मेरा दम घुटता है Summary in Hindi

“Mera Dum Ghutta Hai” is a popular Hindi phrase that translates to “I’m out of breath” in English. This expression is often used to convey a sense of exhaustion or being overwhelmed by a situation. It encapsulates the feeling of being physically or emotionally drained, unable to cope with the demands of life or a particular circumstance. Read More Class 8 Hindi Summaries.

मेरा दम घुटता है Summary in Hindi

मेरा दम घुटता है पाठ का सार

‘मेरा दम घुटता है’ नामक शीर्षक की एकांकी पंकज चतुर्वेदी द्वारा लिखित है। इसमें लेखक ने वायुमंडल में बढ़ रहे प्रदूषण के प्रति चिन्ता व्यक्त की है। पर्दे पर चारों तरफ़ हरे-भरे पेड़ खड़े हैं। दूर तक कोई बस्तियाँ या इन्सान दिखाई नहीं दे रहे। यहां हवा की कई घटक गैसों की सभा चल रही है। इस सभा में ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड तथा ओजोन है। शहर से दूर फलों का बगीचा था।

सभा के प्रारम्भ में नाइट्रोजन ने सभी का बैठक में स्वागत किया। इसकी अध्यक्ष ऑक्सीजन थी जो पृथ्वी जीवन की मूलाधार है। ऑक्सीजन के अनुसार आज उसके जीवन को ही ख़तरा बना हुआ है। हाइड्रोजन ने कहा कि उसके बिना उसकी हालत ख़राब है। दोनों के साथ रहने से ही पृथ्वी पर पानी उपलब्ध है। दुनिया का आधे से अधिक भाग में पानी है। पानी के बिना जीवन भी सम्भव नहीं है।

ऑक्सीजन ने बताया कि आज वायु का अस्तित्व खतरे में है। नाइट्रोजन ने बताया कि इस सभा के लिए कोई भी सुरक्षित जगह नहीं मिल रही थी। चारों तरफ़ काली पीली जहरीली गैसें हमला कर देती थीं। ऐसा लगता है कि कहीं हमारा बहुमत ही खत्म न हो जाए। जहरीली गैसों के कारण उनकी सेहत बिगड़ रही है। ऑक्सीजन ने कहा कि चारों तरफ़ धुआँ ही धुआ है। स्कूटर, बस, ट्रैक्टर, चिमनी, कारखाने आदि से विषैली गैसें एवं धुआँ निकल रहा है।

नाइट्रोजन ने बताया कि उसे स्वयं जगह तलाशने में बहुत मुश्किलें आई। ऑक्सीजन ने बताया कि पिछले समय के गाँव अच्छे थे। नाइट्रोजन ने कहा कि उस गाँव में सड़क बन रही है। वहाँ बहुत तारकोल गर्म हो रहा था; काला धुआँ निकल रहा था। चारों तरफ़ धुआँ ही धुआँ था। हाइड्रोजन ने कहा कि सिगरेट, बीड़ियों का धुआँ हमारा तो नुकसान करता है, धरती पर रहने वाले लोगों को भी बीमार कर रहा है।

यहां आदमी खुद का नुकसान खुद कर रहे हैं। इससे मनुष्य को दमा, साँस से सम्बन्धित रोग, फेफड़ों के रोग, त्वचा सम्बन्धी बीमारियाँ सभी तो इसी वायु प्रदूषण से ही हो रही हैं। नाइट्रोजन ने बताया कि वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड बहत तेज़ गति से बढ़ रही है। चारों तरफ़ कारखाने, गाड़ियाँ इसे छोड़ रहे हैं।

कार्बन डाइऑक्साइड कहने लगी कि वह तो वायुमंडल में केवल आधी प्रतिशत से भी कम थी, परन्तु मानव जाति ने मेरी मात्रा को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है। मेरे साथ-साथ कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। जो मानव जीवन का नुकसान कर रही है।

ओज़ोन कहने लगी कि उसकी मात्रा बहुत कम है। मानव इससे निरन्तर छेड़खानी कर रहा है।

सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से लड़ने की शक्ति मुझ में ही है। उसकी अनुपस्थिति में ये किरणें धरती के लोगों को अनेक बीमारियों का शिकार बना लेती हैं। धरती से दस से पंद्रह किलोमीटर उँचाई पर वायुमंडल में ओज़ोन की पहली परत है। रासायनिक गैस के कारण ओज़ोन की सुरक्षा परत टूटती-फूटती जा रही है। हाइड्रोजन ने बताया कि स्वीडन में वर्षा होने पर जल के साथ तेज़ाब बरस रहा है। इंग्लैण्ड के कारखानों ने ऊँची-ऊँची चिमनियां लगा ली हैं।

उनका धुआँ स्वीडन तक पहुँच जाता है। इनसे नाइट्रोजन ऑक्साइड तथा सल्फर डाइऑक्साइड गैसें निकलती हैं। इतना ही नहीं हमारे देश में भी ऐसी बारिश होने की संभावना है। इसी से धरती का तापमान बढ़ रहा है। ऑक्सीजन ने कहा कि कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने का उपाय है कि अधिक-से-अधिक पेड़ लगाए जाएं।

नाइट्रोजन से कहा कि पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती मात्रा को प्रकाश संश्लेषण की क्रिया से सोख लेते हैं और ऑक्सीजन मुक्त करते हैं।

ऑक्सीजन आदमी द्वारा पेड़ों पर दवाई छिड़कने से परेशान है। हाइड्रोजन रसायनों के प्रयोग से चिन्तित जिनके कारण रसायन वायुमण्डल में घुल रहे हैं। यदि ऐसा ही रहा तो वायुमण्डल अधिक दूषित हो जाएगा।

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