“यूटा सागा” in English can be translated as “Utah Saga.” However, without more context, it’s challenging to provide a precise explanation or summary of what “Utah Saga” refers to. Read More Class 8 Hindi Summaries.
यूटा सागा Summary In Hindi
यूटा सागा पाठ का सार:
‘यूटा सागा’ प्राकृतिक आपदा से जुड़ी हुई एक कहानी है। जापान में भूकम्प अधिक मात्रा में आते हैं और समुद्र तल में तीव्र भूकम्प आने से सुनामी उठती है। सुनामी के कारण समुद्री जल स्थल पर तबाही लेकर आता है।
जापान के मियागी प्रान्त के तटवर्ती क्षेत्र के संदुई शहर में चौदह वर्ष का एक लड़का यूटा सागा रहता है। उसकी माँ अयूमी आँसूगा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है और पिता ओसामु दाज़ाई फुकुशिमा न्यूक्लियर पावर प्लांट में काम करते हैं। उनके घर में सम्पन्नता है। एक दिन अचानक भूकम्प आया। भूकम्प जोर से आया था। आसपास का सब कुछ हिलने लगा था। टेलीविज़न पर ‘सुनामी वार्निंग सेंटर’ से सुनामी से सम्बन्धित चेतावनी जारी करने की सूचना आ रही थी कि बिजली चली गई। यूटा ने रेडियो पर सुना। भूकम्प की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8.9 थी जिसके कारण जान लेवा समुद्री लहरें तटीय क्षेत्रों की ओर तेजी से बढ़ रही थीं।
तरंगों को तट तक पहुँचने में केवल बारह मिनट बचे थे। यूटा ने अपनी मां का हाथ पकड़ा। वह बोला कि उनका घर सुनामी से बचने के लिए सुरक्षित नहीं था। वे दोनों तेज़ी से सड़क पर जूनियर हाई स्कूल की इमारत की ओर भागने लगे। वह इमारत आसपास की इमारतों में सबसे ऊँची थी। स्कूल की सीढ़ियाँ उन वृद्ध लोगों से अटी पड़ी थीं जो ऊपर चढ़ नहीं पा रहे थे। सीढ़ियों पर गिरी एक औरत ने यूटा का हाथ थाम कर कहा कि वह कम-से-कम उसके छोटे बच्चे को तो ऊपर ले जाए। यूटा ने बच्चे को गोद में लिया और अपनी माँ के साथ तीसरी मंजिल पर सुरक्षित जा पहुँचा। फिर वह भाग कर नीचे गया और बच्चे की माँ को भी खींचता हुआ ऊपर की ओर लपका। उसी समय सुनामी की भयंकर लहरें वहां पहुंच गईं पर यूटा उस औरत को ऊपर ले आया था। बच्चा अब अपनी माँ की गोद में था। सुनामी की तीस फुट ऊँची लहरें सब कुछ लील गई थीं।
एयरपोर्ट पर खड़े हवाई जहाज, लोगों से भरी रेलगाड़ी, कारें और लोग सब एक साथ बहे जा रहे थे। सारा शहर डूबता-सा दिखाई दे रहा था। अगले दिन बचाव कर्मियों ने स्कूल की इमारत में सुरक्षित लोगों को अस्थाई शरण-स्थल में पहुँचा दिया था। लाखों लोग बेघर हो गए थे। वे रोटी-पानी के लिए परेशान थे। यूटा के पिता उन्हें ढूंढ़ते हुए उन तक पहुँच गए थे। यह उनके धैर्य और संकल्प की घड़ी थी। पिता को कुछ ही देर बाद वापस न्यूक्लियर पावर प्लांट में वापस जाना था। सुनामी के कारण प्लांट के रिएक्टरों के कूलिंग सिस्टम की बिजली आपूर्ति रुक गई थी जिससे परमाणु ईंधन ठंडा नहीं रह पाया।
रिएक्टरों का तापमान तेजी से बढ़ने के कारण उनमें विस्फोट हो गया जिससे रेडिएशन सामान्य से कई गुणा निकलने लगा था। इससे जापान को ही नहीं बल्कि अन्य देशों को भी खतरा था। फुकुशिमा के पाँच लाख लोग शहर छोड़ चुके थे। एक लाख अस्सी हज़ार लोगों को शहर से दूर राहत शिविर में पहुँचाया गया था। परमाणु विकिरण से त्वचा पर जलन, ठंड लगना, आँखों में जलन, बुखार, अस्थमा, खाँसी, बोन तथा फेफड़ों के कैंसर का भय था। प्लांट में दो सौ कर्मचारी अपनी जान खतरे में डाल कर चार शिफ्ट में काम कर रहे थे। पिता ने यह भी कहा कि उन्हें पता नहीं था कि वे प्लांट से जीवित वापस आएंगे या नहीं।
अयूमी ने अपने पति का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि उन्हें पता ही था कि जापानी भाषा ‘फु कुशिमा’ का शाब्दिक अर्थ है ‘भाग्यशाली द्वीप’। इसलिए वहाँ आई मुसीबत से रक्षा करने वाले भाग्यशाली ही हुए। ऐसी आपदाएँ उनके राष्ट्रीय चरित्र को नहीं तोड़ सकती थीं। देश प्रेम ही उनकी सबसे बड़ी सम्पत्ति थी। यूटा ने भी अपने पिता को परमाणु योद्धा (न्यूक्लियर निंजा) कहते हुए उन्हें विदा किया।