पदावली (सूरदास,मीराबाई) Summary In Hindi

पदावली (सूरदास,मीराबाई) Summary In Hindi

“Padavali: Surdas and Meera Bai” is a remarkable collection of devotional poetry that transcends time and resonates with the spiritual essence of India’s rich cultural heritage. Comprising the works of two iconic poets, Surdas and Meera Bai, this anthology transports readers to a world of divine devotion, love, and unwavering faith. In this summary, we embark on a journey through the verses of these revered saints, exploring the profound themes of love, devotion, and the eternal quest for the divine. Read More Class 8 Hindi Summaries.

पदावली (सूरदास,मीराबाई) Summary In Hindi

सूरदास पदावली सार

सूरदास का ईश्वर के प्रति गहरा विश्वास है कि वे सभी प्राणियों का कल्याण करते हैं। वे उनके अवगुणों की ओर ध्यान नहीं देते। जिस प्रकार पारस पत्थर मंदिर में रखे हुए लोहे को सोना बना देता है तो वह कसाई के द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले लोहे के साधन को भी वह सोना ही बनाता है। वे उनमें कर्म के आधार पर भेद-भाव नहीं करता। गंदे नालोंनालियों का जल भी गंगा की धारा में मिल कर गंगा की पवित्रता को पा जाता है। हर अच्छे-बुरे का रक्षक ईश्वर ही है। श्रीकृष्ण साँवले रंग के थे। उनके बड़े भाई बलराम उन्हें चिढ़ाते थे कि उनका जन्म यशोदा माता से नहीं हुआ। उन्हें तो बाज़ार से खरीदा गया था। यशोदा माता ने गउओं की सौगंध खाकर कहा कि वह ही उनकी माँ थी। बलराम का कहना झूठ था क्योंकि वह तो जन्म से ही धूर्त था।

मीराबाई पदावली सार

मीराबाई कृष्ण भक्ति के विषय में कहती है कि उनकी भक्ति सबसे अच्छी है जिसे चोर चुरा नहीं सकता, खर्च करने पर वह घटती नहीं बल्कि बढ़ती ही जाती है। वह सत्य की नौका को चलाने वाले हैं। उन्हीं का यश गागा कर वह प्रसन्नता प्राप्त करती है। वह अपने पाँवो में धुंघुरू बाँध कर उनके समक्ष नाचती है। लोग कहते हैं कि वह कुल का नाश कर रही थी पर वह उनकी परवाह नहीं करती। उसने राणा के द्वारा भेजा जहर का प्याला भी उनका प्रसाद समझ कर पी लिया था। वह तो केवल श्रीकृष्ण का है।

नेत्रदान Summary In Hindi

नेत्रदान Summary In Hindi

“Netradan” is a poignant and deeply touching concept that embodies the act of eye donation. This selfless gesture has the power to transform lives by restoring vision to those who have lost it. In this summary, we delve into the significance of “Netradan” and its profound impact on individuals and society as a whole. Read More Class 8 Hindi Summaries.

नेत्रदान Summary In Hindi

नेत्रदान पाठ का सार

प्रातः का समय था। ठंडी हवा चल रही थी। अपनी बात सुनाने वाली महिला घर के बगीचे में चाय पी रही थी कि फोन की घंटी बजी। उसकी बेटी फोन बाहर ही ले आई और उसने फोन अपनी मम्मी को दिया। फोन सुनते ही वह फूट-फूट कर रोने लगी। पूछने पर पता लगा कि उसकी प्रिय सहेली हृदयघात से चल बसी थी। वह और उसका पति शीघ्रता से उसके घर को चले।

घर से चलने से पहले उसने अपने नेत्रदान करने का संकल्प पत्र उठाया और फोन से नेत्र बैंक को सूचना दी। वहाँ पहुँचकर पता लगा कि सुबह चार बजे उसकी सहेली को दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी। महिला ने उसके पति को बताया कि उसकी मृतक पत्नी ने कुछ दिन पहले नेत्रदान करने का संकल्प किया था। पति ने बताया कि वह बाहर गया हुआ था और कल रात ही वापस लौटा था। उसने फोन पर इतना अवश्य बताया था कि वह मुझे कोई महत्त्वपूर्ण बात बताने वाली थी। महिला ने उसे अपना नेत्रदान पत्र दिखाया।

सहेली की सास और ससुर पहले तो अपनी बहू के नेत्रदान के लिए तैयार नहीं हुए लेकिन बाद में वे इसके लिए मान गए। मृतका की मौसी सास ने तो बहू की इस काम के लिए सराहना की। उसने स्वयं भी चार वर्ष पहले नेत्रदान का संकल्प पत्र भरा था। उसका पोता देख नहीं सकता था और हो सकता था कि बहू की आँखों से वह देखने लगे। नेत्रदान किसे प्राप्त होगा यह बात गुप्त रखी जाती है और एक व्यक्ति को एक ही आँख दान में दी जाती है। हमारे देश में 25 लाख से अधिक ऐसे बच्चे हैं जो देख नहीं सकते।

आँख के सामने का कॉर्निया नामक पर्दा धुंधला हो जाने के कारण दिखाई नहीं देता। जब साफ कॉर्निया लगा दिया जाए तो न देख सकने वाले वे लोग भी देख सकते हैं। मृतका की सहेली शल्य चिकित्सकों के आने से पहले रूई में बर्फ लपेट कर मृत शरीर की आँखों पर रखती रही थी। डॉक्टरों ने 15 से 20 मिनट में आँखें लेकर मृतका को नकली आँखें लगा दी थीं ताकि उसका चेहरा सामान्य बना रह सके।

फलों की चौपाल Summary In Hindi

फलों की चौपाल Summary In Hindi

“Phalon Ki Chaupal,” or “The Fruit Market,” is a captivating and lively setting that represents the vivid tapestry of nature’s offerings. This bustling marketplace is more than just a physical location; it’s a vibrant microcosm of existence itself, where an abundance of fruits showcases the kaleidoscope of shapes, sizes, colors, and tastes that the natural world provides. Read More Class 8 Hindi Summaries.

फलों की चौपाल Summary In Hindi

फलों की चौपाल पाठ का सार

तरह-तरह के फलों की एक सभा बुलाई गई। छोटे लड़के-लड़कियों ने फलों के मुखौटे लगाकर फलों का अभिनय किया। फलों के राजा आम ने अन्य फलों से पूछताछ की। वह जानना चाहते थे कि लोग उन्हें खाने के बाद बीमार क्यों पड़ जाते थे। केले ने सभा को आरम्भ किया और अमरूद पर आरोप लगाया कि उसे खाने से एक लड़के को खांसी हो गई।

शारीरिक परेशानी के साथ-साथ उसे इलाज के लिए पैसे भी खर्च करने पड़े। अमरूद ने अपना बचाव करते हुए कहा कि सर्दी के दिन शाम के समय उस लड़के ने उसे बिना धोये हुए खाना शुरू कर दिया था। यदि उसे दोपहर के समय खाया जाता तो वह हानिकारक नहीं होता। वह पाचन क्रिया को बढ़ाता है, पेट साफ रखता है, दाँतोंमसूड़ों के लिए अच्छा है, कब्ज़ और बवासीर में उपयोगी है और दिमाग की गर्मी को कम करता है। वह पागलपन दूर करने में भी सहायक होता है। बस, उसका इस्तेमाल ठीक ढंग से किया जाना चाहिए।

संतरे ने गाजर पर आरोप लगाया कि उसके कारण लोगों में दस्त और पेट की गड़बड़ी होने की शिकायतें आ रही थीं। गाजर ने अपने उत्तर में कहा कि लोग उसे धोए बिना खा लेते हैं। उस पर लम्बे-लम्बे बालों में एंटामीबा नामक जीवाणु होते हैं जो पेट में जाकर पाचन क्रिया को प्रभावित करते हैं। उसमें विटामिन ‘ए’, ‘बी’, ‘डी’ और ‘के’ काफ़ी मात्रा में होते हैं जिससे शरीर का विकास होता है। उसे अच्छी तरह धोने के बाद ही खाया जाना चाहिए। गाजर के बैठते ही मूली ने अपने बारे में स्वयं कहा कि उसे खाने से पहले धोया जाना चाहिए।

केले ने अंगूर पर आरोप लगाया कि उसे खाने से अनेक लोग बीमार पड़ जाते हैं। इसका कारण क्या था ? अंगूर ने बताया कि उसमें विटामिन ए, बी, सी, प्रोटीन, वसा, कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहा आदि होते हैं जिनसे शरीर में खून बढ़ता है, खून साफ होता है, पाचन क्रिया ठीक होती है और नेत्र ज्योति ठीक होती है। वह कमज़ोर और रोगियो के लिए बहुत उपयोगी होता है।

लोगों की बीमारी का कारण वह नहीं है बल्कि लोग स्वयं हैं। वे रेडियों और ठेले वालों से उसे खरीदते हैं। उस पर पड़ी धूल-मिट्टी, मक्खियों की गन्दगी आदि की परवाह किए बिना उसे खा जाते हैं जिस कारण वे बीमार पड़ जाते हैं। उसे पकाने के लिए रासायनिक पदार्थों का उपयोग भी नहीं किया जाना चाहिए। उसे खाने से पहले अच्छी तरह धोया जाना चाहिए। अंगूर के बैठते ही सेब स्वयं खड़ा हो गया। उसने बताया कि उसे खाने के लिए लोग उसका छिलका उतार देते हैं। छिलके के ठीक नीचे विटामिन ए और सी होते हैं। इसलिए अच्छी तरह धोकर छिलके सहित खाना चाहिए। सबकी बात सुनकर आम ने निष्कर्ष निकाला कि लोगों को फल सावधानी से खाने चाहिएं। उन्हें अच्छी तरह धोकर बिना छिलका उतारे ही खाना चाहिए।

उम्मीद का अन्तिम पत्ता Summary In Hindi

उम्मीद का अन्तिम पत्ता Summary In Hindi

“Umeed Ka Antim Patta,” which translates to “The Final Leaf of Hope” in English, is a thought-provoking and emotionally charged literary work that delves deep into the human psyche and the resilience of the human spirit. Read More Class 8 Hindi Summaries.

