“कोखजाया” मुंशी प्रेमचंद की एक प्रसिद्ध कहानी है। यह कहानी एक छोटे से गांव में रहने वाले होरी नामक एक कोखे की कहानी है। होरी एक दयालु और सौम्य व्यक्ति है, लेकिन वह अपनी शारीरिक बनावट के कारण अक्सर ग्रामीणों द्वारा उपहास और दुर्व्यवहार का शिकार होता है। वह नौकरी या पत्नी नहीं ढूंढ पाता है, और उसे गांव के बाहरी इलाके में एक छोटी सी झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर किया जाता है।
कोखजाया Summary in Hindi
कोखजाया लेखक का नाम : श्याम दरिहरे। (जन्म 19 फरवरी, 1954.)
कोखजाया प्रमुख कृतियाँ : घुरि आउ मान्या, जगत सब सपना, न जायते म्रियते वा (उपन्यास), सरिसो में भूत, रक्त संबंध (कथा संग्रह), गंगा नहाना बाकी है, मन का तोरण द्वार सजा है (कविता संग्रह) आदि। विशेषता श्याम दरिहरे मैथिली भाषा के चर्चित रचनाकार हैं।
मैथिली भाषा में कहानी, उपन्यास तथा कविता में आपकी लेखनी की श्रेष्ठता प्रसिद्ध है। आपकी सभी रचनाएँ भारतीय संस्कृति में आधुनिक भावबोध को परिभाषित करती हैं। आपकी रचनाएँ पुरानी और नई पीढ़ी के मध्य सेतु का काम करती हैं। आपका साहित्य संप्रेषणीयता की दृष्टि से भावपूर्ण एवं बोधगम्य है।
कोखजाया विधा : अनूदित साहित्य। अनूदित कहानी विधा में जीवन में किसी एक अंश अथवा प्रसंग के चित्रण द्वारा सामाजिक बोध को व्यक्त करती है।
कोखजाया विषय प्रवेश : वर्तमान भारतीय समाज में पारिवारिक व्यवस्था में बहुत बड़ा बदलाव आ गया है। निकटस्थ रिश्ते भी भावनाओं से दूर निरर्थक होते जा रहे हैं। आज के समाज के केंद्र में धन, विलासिता सुख – सुविधाओं का स्थान सर्वोपरि हो गया है। लेखक का मानना है कि मनुष्य की इस प्रवृत्ति को बदलना होगा और रिश्तों को सार्थकता प्रदान करनी होगी वरना हमारी महान भारतीय संस्कृति रसातल में चली जाएगी।
कोखजाया पाठ का सार
रघुनाथ चौधरी की मौसी बड़ी स्नेही और सरल हृदया थीं। पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने पिता द्वारा उनकी संपत्ति से प्राप्त अपना हिस्सा भी अपनी एकमात्र बहन यानि रघुनाथ चौधरी की माँ को दे दिया। उनके पति प्रसिद्ध आई ए एस अधिकारी थे। वे हमेशा बड़ेबड़े पदों पर आसीन रहे। अंत में भारत सरकार के वित्त सचिव के पद से रिटायर हुए थे। परंतु मौसी को कभी भी अपने पति के पद या पावर का घमंड नहीं हुआ।
मौसी का एक ही पुत्र था दिलीप। उसने दिल्ली स्थित एम्स से अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी की। उस समय रघुनाथ चौधरी के मौसा दिल्ली में ही किसी ऊँचे पद पर कार्यरत थे। जिस कारण दिलीप बड़े ऐशो आराम से पढ़ता रहा। आगे की पढ़ाई के लिए वह लंदन गया तो फिर नहीं लौटा।
एक बार मौसी के नैहर के गाँव में भयंकर अकाल पड़ा। लोगों के हाहाकार और दुर्दशा से द्रवित होकर भावुक हृदया मौसी ने अपनी ससुराल से सारा जमा अन्न मँगवाया। बाजार से भी आवश्यकतानुसार खरीदवाया और पूरे गाँव के लिए भंडारा खुलवा दिया।
इसी बीच हृदय गति रुक जाने के कारण मौसी के पति का स्वर्गवास हो गया। अंतिम संस्कार के लिए अपने परिवार के साथ
दिलीप घर आया। कई दिनों तक सरकारी कामों में उलझा रहा और अनेक कागजों पर मौसी से हस्ताक्षर करवाता रहा। मौसी से पूछे बिना, चुपके – चुपके धोखे से उनकी सारी संपत्ति औने – पौने दामों में बेच दी।
लंदन जाने का दिन आया तो सभी एअरपोर्ट पहुंचे। मौसी को है एक जगह बैठाकर सब सामान की जाँच करवाने की कहकर चले ३ गए। काफी देर प्रतीक्षा करने के बाद भी जब वे लोग नहीं लौटे ३ तो चिंतित होकर मौसी ने सिक्यूरिटी पर पूछताछ की। वहाँ से उन्हें पता चला कि उनका एकमात्र पुत्र उनका टिकट रद्द करवाकर अपने परिवार को लेकर लंदन चला गया है अपनी माँ को एअरपोर्ट पर ३ अकेले, निराश्रित छोड़कर।
उसने एक बार भी यह नहीं सोचा कि माँ का क्या होगा, वह कहाँ जाएगी? मौसी हतप्रभ रह गई। तभी आई जी गर्ग साहब आए। वे मौसा के साथ काम कर चुके थे, मौसी को पहचानते थे। मौसी ने उनसे किसी वृद्धाश्रम में रहने की इच्छा प्रकट की।
गर्ग साहब ने आई ए एस एसोसिएशन के माध्यम से भारत से लेकर इंग्लैंड तक हंगामा खड़ा कर दिया। मीडिया ने भी भारत में ३ वृद्धों और स्त्रियों की दुर्दशा पर लगातार समाचार प्रसारित करवाए, चर्चाएँ करवाई। लोकलाज के भय से दिलीप परिवार के साथ मौसी के पास आया, पर उनके छटपटाने, गिड़गिड़ाने के बावजूद मौसी ने मिलने से मना कर दिया, उनका मुँह तक नहीं देखा।
मौसी लगभग सात वर्ष उस वृद्धाश्रम में रहीं परंतु रघुनाथ चौधरी और उनकी पत्नी के अतिरिक्त कभी किसी से नहीं मिलीं। न कभी उस चहारदीवारी से बाहर निकलीं। रघुनाथ चौधरी प्रत्येक रविवार अपनी पत्नी के साथ उनसे मिलने अवश्य जाते थे। अंत में अपने पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार का अधिकार भी मौसी ने अपने कोखजाये अर्थात पुत्र से छीनकर रघुनाथ चौधरी को ही दिया।
Conclusion
कोखजाया एक शक्तिशाली कहानी है जो पूर्वाग्रह और भेदभाव पर काबू पाने के बारे में है। यह हमें सिखाता है कि हर किसी के पास कुछ मूल्यवान पेशकश होती है, भले ही उनकी शारीरिक बनावट कैसी हो।
कहानी समुदाय के महत्व को भी उजागर करती है। जब ग्रामीण एक साथ काम करते हैं, तो वे किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं।