“Antariksha Pari Kalpana Chawla” translates to “Space Fairy Kalpana Chawla” in English. This phrase pays tribute to the inspiring and legendary astronaut, Dr. Kalpana Chawla, who broke barriers and reached for the stars. Dr. Kalpana Chawla, an Indian-American astronaut, made history as the first woman of Indian origin to travel to space. Her remarkable journey from a small town in India to the vast expanses of space serves as a symbol of determination, courage, and the pursuit of dreams. Read More Class 8 Hindi Summaries.
अंतरिक्ष परी : कल्पना चावला Summary in Hindi
अंतरिक्ष परी : कल्पना चावला पाठ का सार
‘अन्तरिक्ष परी : कल्पना चावला’ शीर्षक पाठ डॉ. सुनील बहल द्वारा रचित है। इसमें लेखक ने अन्तरिक्ष परी कल्पना चावला के बारे में बताया है। प्रत्येक मनुष्य सपने देखता है किन्तु सपने पूरे करने के लिए अनथक परिश्रम, दृढ़ निश्चय, आत्मविश्वास एवं एकाग्रता की अत्यंत आवश्यकता पड़ती है। इन्हीं गुणों से कल्पना चावला ने अपने सपनों को पूरा किया। उनका मानना था कि सपनों में सफलता की ओर जाने की राह होती है।
इनका जन्म 1 जुलाई, सन् 1961 ई० में हरियाणा राज्य के करनाल के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। इनकी माँ का नाम श्रीमती संज्योति तथा पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला है। कल्पना चावला अपने परिवार में चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थी। घर में उसे प्यार से मोंटू कह कर बुलाते थे। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा टैगोर बाल निकेतन स्कूल में हुई। वह बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति की थी। उनका बचपन से आसमान में उड़ने का सपना था।
उन्होंने आठवीं कक्षा में ही अपने माता-पिता से इंजीनियर बनने की इच्छा जाहिर की। सन् 1978 ई० में कल्पना ने प्री इंजीनियरिंग पास की। सन् 1982 ई० में पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज चण्डीगढ़ से ऐरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने अमेरिका जाकर स्नातकोत्तर की डिग्री टैक्सास विश्वविद्यालय से प्राप्त की। वहीं जीन पियरे हैरिसन उसके मित्र बन गए जो फ्लाइंग क्लब का छात्र थे।
कल्पना भी उसके साथ फ्लाइंग क्लब में जाने लगी। सन् 1983 ई० में कल्पना तथा हैरिसन का विवाह हो गया। सन् 1988 ई० में कल्पना ने कोलोराडो विश्वविद्यालय से ऐरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएच०डी० की डिग्री प्राप्त की। सन् 1993 ई० में अमेरिका में कैलिफोर्निया की कम्पनी मेथडस इन्कॉर्पोरेशन में उपाध्यक्ष पर कार्य किया। सन् 1994 में नासा में उन्हें अन्तरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया। इससे कल्पना को बहुत खुशी हुई। इससे उनका आत्मविश्वास और अधिक बढ़ गया। 16 मार्च, सन् 1995 ई० को कल्पना चावला ने एक वर्ष तक प्रशिक्षण शुरू किया। इसके बाद उनकी नियुक्ति अंतरिक्ष यात्री के प्रतिनिधि के रूप में हुई। 19 नवम्बर, सन् 1997 ई० को भारतीय समयानुसार दोपहर 2:37 बजे कल्पना ने अपने दल के साथ एस० टी० एस० 87 अन्तरिक्ष यान द्वारा अपनी पहली उड़ान भरी। यह मिशन 17 दिन, 16 घंटे, 32 मिनट अन्तरिक्ष में रहकर पृथ्वी पर लौट आया।
इसमें अन्तरिक्ष में 161 भारहीनता से भौतिक क्रियाओं को प्रभावित करने वाले परीक्षणों पर जोर दिया गया। कल्पना ने दूसरी उडान 16 जनवरी, सन 2003 को अन्तरिक्ष यान कोलम्बिया से शुरू की। इस मिशन में अन्तरिक्ष में 80 परीक्षण एवं प्रयोग किए गए। यह अन्तरिक्ष यान 16 दिनों के बाद लौट रहा था कि अचानक 1 फरवरी, सन् 2003 को पृथ्वी से 63 किलोमीटर की ऊँचाई पर बड़े धमाके के साथ टूटकर बिखर गया जिसमें कल्पना सहित छ: अन्य अन्तरिक्ष यात्री अन्तरिक्ष में विलीन हो गए। इस घटना ने सारे विश्व को झकझोर कर रख दिया।
सारा संसार दुःख के सागर में डूब गया। कल्पना के परिवार के सदस्य भी उनके स्वागत के लिए अमेरिका पहुँच चुके थे। वे उनके इंतज़ार में थे किन्तु कल्पना सभी को रोता छोड़कर कल्पनाओं में खो गई। वास्तव में कल्पना युवाओं की प्रेरणा स्रोत रहेगी।