उम्मीद का अन्तिम पत्ता Summary In Hindi

उम्मीद का अन्तिम पत्ता कहानी का सार

मन में उत्पन्न होने वाले आशा के भाव किसी में भी नया जीवन भर देने की ताकत रखते हैं। स्यू और जॉनसी दो सहेलियां थीं। वे कलाकार थीं और एक साथ एक पुराने मकान की तीसरी मंजिल पर रहती थीं। नवम्बर महीने में जॉनसी को निमोनिया हो गया था। वह बिना हिले-डुले बिस्तर पर लेटी रहती थी। डॉक्टर उसका इलाज कर रहा था पर उस पर दवाई का कोई असर ही नहीं हो रहा था। एक दिन डॉक्टर ने स्यू से कहा कि उसे लगता था कि उसकी सहेली ने अपने दिमाग में यह बात बिठा ली थी कि वह अब ठीक नहीं हो सकती थी। ऐसा होने के कारण दवाइयाँ उस पर असर नहीं कर रही थीं।

स्यू ने अपनी सहेली के ध्यान बंटाने के लिए फैशन, वस्त्रों, चित्रकला आदि से जुड़ी हुई बातें कीं लेकिन उसने कोई उत्तर नहीं दिया। वह अपना ड्राइंग बोर्ड भी उसके कमरे में ले आई थी। एक दिन स्यू ने जॉनसी को खिड़की के बाहर लेटे-लेटे आइवी-लता के झड़ते पत्तों को गिनते देखा। वह बेल खिड़की के सामने ईंटों की दीवार के मध्य तक चढ़ी हुई थी। बाहर लगातार बढ़ती ठंड के कारण बेल के पत्ते गिर रहे थे। जब स्यू ने उससे इस बारे में पूछा तो जानसी ने उत्तर दिया कि तीन दिन पहले वहाँ लगभग सौ पत्ते थे। अब केवल पाँच पत्ते शेष रह गए थे। जब अन्तिम पत्ता गिर जाएगा तो वह भी मर जाएगी।

स्यू ने उसे समझाया कि झड़ते पत्तों का उसके जीवन से कोई सम्बन्ध नहीं था लेकिन वह भी कुछ नहीं बोली। अब बेल पर केवल तीन पत्ते शेष रह गए थे। जाह्नसी अन्धेरा होने से पहले पके हुए अन्तिम पत्ते को भी गिरते हुए देखना चाहती थी और सोचती थी कि उसके बाद वह भी सदा के लिए सो जाएगी। स्यू ने उसे दुलारा, प्यार किया और उसे समझाया। उसने उससे कहा कि जब तक वह चित्र पूरा नहीं बना लेती तब तक वह खिड़की के बाहर उस पत्ते की ओर न देखे। वह बूढ़े खनिक का चित्र बनाने के लिए सबसे नीचे वाली मंजिल की ओर चली गई जहां बहरमैन नामक बूढ़ा चित्रकार रहता था। वह उसे अपने चित्र का मॉडल बनाना चाहती थी। वह बूढ़ा चित्रकार एक सर्वश्रेष्ठ कलाकृति बनाना चाहता था। स्य ने अपनी सहेली से सम्बन्धित सारी परेशानियाँ बहरमैन को बताईं। वे दोनों जब कमरे में आए तो जाह्नसी सो रही थी। बेल पर अब केवल एक पत्ता शेष बचा था, बाहर तेज़ बारिश हो रही थी और बर्फीली हवा चल रही थी, ऐसा लगता था कि आखिरी पत्ता भी गिर जाएगा। बहरमैन बिना कुछ बोले वापस अपने कमरे में चला गया।

अगली सुबह जब पर्दा हटाया तो तेज़ हवाओं के बावजूद आखिरी पत्ता नहीं गिरा था। वह काफी हरा और स्वस्थ लग रहा था। कुछ-कुछ देर बाद जाह्नसी अपनी आँखें खोलकर उस पत्ते की ओर देख लेती थी। शाम को एक बार फिर तूफ़ान आया वह पत्ता फिर भी नहीं गिरा। कुछ देर बाद उसने स्यू से कहा कि उसके विचार ठीक नहीं थे। वह जान गई थी कि मौत की चाह रखना पाप था।

दोपहर बाद डॉक्टर साहब ने उसे जाँच कर कहा कि अब ठीक थी और शीघ्र पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएगी। उसने यह भी बताया कि बहरमैन को भी निमोनिया हो गया था और कोई उम्मीद नहीं थी कि वह जिन्दा रह पाएगा। अगली सुबह स्यू ने जॉनसी को बताया कि बहरमैन की मृत्यु हो गई थी। उसे दो दिन से निमो िथा। चौकीदार ने बताया कि वह गीले कपड़े और गीले जूते पहने हुए बिस्तर पर पड़ा काँप रहा था। वह तूफ़ानी रात में बाहर निकला था। उसने आईवीलता का आखिरी पत्ता गिर जाने के बाद हरे-पीले रंगों का पत्ता बनाकर वहां लगाया था जो फड़फड़ाता नहीं था। वह उसकी सर्वश्रेष्ठ कलाकृति थी।

हरी-हरी दूब पर Summary In Hindi

हरी-हरी दूब पर Summary In Hindi

“Hari Hari Doob Par” translates to “On green grass” refers to a setting or scene where grass is lush, vibrant, and typically has a vivid green color. This phrase often conveys a sense of natural beauty, serenity, and peacefulness associated with open green spaces. It can evoke images of leisurely activities, picnics, or moments of relaxation spent outdoors. Read More Class 8 Hindi Summaries.

