“Sumitranandan Pant” (1900-1977) become a outstanding figure in Hindi poetry and a leading exponent of the Chhayavaad motion. Pant’s early poetry presentations the affects of each Indian mysticism and Western romanticism. He frequently explored issue matters of love, human feelings, and the look for reality. His verses are recognized for their musical nice, tough metaphors, and bright imagery that delivery readers to the landscapes he describes. Read More Class 12 Summaries.
सुमित्रानन्दन पंत के दोहे Summary In Hindi
सुमित्रानन्दन पंत जीवन परिचय
सुमित्रानन्दन पन्त जी का जीवन परिचय दीजिए ।
सुमित्रानन्दन पन्त जी का जन्म अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक गाँव में 21 मई, सन् 1900 ई० को हुआ। इनके पिता का नाम पंडित गंगादत्त तथा माता का नाम सरस्वती था। इन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा अल्मोड़ा तथा बनारस में प्राप्त की थी तथा उच्च शिक्षा के लिए प्रयाग के म्योर सैंट्रल कॉलेज में प्रवेश लिया, किन्तु महात्मा गाँधी के असहयोग आन्दोलन से प्रभावित होकर पढ़ाई छोड़ दी और साहित्य साधना करने लगे। इन्होंने आकाशवाणी, इलाहाबाद में भी कार्य किया था। इन्हें भारत सरकार ने पद्मभूषण से, कलकत्ता विश्वविद्यलय ने डी० लिट् से, साहित्य अकादमी ने ‘कला और बूढ़ा चाँद’ पर सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार तथा भारतीय ज्ञानपीठ ने ‘चिदम्बरा’ पर सम्मानित किया था। सन् 1977 में इनका देहान्त हो गया था।
सुमित्रानन्दन पंत के नाटक
सुमित्रानन्दन पंत कविता, नाटक, उपन्यास, कहानियां, निबन्ध आदि सभी लिखे हैं। इनकी प्रमुख रचनाएँ वीणा, पल्लव, गुंजन, युगान्त, ग्राम्या, लोकायतन, चिदंबरा, कला और बूढ़ा चांद हैं।