हुसैनीवाला बार्डर Summary In Hindi

हुसैनीवाला बार्डर, भारत और पाकिस्तान के बीच स्थित एक प्रमुख सीमा पार पदक है, जो पंजाब राज्य के फीरोजपुर जिले में स्थित है। यहाँ पर भारतीय और पाकिस्तानी सेना के बीच वार के समय जल्दी ही तनाव बढ़ जाता है और यह एक प्रमुख सीमा तनाव क्षेत्र के रूप में माना जाता है। हुसैनीवाला बार्डर भारतीय और पाकिस्तानी सम्बंधों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। Read More Class 7 Hindi Summaries.

हुसैनीवाला बार्डर Summary In Hindi

हुसैनीवाला बार्डर पाठ का सारांश

‘हसैनीवाला बार्डर’ पत्र के रूप में लिखा पाठ है, जो रश्मि ने वैशाली को लिखा है। इस में फिरोज़पुर के पास पाकिस्तान सीमा पर स्थित हुसैनीवाला बार्डर के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है। वैशाली छुट्टियों में शिमला घूम आई थी जबकि रश्मि अपने अंकित भैया और पापा के साथ फिरोज़पुर रजनी दीदी के घर गई थी। वहाँ उसने फिरोज़पुर में देखे महत्त्वपूर्ण स्थलों का इस पत्र में वर्णन किया है।

फिरोज़पुर पंजाब का बहुत पुराना शहर है, जिसे चौदहवीं शताब्दी में फिरोज़शाह तुग़लक ने बसाया था। यह फिरोज़पुर शहर और छावनी दो भागों में बँटा हुआ है। भारतपाकिस्तान सीमा का हुसैनीवाला बार्डर यहाँ से लगभग ग्यारह किलोमीटर है। यह सतलुज नदी के किनारे पर स्थित है। यहाँ अमर शहीद भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव की समाधियाँ हैं। सांडर्स की हत्या के कारण इन्हें 24 मार्च, सन् 1931 को फाँसी देने की सज़ा सुनाई गई थी परन्तु ब्रिटिश सरकार ने इन्हें 23 मार्च, सन् 1931 की शाम को फाँसी देकर इनके शवों को यहीं जला दिया था, जिस कारण यह स्थान आज भी वंदनीय है। इन समाधियों के पास बटुकेश्वर दत्त तथा भगतसिंह की माता श्रीमती विद्यावती की समाधियां भी हैं। सन् 1962 तक बार्डर का एक किलोमीटर का यह क्षेत्र पाकिस्तान के पास था, जिसे सन् 1962 में फाजिल्का बार्डर के नज़दीक हैडसुलेमान के बारह गाँव पाकिस्तान को देकर इस अमर शहादत वाली भूमि को ले लिया था।

हुसैनीवाला बार्डर Summary In Hindi images

सन् 1970 से यहाँ वाघा बार्डर के समान रिट्रीट समारोह होने लगा है, जो देखने लायक होता है। यहाँ उस समय ‘वन्देमातरम्’ और ‘भारत माता की जय’ का स्वर गूंज उठता है तथा सीमा रेखा का शाने हिन्द, पाकिस्तान के फक्र-ए-पाक से ऊँचा होकर भारत की विशालता, महानता, बड़प्पन और शक्ति के गुण गाता है। फिरोजपुर के बर्की मैमोरियल और सारागढ़ी मैमोरियल भारतीय सैनिकों की वीरता और बलिदान के प्रतीक हैं। बर्की मैमोरियल सन् 1965 के अमर शहीदों की स्मृति में 11 सितम्बर, सन् 1969 को लै० ज० हरबख्श सिंह वी०सी० द्वारा स्थापित किया गया था तथा सारागढ़ी मैमोरियल 12 सितम्बर, सन् 1897 को वर्जिस्तान के सारागढ़ी किले की रक्षा करते हुए 36 सिक्ख रेजीमेंट के 21 सिक्ख सैनिकों की वीरता की याद दिलाता है।

इन समाधि स्थलों के दर्शनों से हम इन सैनिकों के बलिदान के प्रति नतमस्तक हो जाते हैं। हमें भी भारत-माता के गौरव और सम्मान के लिए सदा तत्पर रहने का प्रण लेना चाहिए।

Conclusion:

सारांश में, हुसैनीवाला बार्डर एक महत्वपूर्ण सीमा पार पदक है जो भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा सुरक्षा मुद्दों का महत्वपूर्ण केंद्र है। इस क्षेत्र में आयोजित तनाव और सीमा सुरक्षा के मुद्दे भारत और पाकिस्तान के संबंधों के अंतरराष्ट्रीय प्रमुख बारोमीटर के रूप में कार्य करते हैं। इसे सुरक्षा संबंधित चुनौतियों का साम्रिक रूप में देखा जा सकता है और यह साथ में बैठकर सुलझाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।

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