हरी-हरी दूब पर Summary In Hindi

हरी-हरी दूब पर कविता का सार:

कवि ने अपनी कविता में प्रकृति में आने वाले परिवर्तनों को सूक्ष्मता से देखा है और उन्हें प्रकट किया है। सुबह-सवेरे हरी-हरी घास ओस की बूंदें अभी कुछ देर पहले तो दिखाई दे रही थीं पर अब वे वहाँ नहीं हैं। हमारे जीवन में भी खुशियाँ आती हैं। वे पलभर रहती हैं और फिर हमारा साथ छोड़ जाती हैं। आश्विन महीने में सुबह सूर्य पूर्व दिशा में जब प्रकट हुआ तो मेरी बगीची का पत्ता-पत्ता जगमगा उठा था। मुझे समझ नहीं आ रहा कि अब मैं सूर्य देव को प्रकाश देने के लिए प्रणाम करूँ या उस धूप के कारण भाप बन गई ओस को ढूँढूँ। सूर्य एक सच्चाई है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता पर ओस की बूंद भी तो सच है। हाँ, इतना ठीक है कि ओस का जीवन पलभर का है और पल-पल की खुशी को पीने का मुझे अधिकार है। मैं उसे प्राप्त क्यों न करूँ ? सूर्य तो फिर उगेगा, धूप भी निकलेगी पर मेरी बगीची में हर मौसम में ओस की बूंदें तो दिखाई नहीं देंगी।

सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा Summary In Hindi

सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा Summary In Hindi

“Sadak Suraksha-Jeevan Raksha” translates to “Road Safety, Life Protection” in English. This phrase encapsulates the core idea that road safety measures are essential for protecting and preserving lives. Read More Class 8 Hindi Summaries.

सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा Summary In Hindi

सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा पाठ का सार

स्कूल में ट्रैफिक पुलिस अधिकारी आमन्त्रित किए गए थे। प्रधानाचार्य ने उनका परिचय देते हुए स्कूल में आने के लिए स्वागत किया। सभी विद्यार्थी यातायात के नियमों को जानना चाहते थे। स्टेज पर लगे यातायात नियमों तथा चिह्नों से सम्बन्धित चार्यों को समझना चाहते थे। ट्रैफिक पुलिस अधिकारी ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि यातायात के नियमों का पालन न करने और सड़क पर लापरवाही के कारण दुर्घटनाओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इनसे बचने का एक ही मूल तरीका है कि हमें स्वयं सड़क पर सुरक्षित ढंग से चलना चाहिए और दूसरों की सुरक्षा का भी ध्यान रखना चाहिए। विद्यार्थियों की जानकारी बढ़ाते हुए उन्होंने बताया कि हमें हमेशा सड़क के बायीं ओर ही चलना चाहिए। यदि सड़क पार करनी हो तो दायीं-बायीं ओर देखकर सावधानी से ऐसा करना चाहिए।

हमें सड़क के किनारे फुटपाथ पर ही चलना चाहिए। तेज़ रफ्तार से वाहन नहीं चलाना चाहिए। पुरुषों और महिलाओं को हेलमेट का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। वाहन चलाते समय सुरक्षा बैल्ट का प्रयोग करना चाहिए। यदि वाहन चलाते समय मोबाइल फोन की घण्टी बज जाती है तो वाहन को सड़क के किनारे रोककर बात करनी चाहिए। ट्रैफिक पुलिस ने जगह-जगह सड़क किनारे बोर्ड लगवाए हुए हैं। स्कूल के सामने बोर्ड पर जो बैग ले जाते बच्चे का चित्र बना होता है उसका अर्थ होता है कि यहाँ स्कूल है इसलिए वाहन की गति कम करो। अस्पताल के पास हार्न के कटे हुए निशान का अर्थ होता है कि व्यर्थ में हार्न न बजाया जाए क्योंकि ऊँची आवाज़ से रोगियों को परेशानी होती है।

पार्किंग के लिए अलग-अलग तीर लगे होते हैं। ‘P’ के नीचे दायीं ओर लगा तीर यह दर्शाता है कि वाहन दायीं ओर खड़ा करें। यही तीर का चिह्न बाईं ओर लगा हो तो वाहन को बाईं तरफ खड़ा करना चाहिए। ‘P’ के दोनों तरफ लगे तीर यह दर्शाते हैं कि वाहन दोनों तरफ खड़े किए जा सकते हैं। यदि ‘P’ के नीचे ‘साइकिल’ या ‘कार’ का चिह्न लगा हो तो वहाँ वहीं सम्बन्धित वाहन ही खड़ा करना चाहिए। सड़क पर लगी काली-सफेद लाइनों को ज़ेबरा लाइनें कहते हैं। पैदल चलने वालों को सदा उन्हीं पर चलते हुए सड़क पार करनी चाहिए। ऊबड़-खाबड़ सड़क की चेतावनी भी बोर्ड पर अंकित की जाती है। सड़क पर बायें, दायें या घूमने के संकेत बोर्डों द्वारा चालकों को दिए जाते हैं। हमें सड़क पर न तो खेलना चाहिए और न कूड़ा-कर्कट फेंकना चाहिए। भारी गाड़ियों के बीच में से हमें नहीं निकलना चाहिए। यातायात के नियम हमें और दूसरों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।

