सच हम नहीं; सच तुम नहीं Summary in Hindi

“सच हम नहीं; सच तुम नहीं” एक कविता है, जिसे जगदीश गुप्त द्वारा लिखा गया है। यह कविता संघर्ष और निरंतरता की थीम पर आधारित है। कवि का मानना है कि जीवन में संघर्ष ही सच है, और जो व्यक्ति निरंतर संघर्ष करता रहता है, वही सच्चा है।

कविता का सार

कविता में, कवि कहता है कि जीवन में कई बार ऐसा लगता है कि हम गलत रास्ते पर चल रहे हैं। हम अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं, और हमें लगता है कि हम हार चुके हैं। लेकिन कवि का मानना है कि यह एक भ्रम है। जीवन में संघर्ष ही सच है, और जो व्यक्ति निरंतर संघर्ष करता रहता है, वही सच्चा है।

सच हम नहीं; सच तुम नहीं Summary in Hindi

सच हम नहीं; सच तुम नहीं कवि का परिचय

सच हम नहीं; सच तुम नहीं कवि का नाम : डॉ. जगदीश गुप्त। (जन्म 1924; निधन 2001.)

प्रमुख कृतियाँ : नाँव के पाँव, शब्द दंश, हिम विद्ध, गोपा-गौतम (काव्य संग्रह), ‘शंबूक’ (खंडकाव्य), भारतीय कला के पदचिह्न,

नयी कविता : स्वरूप और समस्याएँ, केशवदास (आलोचनाएँ) तथा ‘नयी कविता’ (पत्रिका) आदि।

विशेषता : प्रयोगवाद के बाद जिस नयी कविता का प्रारंभ हुआ, उसके प्रवर्तकों में जगदीश गुप्त का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है।

विधा : नई कविता। नए भावबोधों की अभिव्यक्ति के साथ नए मूल्यों और नए शिल्प विधान का अन्वेषण नई कविता की विशेषता है।

विषय प्रवेश : प्रस्तुत नई कविता में कवि ने संघर्ष करने की प्रेरणा दी है। संघर्ष ही जीवन की सच्चाई है। जो मनुष्य कठिनाइयों और मुसीबतों का सामना करते हुए बिना झुके या रुके आगे बढ़ता रहता है, वही सच्चा मनुष्य है। जिंदगी लीक से हटकर चलने का नाम है। लीक से भटककर भी मंजिल अवश्य मिलती है। कवि का कहना है कि हमें अपनी समस्याएँ खुद सुलझानी होंगी। हमारी लड़ाई – कोई दूसरा लड़ने नहीं आएगा। हमें खुद योद्धा बनकर अपनी लड़ाई लड़नी है।

सच हम नहीं; सच तुम नहीं कविता का सरल अर्थ

सच हम नहीं …………………………………………….. है जीवन वही।

कवि कहते हैं कि न मेरी बात सच है और न तुम्हारी बात सच है। सच है तो निरंतर संघर्ष करना। संघर्ष ही जीवन है। हमें संघर्ष का रास्ता अपनाना चाहिए। कवि के अनुसार संघर्ष से हटकर जीने की बात ही नहीं करनी चाहिए। बिना संघर्ष का जीवन भी भला कोई जीवन है!

कवि कहते हैं कि जिसने अधीनता स्वीकार ली, वह मृतक के समान हो गया। उसकी हालत डाल से झड़े हुए फूल जैसी होती है। जो व्यक्ति संघर्ष के मार्ग पर चलता हआ भटक जाने पर भी अपनी मंजिल पर बढ़ने से नहीं रुका अथवा अपने प्रयास में असफल हो जाने पर भी जिसने हार नहीं मानी अथवा जिसने मृत्यु से भी मोर्चा लिया हो और उसको परास्त कर दिया हो, उसी का जीवन जीवन कहलाने के योग्य है। यही सच्चाई है।

सच हम नहीं; सच तुम नहीं Summary in Hindi

ऐसा करो जिससे …………………………………………….. यौवन का यही।

कवि कहते हैं कि मनुष्य में कहीं भी कोई ठहराव नहीं आना चाहिए। जो जहाँ है उसे वहीं चुपचाप अपना संघर्ष जारी रखना चाहिए। वे कहते हैं कि परिस्थितियाँ कैसी भी हों चाहे प्रतिकूल स्थिति हो अथवा अनुकूल स्थिति, मनुष्य को हताश होकर अपना संघर्ष कभी भी त्यागना नहीं चाहिए। जीवन का यही संदेश है।

हमने रचा जाओ …………………………………………….. पानी-सी बही।

कवि कहते हैं कि यथास्थिति में जीने का हमने जो नियम बनाया था, आओ, अब हम उसे तोड़ दें। यह भी कोई जीवन है। जीवन तो वह है, जो मँझधार को भी मोड़ने की शक्ति रखता हो। जिसने संघर्ष किया ही नहीं और यथास्थिति को ही सुखमय मानकर जीवन जीता आ रहा हो और दूसरों के इशारों पर चलता आ रहा हो, उसकी भला कोई जिंदगी है? वह जिंदगी तो यथास्थिति को स्वीकार लेने और लीक पर चलनेवाला जीवन है। (इसमें संघर्ष का नामोनिशान नहीं है।)

अपने हृदय का …………………………………………….. दिशा मिलती रही।

कवि कहते हैं कि हमें अपने दुखों को पहचानना होगा। उन्हें दूर करने के लिए हमें स्वयं प्रयास करना होगा। अपनी आँखों के आँसू हमें खुद पोंछने होंगे। हमें अपनी सहायता के लिए किसी अन्य से आशा नहीं करनी है। किसी अन्य की कृपा का भरोसा करना व्यर्थ है। हमें खुद योद्धा बनना होगा। हर संघर्ष करने वाले को कोई-नकोई मार्ग अवश्य मिलता है। मनुष्य मार्ग भटकने के बाद अपने लक्ष्य पर अवश्य पहुँचता है, इस बात को हमें गाँठ बाँध लेनी चाहिए।

बेकार है मुस्कान से …………………………………………….. राह को ही मैं सही।

कवि कहते हैं कि हृदय के कष्ट को बाह्य मुस्कान से दबाया नहीं जा सकता। इस तरह के प्रयास का कोई लाभ नहीं होता। इसे आदर्श नहीं माना जा सकता है। मनुष्य को भीतर और बाहर दोनों से एक-सा ही रहना चाहिए, यही आदर्श है। कवि कहते हैं कि जब तक विचारों पर अंकुश लगा रहेगा और जब तक प्यार पर दुख की गहरी छाया बनी रहेगी, तब तक इस मार्ग को किसी भी कीमत पर उचित नहीं माना जा सकता।

Conclusion

कविता का संदेश यह है कि जीवन में संघर्ष ही सच है। जो व्यक्ति निरंतर संघर्ष करता रहता है, वही सच्चा है।

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