भारत की सांस्कृतिक एकता Summary In Hindi

The cultural unity of India refers to the remarkable coexistence of diverse cultures within the country, despite its multifaceted diversity. India is a nation where people from various castes, religions, languages, and cultures reside, yet they live together with a sense of cultural unity and pride. Read More Class 11 Hindi Summaries.

भारत की सांस्कृतिक एकता Summary In Hindi

भारत की सांस्कृतिक एकता का सार

लेखक कहता है कि देश राष्ट्रीयता का एक आवश्यक उपकरण है। भारत की अनेक नदियों को विभाजक रेखाएँ बतलाकर तथा भाषा और धर्मों एवं रीति-रिवाजों को आधार बनाकर कुछ लोगों ने हमारी राष्ट्रीयता को खंडित करने के लिए भारत को एक देश न कहकर उपमहाद्वीप कहा है। इस तरह उन लोगों ने हमारी राष्ट्रीयता को चुनौती दी है।

लेखक का मानना है कि प्रायः सभी देशों में जाति, भाषा और धर्मगत भेद हैं। जिस देश में भेद नहीं, उसकी इकाई शून्य की भान्ति दरिद्र इकाई है। सम्पन्नता भेदों में ही है। अतः भेदों के अस्तित्व को इन्कार करना मूर्खता होगी और उनकी उपेक्षा करना अपने को धोखा देना होगा। हमारे समाज में भेद और अभेद दोनों ही हैं। हमारे पूर्व शासकों ने अपने स्वार्थ के वश हमारे भेदों का अधिक विस्तार दिया जिससे हमारे देश में फूट पनपे और उनका उल्लू सीधा हो। उन शासकों ने हमारे अभेदों की उपेक्षा की। देश की नदियों को विभाजक रेखा बताने वाले यह भूल गए कि यही नदियाँ तो भारत भूमि को शस्य श्यामला बनाती हैं।

लेखक कहता है कि राजनीति की अपेक्षा धर्म और संस्कृति मनुष्य को हृदय के अधिक निकट हैं। भारतीय धर्मों में भेद होते हुए भी उनमें एक सांस्कृतिक एकता है। भारत में एक धर्म के आराध्य दूसरे धर्म में महापुरुष के रूप में स्वीकार किए गए।

मुसलमान और ईसाई धर्म एशियाई धर्म होने के कारण भारतीय धर्मों से बहुत कुछ समानता रखते हैं। रोमन कैथोलिकों की पूजा-अर्चना, धूप-दीप, व्रत-उपवास आदि हिन्दुओं जैसे ही हैं। ‘मुसलमान’ और ईसाइयों ने यहाँ की संस्कृति को प्रभावित किया तथा यहाँ की संस्कृति से प्रभावित भी हुए। तानसेन और ताज पर हिन्दु मुसलमान समान रूप से गर्व करते हैं। जायसी, रहीम, रसलीन आदि अनेक मुसलमान कवियों ने अपनी वाणी से हिन्दी की रसमयता बढ़ाई है।

जहाँ तक भाषा का प्रश्न है। उत्तर भारत की प्राय: सभी भाषाएँ संस्कृत से निकलती हैं। उर्दू को छोड़कर प्रायः भी भाषाओं की वर्णमाला एक नहीं तो एक-सी है। केवल लिपि का भेद है। भारत की विभिन्न भाषाओं के साहित्य का धूमिल इतिहास धुला-मिला सा है। मीरा, भूषण, संत तुकाराम, कबीर, दादू आदि। सारे भारत में समान रूप से आदर पाते हैं। विदेशी प्रभाव पड़ने पर भी हमारी राष्ट्रीय एकता अक्षुण्ण बनी हुई है।

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