भारत रत्न-डॉ० अब्दुल कलाम Summary In Hindi

भारत रत्न-डॉ० अब्दुल कलाम Summary In Hindi

“Dr. APJ Abdul Kalam”, widely known as the “People’s President” and the “Missile Man of India,” was one of the most revered and iconic figures in Indian history. Born on October 15, 1931, in Rameswaram, Tamil Nadu, Dr. Kalam rose from humble beginnings to become a distinguished scientist, a visionary leader, and the 11th President of India. His life and career were marked by unwavering dedication to science, education, and the betterment of society. Read More Class 8 Hindi Summaries.

भारत रत्न-डॉ० अब्दुल कलाम Summary In Hindi

भारत रत्न-डॉ० अब्दुल कलाम पाठ का सार :

भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ० अब्दुल कलाम उच्च कोटि के वे वैज्ञानिक हैं जिन्होंने भारत के नाम को विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में ला खड़ा किया है। वे जुलाई, सन् 2002 से जुलाई, सन् 2007 तक देश के राष्ट्रपति पद को सुशोभित करने वाले महान् व्यक्तित्व के स्वामी हैं। इनका जन्म 15 अक्तूबर, सन् 1931 में रामेश्वरम् के धनुष कोटि गाँव में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। अपने पिता की सहायता करने के लिए प्रतिदिन ये अपने बचपन में ही सुबह चार बजे उठ जाते थे। नमाज़ पढ़ने के बाद अपने गणित के अध्यापक से पढ़ने के बाद पैदल तीन किलोमीटर रामेश्वरम् रेलवे स्टेशन से अखबार के बण्डल लाकर घर-घर बांटते और फिर पाठशाला जाते थे।

गाँव से प्राथमिक शिक्षा परी करने के पश्चात् रामनाथपुरम् से मैट्रिक परीक्षा पास की। इन्होंने मद्रास तकनीकी संस्थान से वैमानिकी इंजीनियरी में डिग्री प्राप्त की तथा अंतरिक्ष विज्ञान में कुशलता प्राप्त की। माता-पिता के अतिरिक्त प्रो० विक्रम साराभाई, प्रो० सतीश धवन, प्रो० ब्रह्म प्रकाश, प्रो० एम०जी० मेनन, डॉ० राजा रमन्ना आदि इनके प्रेरणा स्रोत थे। ये एयरफोर्स में पायलट बनना चाहते थे पर ऐसा न कर पाने के बाद इन्होंने उड़ान प्रणाली में काम आने वाले यन्त्र बनाने में अपना पूरा ध्यान लगा दिया। इन्होंने सन् 1963 में भारत की पहली राकेट उड़ान और अन्य उड़ानों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

रोहिणी उपग्रह को अन्तरिक्ष में छोड़ने वाले प्रक्षेपण यन्त्र एस०एल०वी० 3 की सफलता के बाद ये प्रधानमन्त्री के विज्ञान एवं तकनीकी सलाहकार बन गए थे। नाग, अग्नि, पृथ्वी, आकाश, त्रिशूल आदि मिसाइलों की सफलता के बाद इन्हें ‘मिसाइल मैन’ का नाम मिल गया था। इन्होंने मिसाइलों में प्रयुक्त होने वाली धातु कार्बन को विकसित किया। इसी से हैदराबाद निजाम संस्थान के अपंग बच्चों के चलने के लिए इन्होंने छड़ी तैयार की। इनके महान् योगदान के लिए इन्हें पदम् भूषण, पदम् विभूषण और भारत रत्न की उपाधियों से सम्मानित किया गया। इनका देश के युवा वर्ग में दृढ़ विश्वास है और मानना है कि यदि युवा वर्ग अपनी क्षमता से कार्य करे तो भारत सन् 2020 से पहले एक विकसित राष्ट्र बन जाएगा। आज का युवा वर्ग बहुत सजग और सचेत है। उसे एकदूसरे के साथ ज्ञान, धन, खुशी और मुस्कान बांटनी चाहिए। सभी को एक-दूसरे की बुराइयों को नजरअंदाज करना चाहिए और अच्छाइयों से पाठ सीखना चाहिए।

नीरज के दोहे Summary In Hindi

नीरज के दोहे Summary In Hindi

Neeraj Ke Dohe refers to the couplets or short poetic verses composed by the renowned Indian poet, Gopal Das Neeraj. These dohas are characterized by their simplicity, depth, and profound wisdom, often addressing various aspects of life, human nature, and spirituality. Read More Class 8 Hindi Summaries.

