सरफ़रोशी की तमन्ना Summary in Hindi

“Sarfaroshi Ki Tamanna” is closely associated with the bravery and determination of the freedom fighters who were willing to lay down their lives to secure a brighter future for India. This phrase continues to symbolize the enduring spirit of revolution and serves as a reminder of the sacrifices made by those who fought for India’s freedom. Read More Class 8 Hindi Summaries.

सरफ़रोशी की तमन्ना Summary in Hindi

सरफ़रोशी की तमन्ना पाठ का सार

‘सरफ़रोशी की तमन्ना’ शीर्षक पाठ शिवशंकर द्वारा लिखित है। इसमें लेखक ने भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसे देशभक्तों की देशभक्ति का गुणगान किया है। दृश्य एक लायलपुर लाहौर में विद्यावती अपने बेटे भगत सिंह के प्रति बहुत चिन्तित है जो स्कूल गया हुआ हैं। वह अपनी बेटी अमरों से बार – बार उसके आने के बारे में पूछ रही थी। वह कह रही थी कि अंग्रेजों ने जलियाँवाला बाग़ में बहुत भद्दा खेल खेला है। शायद ये पागल हो गए है।

इसी बीच भगत दौड़ कर अपनी माँ से चिपक जाता है। उसने अपनी माँ को बताया कि वह तो जलियाँवाला बाग़ की पावन धरती को प्रणाम करने गया था। वहाँ दरिंदे अंग्रेज़ों ने हज़ारों स्त्री, पुरुषों, बच्चे, बूढ़ों को शहीद कर दिया। वहाँ की दीवारें, पेड़ – पौधे, कुएँ भी शहीदों की कुर्बानी बता रहे थे।

गोरों ने निहत्थे भारतीयों पर गोलियाँ बरसाई थीं। भगत अपनी माँ और बहन के सामने मिट्टी की सौगंध खाकर भारत माँ को आजाद करवाने की बात। सुखदेव ने आज़ादी की चिंगारी भड़का रखी है। भगत की माँ भी भारत के आज़ाद होने की कल्पना करने लगीं।।

दृश्य – दो – भगत सिंह लाहौर से दिल्ली में क्रान्तिकारियों के गुप्त स्थान पर चन्द्रशेखर आज़ाद के साथ मिलने आया। उसे देखकर आज़ाद भी खुश हुए भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, आज़ाद आदि देशभक्तों इन्कलाब जिन्दाबाद के नारे लगाए। तभी राजगुरु ने सब को साइमन के भारत आने की सूचना दी। आजाद ने उसका विरोध करने की योजना बताई कि हम सभी लाला लाजपतराय के नेतृत्व में इसका विरोध करेंगे। सभी पुनः इन्कलाब ज़िन्दाबाद भारत माता की जय के नारे लगाने लगे।

दृश्य – तीन – क्रान्तिकारियों के दफ्तर में राजगुरु को भगत, आज़ाद सभी देशभक्त क्रान्तिकारी परस्पर विचार – विमर्श कर रहे थे कि ये अंग्रेज़ अपनी हरकतों से बाज नहीं आएँगे। भगत ने अंग्रेजी सरकार को विस्फोट से उड़ाने की बात कही तभी आज़ाद ने उसे धैर्य रखने को कहा कि समय आने पर विस्फोट भी होगा। सभी क्रान्तिकारियों ने लाला जी की हत्या का बदला लने के लिए लाहौर माल रोड़ पर सांडर्स को गोलियों से भून दिया तथा वहाँ से भाग गए।

सरफ़रोशी की तमन्ना कविता

आज़ाद की योजना से भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त ने विधानसभा में बम फेंका किन्तु उससे किसी को कोई हानि नहीं हुई। भगत सिंह बटुकेश्वर दत्त पकड़े गए। इसके बाद अंग्रेज़ों ने अपना दमनचक्र चलाकर राजगुरु, सुखदेव के अतिरिक्त अनेक युवक जेलों में डाल दिए। भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को फांसी की सजा सुनाई गई तथा बटुकेश्वर दत्त को काले पानी की सज़ा दी गई।

दृश्य – चार – जेल के केन्द्रीय कक्ष में सभी क्रांतिकारी सरफ़रोशी की तमन्ना गीत गाते हैं। वे मौत की सज़ा के बाबजूद जिस निडरता से गीत गाते हुए खुश थे उन्हें देखकर जेलर अचंभित हो उठे। जेलर के कहने पर भगत ने उसे बताया कि भगवान शिव ने सृष्टि के कल्याण के लिए विष पी लिया था। यह तो हमारे लिए प्याला है। राजगुरु के अनुसार हमारी शहादत भारतवासियों का राह दिखाएगी।

जेलर ने क्रान्तिकारियों से उनकी अन्तिम इच्छा पूछी तो भगत ने बेबे के हाथ की बनी रोटियाँ खाने को कहा। भगत, राजगुरु, सुखदेव सभी क्रान्तिकारी मेरा रंग दे बसंती चोला गीत गाने लगे। सभी भारत माता के प्रति समर्पण के भाव से भारत माता की जय, इन्कलाब ज़िन्दाबाद के नारे लगाने लगे। इसके बाद सभी ने फांसी का फंदा चूम लिया।

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