नील गगन का नीलू Summary in Hindi

“Neel Gagan Ka Neelu” is a poetic and evocative phrase that translates to “The Blue Bird of the Blue Sky” in English. This expression conjures imagery of a striking and vibrant bird soaring through the endless expanse of a clear blue sky. In this summary, we delve into the significance of “Neel Gagan Ka Neelu,” which goes beyond its literal meaning to represent freedom, beauty, and the boundless possibilities that life offers. Read More Class 8 Hindi Summaries.

नील गगन का नीलू Summary in Hindi

नील गगन का नीलू पाठ का सार

‘नील गगन का नीलू’ नामक पाठ सुधा जैन ‘सुदीप’ द्वारा रचित है। इसमें लेखिका ने शहीद नीलू के साहस, समर्पण एवं त्याग भावना का वर्णन किया है। नीलू अटूट साहसी, निडर, स्वाभिमानी, सच्चे देशभक्त स्काड्रन लीडर थे। वे बचपन से ही दृढ़ निश्चयी थे। उनकी बाल – हठ के कारण उनके पिता को चार वर्ष की आयु में ही उनका प्रथम कक्षा में दाखिला करवाना पड़ा। उसके खिलौने में केवल वायुयान ही होते थे।

उसके पिता हरी प्रकाश शर्मा वायसेना में सार्जेण्ट थे। इसी से नील की रुचि फ्लाइंग में होना स्वाभाविक था। वह घण्टों तक उड़ते जहाजों को देखता और मन ही मन सोचता रहता था। उसने विशेष अनुमति द्वारा केवल चौदह वर्ष की आयु में ही मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी। बी०एस सी० (नॉन मैडीकल) की परीक्षा में उनके 100 में से 91 अंक आए थे। सन् 1987 ई० में सी०डी०एस० की परीक्षा में चण्डीगढ़ से सफल होने वाले वे अकेले युवक थे। उनकी रेकिंग के हिसाब से उनके सामने जल, थल और वायु सेना में से किसी को भी चुनने का विकल्प था किन्तु इन्होंने अपनी रुचि के अनुसार वायु सेना को ही चुना और बिदर में पायलट प्रशिक्षण लिया।

सन् 1993 में दीपिका शर्मा से इनका विवाह हुआ जिनसे रुशिल और वैभव पुत्री – पुत्र प्राप्त हुए। उनकी असाधारण प्रतिभा एवं समर्पण के कारण उन्हें जल्दी ही वायुयान – चालक परीक्षक नियुक्त कर दिया गया। वे स्वभाव से ही अपना काम जल्दी निपटा लिया करते थे। वे 7 नवम्बर, सन् 1966 ई० को करतारपुर में समय से पूर्व अर्थात् असमय पैदा हुए, असमय बोलने लगे, असमय पढ़ने लगे, असमय नौकरी करने लगे तथा असमय ही मातृ भूमि के लिए न्योछावर हो गए। उन्होंने अल्पकाल में अनेक क्षेत्रों में अपने देश की सेवा की। सन् 1999 में पाकिस्तान ने यू०एम०बी०, बिना चालक चलने वाला विमान एटलान्टिक भारत की तरफ छोड़ा जिसे अनिल ने अपनी टीम के साथ मिलकर शत्रु के नापाक इरादों को असफल कर दिया।

26 जनवरी, सन् 2000 को उन्होंने राजधानी में गणतन्त्र दिवस की परेड में हैलीकाप्टर द्वारा अपने कौतुक का परिचय दिया। उन्होंने सैनिकों से भरी जीप को हैलीकाप्टर द्वारा ऊपर उठाकर सबको चकित कर दिया था। जुलाई 2000 में रामपुर बुशैर (हिमाचल) में बादल फटने से आई भीषण बाढ़ में फंसे लोगों की जान बचाई तथा उनकी सहायता की। नीलू सदा चुनौतीपूर्ण कार्य करने को तैयार रहते थे। वे कभी भी अपने कर्त्तव्य से विमुख नहीं होते थे।

12 नवम्बर, सन् 2000 को भारतीय तट रक्षा हेतु नीलू अपनी टीम के साथ भारतीय सीमा में घुसे पाकिस्तानी सैनिकों को जांचने गए। पाकिस्तानी सैनिकों ने मछुआरों के भेष में हैलीकाप्टर पर मिसाइल फैंकी। नीलू का हैलीकाप्टर कच्छ की दलदल में जा गिरा जिस कारण सात अधिकारी शहीद हो गए थे। नीलू भी इसमें शहीद हो गए थे। उन्होंने भारत की सुरक्षा के लिए स्वयं को कुर्बान कर दिया।

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