नीरज के दोहे Summary In Hindi

नीरज के दोहे दोहों का सार

कवि ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहता है कि हे भगवन् ! तरह-तरह की बुराइयाँ मेरे हृदय में काँटे की तरह चुभ रही हैं। कृपा कर के उन्हें सदा के लिए मिटा दो। मर्यादा और त्याग ही तो राम का नाम है। जिसका मन इन दोनों में लग जाता है वह सदा बुराइयों से दूर हो जाता है। यह सारा संसार इंद्रधनुष के रंग जैसा दिखाई देता है। यह बाहर से अलगअलग तरह का दिखाई देता है पर इसके अंदर तो परमात्मा का एक स्वरूप ही विद्यमान है।

लालच का भाव कभी दान नहीं करने देता और गुस्सा मनुष्य को ज्ञान से दूर करता है। इन दोनों से जब मुक्ति मिल जाती है तभी अपनी पहचान बनती है। धन केवल साधन है। यह मनुष्य के जीवन का अंतिम लक्ष्य नहीं होता। यदि जीवन का लक्ष्य केवल धन बन जाएगा तो यह तुच्छ और व्यर्थ हो जाएगा। हम मनुष्य कितना लंबा जीवन जीते हैं इसका कोई अर्थ नहीं है।

वास्तविकता तो इस बात में है कि हम किस प्रकार जीवित रहते हैं। इस संसार के सारे देश अपना-अपना स्वार्थ पूरा करते हैं। केवल भारत देश ही ऐसा है जो प्राणी मात्र के लिए प्रयत्न करता रहता है। जो हाथ दूध पिलाते हैं साँप तो उन्हें भी डसता है। आप कुछ भी कर लीजिए दुष्ट व्यक्ति कभी भी अपनी दुष्टता नहीं छोड़ सकता। अच्छा व्यक्ति हर स्थिति में अपने गुणों को ही प्रकट करता है। आप किसी फूल को तोड़ो या मसल डालो पर बदले में वह सदा सुगंध ही देता है। जिस घर में माँ निष्ठावान होती है और इसे किसी भी तरह पिता विश्वास का रूप बन जाते हैं वहाँ सदा प्रेम, शांति और सुख ही निवास करते हैं।

तुम भी ऊँचे उठ सकते हो Summary In Hindi

तुम भी ऊँचे उठ सकते हो Summary In Hindi

The phrase “Tum Bhi Unche Ut Sakate Ho” translates to “You Can Also Rise High” in English. This inspirational message underscores the idea that individuals have the potential to achieve great heights and success in their lives, regardless of their background or circumstances. It serves as a reminder that with determination, hard work, and the right opportunities, anyone can overcome challenges and reach their goals. Read More Class 8 Hindi Summaries.

तुम भी ऊँचे उठ सकते हो Summary In Hindi

तुम भी ऊँचे उठ सकते हो पाठ का सार:

खजूर का पेड़ बहुत ऊँचा होता है। वह न जीव-जगत् को छाया प्रदान करता है न ही उसकी लकड़ी अच्छी मानी जाती है। शायद इसी कारण रहीम ने खजूर की निन्दा की है। खजूर का एक उज्ज्वल पक्ष भी है। इसका भी अपना विशेष योगदान है। खजूर के पेड़ का लम्बा-ऊँचा आकार मनुष्य को उसके बौनेपन का आभास कराता है। इसके शिखर को देखने के लिए मनुष्य को अपनी टोपी और पगड़ी सम्भालनी पड़ती है। ये मनुष्य के लिए ऊँचा उठने का सन्देश देता है।

खजूर की जड़ और पत्ते मनुष्य की भलाई में प्रयुक्त होते हैं। अरब देशों में इसकी जड के स्वादिष्ट व्यंजन बनते हैं। मरुस्थल के लोग इसकी लकड़ी से घर बनाते हैं। इसके तनों से नौकाओं का भी निर्माण होता है। इसके वृक्ष से मीठा रस भी निकलता है। इसके रस से गुड़ भी बनाया जाता है। ताड़ी (शराब) भी बनती है।

खजूर के पत्तों से चटाइयाँ बनती हैं। पत्तों से झोंपड़ियाँ और विभिन्न प्रकार की हस्त शिल्प की सुन्दर वस्तुएँ भी तैयार होती हैं। खजूर के फल तो बहुत ही स्वादिष्ट होते हैं। इन्हें स्वास्थ्यवर्धक भी माना जाता है। खजूर की गुठलियाँ पीस कर ऊँटों की खुराक में मिलाई जाती हैं। अधिकतर खजूर के पेड़ शुष्क जलवायु, कड़ी धूप और अल्प वर्षा वाले तथा मरुस्थलीय क्षेत्रों में उगते हैं। इस दृष्टि से भी यह व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों में भी प्रसन्न रहने की प्रेरणा देता है। अतः खजूर एक सर्वगुण सम्पन्न पेड़ है। व्यक्ति को सन्देश देता है कि तुम भी ऊँचे उठ सकते हो।

साइंस सिटी Summary In Hindi

साइंस सिटी Summary In Hindi

A “Science City” typically refers to a website or online platform dedicated to the dissemination of scientific knowledge, research, and information. These websites serve as valuable resources for individuals seeking to explore various scientific disciplines, stay updated on the latest discoveries, and engage with educational content. Read More Class 8 Hindi Summaries.

