाट एवं लूट-पाट का काम नहीं किया।

Leave a Comment