“आत्म बलिदान” एक महान आदर्श है जो व्यक्ति या समुदाय के लिए अपनी जीवन की बलिदान करने का प्रतीक है, जिससे समाज में सेवा और परोपकार की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है। Read More Class 6 Hindi Summaries.
आत्म बलिदान Summary In Hindi
आत्म बलिदान लघु नाटिका का सार
आकाश में घने काले बदल छाए हुए थे। कुछ समय बाद तेज वर्षा होने लगी धौम्य ऋषि ने अपने शिष्य आरुणी को अपनी चिंता से परिचित कराया कि ऐसे ही मूसलाधार वर्षा होती रही तो खेत की मेंड़ टूट जाएगी। आरुणी मेंड़ को टूटने से बचाने के लिए चला गया पर वह संध्या होने तक वापस नहीं लौटा। ऋषि का दूसरा शिष्य उपमन्यु वर्षा रुकने के बाद कुटिया में वापिस आया। उसने फूल लाने के लिए बाहर जाना चाहा तो ऋषि ने बताया कि आरुणी वहीं था और फूल अवश्य ले आया होगा। बाद में ऋषि को याद आया कि उन्होंने उसे मेंड़ देखने के लिए भेजा था। धौम्य ऋषि और उपमन्यु दोनों तेजी से खेत की ओर गए।
आवाज़ देने पर पीछे वाले खेत से आरुणी की आवाज़ आई। वहां मेंड की जगह आरुणी ठंड से कांपता हुआ लेटा था। उसने बताया कि पानी के तेज बहाव के कारण मेंड़ बह गई थी और मिट्टी से उसे रोकना कठिन था। खेत का मिट्टी की रक्षा के लिए वह उसे स्वंय लेट गया था। ऋषि धौम्य उसकी कर्तव्यनिष्ठा और गुरु भक्ति से अपार प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया।
Conclusion:
इस आत्म बलिदान के आदर्श से हमें यह सिखने को मिलता है कि सेवा और समर्पण समाज के सुधारने में महत्वपूर्ण हैं और हमें अपने जीवन को दूसरों की सहायता में उपयोगी बनाना चाहिए। इसके माध्यम से हम सभी एक उत्कृष्ट और सामाजिक सदस्य बन सकते हैं जो समृद्धि और संवाद को बढ़ावा देते हैं।