साइंस सिटी Summary In Hindi

साइंस सिटी पाठ का सार

हमारे देश की स्वतन्त्रता के बाद देशवासियों को वैज्ञानिक सोच प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की अनेक प्रयोगशालाएं विभिन्न नगरों में स्थापित की गई थीं। पंजाब सरकार ने जालन्धर-कपूरथला सड़क पर पंजाब और केन्द्र सरकार ने संयुक्त रूप से 72 एकड़ भूमि पर एक सौ करोड़ रुपए की लागत से साइंस सिटी का निर्माण किया था।

‘पुष्पा गुजराल साइंस सिटी’ नामक इस प्रयोगशाला का शिलान्यास 17 अक्तूबर, सन् 1997 में किया गया था और इसे साधारण जनता के लिए 19 मार्च, सन् 2005 को खोल दिया गया था। इसमें स्पेस थियेटर विशेष महत्त्व का है। यह गोल आकार का है जिसके बाहर 25 लाख विभिन्न रंगों की टाइलों से ग्लोब बनाया गया है। इसमें सामान्य से 10 गुणा बड़ी स्क्रीन और अति उच्च क्षमता के ध्वनि यंत्र लगाए गए हैं। इसी में ग्रहों, तारा मंडल और मंदाकनियों की जानकारी दी जाती है।

फ्लाइट सिम्यूलेटर नामक मशीन से आकाश में उड़ने का अनुभव प्राप्त किया जा सकता है। इसमें अर्थक्यूक सिम्यूलेटर मशीन की सहायता से भूकम्प के असली झटकों का अहसास किया जा सकता है। भूकम्प आते ही किन सावधानियों का प्रयोग किया जाना चाहिए, उसे यहाँ अच्छे ढंग से सिखाया जाता है। विशेष किस्म की ऐनकों से थ्री डी फिल्म देखने का अनूठा अनुभव भी यहाँ किया जा सकता है। लेज़र किरणों से विशेष प्रकार का शो किया जाता है। सन् 1960 में थोडर मेमाईन के द्वारा खोजी गई लेज़र किरणों से आँख के उखड़े हुए रैटीना को भी वापस अपने स्थान पर जोड़ा जा सकता है। यहाँ बनाए गए ‘अमेजिंग लिविंग मशीन’ नामक गैलरी में प्रवेश करते ही 12 फुट ऊँचे दिल का मॉडल दिखाई देता है और हृदय की धड़कन सुनाई देती है।

पारदर्शी मनुष्य के थियेटर में मानव शरीर के सभी अंमों की प्रक्रिया देखी और समझी जा सकती है। यहाँ सी०टी० स्कैन और ऑपरेशन भी मॉडलों की सहायता से किए जा सकते हैं। एच०आई०वी० एड्स से संबंधित एक अलग गैलरी बनाई गई है। ‘फन साइंस नाम’ की गैलरी में मूल वैज्ञानिक सिद्धान्तों को मनोरंजक ढंग से समझाया जाता है। वोर टैक्स की घूमन-धेरी से एक जगह खड़े रह कर भी घूमने का अनुभव किया जा सकता है। वरचुअल रिएलटी गैलरी और मेकअप के द्वारा अद्भुत अनुभव प्राप्त किए जा सकते हैं। यहाँ एक झील के बीचों-बीच टापू पर डायनासोर के 45 मॉडल भी हैं जो अपनी ओर खेलने के लिए बुलाते-से प्रतीत होते हैं। ज्वालामुखी का बहुत बड़ा मॉडल विशेष रूप से आकर्षक है।

‘साइंस सिटी’ के एक भाग में सौर ऊर्जा का ही प्रयोग किया जाता है। पनशक्ति केन्द्र में रणजीत सागर डैम से विद्युत् उत्पत्ति का तरीका दिखाने के साथ-साथ परमाणु शक्ति के उपयोगों को भी समझाया गया है। डिफैंस गैलरी में मिगन्टड, विजैन्ता टैंक, एल-टी स्वाति हवाई जहाज़ आदि रखे गए हैं। रात के समय आकाशीय पिंडों को टेलीस्कोप से दिखाने का प्रबन्ध किया गया है। पोलर सैटेलाइट लाँचिंग विहेकल का मॉडल उड़ान भरता हुआ दिखाई देता है।

साइंस ऑफ़ स्पोर्ट्स विभिन्न खेलों के वैज्ञानिक सिद्धान्तों को प्रकट करता है। जापान की बुलेट ट्रेन, कालका-शिमला रेल, दिल्ली की मैट्रो आदि के मॉडल रेलवे गैलरी में प्रदर्शित किए गए हैं। लाइफ श्रू दी एजिज़ से मनुष्य की विकास यात्रा को दर्शाया जाता है। जलवायु परिवर्तन से संबंधित शो भी इसमें दिखाए जाते हैं। वास्तव में ही यह साइंस सिटी सभी के आकर्षण का केन्द्र बनता जा रहा है।

यूटा सागा Summary In Hindi

यूटा सागा Summary In Hindi

“यूटा सागा” in English can be translated as “Utah Saga.” However, without more context, it’s challenging to provide a precise explanation or summary of what “Utah Saga” refers to. Read More Class 8 Hindi Summaries.

