“वायुयान के जन्मदाता: बिल्बर राइट और ओरविल राइट” एक उल्लेखनीय कहानी है जो हवाई यातायात के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं को समर्पित है। इन दो भाईयों का साझा प्रयास हवाई यातायात के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्होंने विमानों के सफल प्रयोग के साथ ही वायुयान के जन्म का मार्ग प्रशस्त किया। Read More Class 6 Hindi Summaries.
वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट Summary In Hindi
वायुयान के जन्मदाता : बिल्बर राइट और ओरविल राइट पाठ का सार
आज हवाई जहाज़ के द्वारा देश-विदेश की यात्रा करना बहुत ही आसान हो गया है। परन्तु जब हवाई जहाज़ का आविष्कार नहीं हुआ था तब लोग पक्षियों की तरह आकाश में उड़ने की कल्पना करते थे। अपनी इस कल्पना को साकार करने की दिशा में मनुष्य ने गुब्बारों से उड़ने की कोशिश की। इसके बाद ग्लाइडर के द्वारा उड़ने का प्रयास किया गया। उड़ने के इन प्रयोगों में कई आविष्कारकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। मनुष्य का आकाश में उड़ने का सपना साकार हो सका अमेरिका के दो भाइयों, विल्बर राइट और ओरविल राइट की लगन और अथक प्रयासों के कारण। इनके पिता का नाम मिल्टन था जो एक पादरी थे।
दोनों ही भाई प्रखर बुद्धि के थे उन्हें तरह-तरह की मशीनों से जूझने का शौक था। एक दिन इनके पिता दोनों के लिए एक उड़ने वाला खिलौना लाए जो छत की ऊंचाई तक उड़ सकता था। इस खिलौने को देखकर इनके मन में विचार आया कि यदि यह छोटा-सा खिलौना छत तक उड़ सकता है तो कोई बड़ी चीज़ आकाश में ज़रूर उड़ सकती है। इसी से प्रेरणा लेकर दोनों भाइयों ने एक बड़ा खिलौना बनाया परन्तु बड़ा होने के कारण वह बहुत कम उंचाई तक उड़ पाता था। इसके बाद इन्होंने पतंगें बनानी शुरू की। थोड़ा और बड़ा होने पर दोनों भाइयों ने एक प्रैस खोली और अखबार छापने का काम शुरू किया। कुछ समय बाद प्रेस का काम छोड़कर साइकिल बनाने और बेचने का काम शुरू किया। इन्हीं दिनों जर्मनी के एक आविष्कारक की ग्लाइडर उड़ाते हुए मृत्यु हो गई।
राइट ब्रदर्स के मन में अभी भी आकाश में उड़ने की इच्छा थी इसलिए उन्होंने अपने सपने को साकार करने की ठान ली और जहाज़ बनाने के फिर से काम करना शुरू कर दिया। उन्हें कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ा परन्तु फिर भी उन्होंने हिम्मत न हारी। उन्होंने एक इंजन वाला यान तैयार किया और 17 दिसम्बर, सन् 1903 को पहली उड़ान भरी। दोनों भाइयों ने इस दिशा में सफल परीक्षण किए। सन् 1912 में टाइफाइड के कारण विल्बर की मृत्यु हो गई। इससे इनके भाई ओरविल को बहुत धक्का लगा लेकिन इन्होंने अपने भाई द्वारा किए गए परीक्षणों को जारी रखा। इन्होंने सन् 1916 में राइट एरोनोटिकल लेबोरेटरी खोली जिसमें उसके द्वारा हवाई जहाज़ों से सम्बन्धित अनेक तकनीकी विकास किए गए। इस तरह अनेक प्रयोग करते हुए 30 जनवरी, सन् 1948 को ओरविल की भी मृत्यु हो गई। वायुयान के विकास में इन दोनों भाइयों की अनुपम देन को भुला कौन सकता है। उनके द्वारा पहली उड़ान के समय में प्रयोग में लाया गया यान आज भी वाशिंगटन में नेशनल एयर एण्ड स्पेस म्यूज़ियम में रखा हुआ है।
Conclusion:
“वायुयान के जन्मदाता: बिल्बर राइट और ओरविल राइट” कहानी का संक्षेपन करते समय, हम देखते हैं कि इन दो भाईयों ने वायुयान के विकास में अपने संघर्षों और संघर्षों के बावजूद एक महत्वपूर्ण योगदान किया। उनकी प्रेरणास्पद कहानी हमें यह सिखाती है कि संघर्ष और संघर्षों के बावजूद, संकल्प से किये गए प्रयास हमें महत्वपूर्ण मील के संकेत देते हैं और अविश्वास को सफलता में परिवर्तित कर सकते हैं।