यूटा सागा Summary In Hindi

यूटा सागा पाठ का सार:

‘यूटा सागा’ प्राकृतिक आपदा से जुड़ी हुई एक कहानी है। जापान में भूकम्प अधिक मात्रा में आते हैं और समुद्र तल में तीव्र भूकम्प आने से सुनामी उठती है। सुनामी के कारण समुद्री जल स्थल पर तबाही लेकर आता है।

जापान के मियागी प्रान्त के तटवर्ती क्षेत्र के संदुई शहर में चौदह वर्ष का एक लड़का यूटा सागा रहता है। उसकी माँ अयूमी आँसूगा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है और पिता ओसामु दाज़ाई फुकुशिमा न्यूक्लियर पावर प्लांट में काम करते हैं। उनके घर में सम्पन्नता है। एक दिन अचानक भूकम्प आया। भूकम्प जोर से आया था। आसपास का सब कुछ हिलने लगा था। टेलीविज़न पर ‘सुनामी वार्निंग सेंटर’ से सुनामी से सम्बन्धित चेतावनी जारी करने की सूचना आ रही थी कि बिजली चली गई। यूटा ने रेडियो पर सुना। भूकम्प की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8.9 थी जिसके कारण जान लेवा समुद्री लहरें तटीय क्षेत्रों की ओर तेजी से बढ़ रही थीं।

तरंगों को तट तक पहुँचने में केवल बारह मिनट बचे थे। यूटा ने अपनी मां का हाथ पकड़ा। वह बोला कि उनका घर सुनामी से बचने के लिए सुरक्षित नहीं था। वे दोनों तेज़ी से सड़क पर जूनियर हाई स्कूल की इमारत की ओर भागने लगे। वह इमारत आसपास की इमारतों में सबसे ऊँची थी। स्कूल की सीढ़ियाँ उन वृद्ध लोगों से अटी पड़ी थीं जो ऊपर चढ़ नहीं पा रहे थे। सीढ़ियों पर गिरी एक औरत ने यूटा का हाथ थाम कर कहा कि वह कम-से-कम उसके छोटे बच्चे को तो ऊपर ले जाए। यूटा ने बच्चे को गोद में लिया और अपनी माँ के साथ तीसरी मंजिल पर सुरक्षित जा पहुँचा। फिर वह भाग कर नीचे गया और बच्चे की माँ को भी खींचता हुआ ऊपर की ओर लपका। उसी समय सुनामी की भयंकर लहरें वहां पहुंच गईं पर यूटा उस औरत को ऊपर ले आया था। बच्चा अब अपनी माँ की गोद में था। सुनामी की तीस फुट ऊँची लहरें सब कुछ लील गई थीं।

एयरपोर्ट पर खड़े हवाई जहाज, लोगों से भरी रेलगाड़ी, कारें और लोग सब एक साथ बहे जा रहे थे। सारा शहर डूबता-सा दिखाई दे रहा था। अगले दिन बचाव कर्मियों ने स्कूल की इमारत में सुरक्षित लोगों को अस्थाई शरण-स्थल में पहुँचा दिया था। लाखों लोग बेघर हो गए थे। वे रोटी-पानी के लिए परेशान थे। यूटा के पिता उन्हें ढूंढ़ते हुए उन तक पहुँच गए थे। यह उनके धैर्य और संकल्प की घड़ी थी। पिता को कुछ ही देर बाद वापस न्यूक्लियर पावर प्लांट में वापस जाना था। सुनामी के कारण प्लांट के रिएक्टरों के कूलिंग सिस्टम की बिजली आपूर्ति रुक गई थी जिससे परमाणु ईंधन ठंडा नहीं रह पाया।

रिएक्टरों का तापमान तेजी से बढ़ने के कारण उनमें विस्फोट हो गया जिससे रेडिएशन सामान्य से कई गुणा निकलने लगा था। इससे जापान को ही नहीं बल्कि अन्य देशों को भी खतरा था। फुकुशिमा के पाँच लाख लोग शहर छोड़ चुके थे। एक लाख अस्सी हज़ार लोगों को शहर से दूर राहत शिविर में पहुँचाया गया था। परमाणु विकिरण से त्वचा पर जलन, ठंड लगना, आँखों में जलन, बुखार, अस्थमा, खाँसी, बोन तथा फेफड़ों के कैंसर का भय था। प्लांट में दो सौ कर्मचारी अपनी जान खतरे में डाल कर चार शिफ्ट में काम कर रहे थे। पिता ने यह भी कहा कि उन्हें पता नहीं था कि वे प्लांट से जीवित वापस आएंगे या नहीं।

अयूमी ने अपने पति का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि उन्हें पता ही था कि जापानी भाषा ‘फु कुशिमा’ का शाब्दिक अर्थ है ‘भाग्यशाली द्वीप’। इसलिए वहाँ आई मुसीबत से रक्षा करने वाले भाग्यशाली ही हुए। ऐसी आपदाएँ उनके राष्ट्रीय चरित्र को नहीं तोड़ सकती थीं। देश प्रेम ही उनकी सबसे बड़ी सम्पत्ति थी। यूटा ने भी अपने पिता को परमाणु योद्धा (न्यूक्लियर निंजा) कहते हुए उन्हें विदा किया।