“Desh Ke Dushman” is a thought-provoking and gripping tale that delves into the complexities of patriotism and betrayal. This compelling narrative, written in Hindi, has captivated readers across India with its powerful storytelling and engaging characters. Set against the backdrop of a nation in turmoil, the story unfolds with a perfect blend of suspense, action, and emotion. Read More Class 10 Hindi Summaries.
देश के दुश्मन Summary In Hindi
देश के दुश्मन लेखक-परिचय
जयनाथ नलिन पंजाब के यशस्वी रचनाकारों में से एक हैं। इनकी साहित्य-साधना से पंजाब का नाम अखिल भारतीय स्तर पर अंकित हुआ है। ये एक बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार हैं। इन्होंने कविता, कहानी, निबंध, एकांकी, समीक्षा आदि अनेक विधाओं पर सफल लेखनी चलाई है। एकांकीकार के रूप में तो ये प्रतिभावान लेखक माने जाते हैं। इनके दर्जनों एकांकी आकाशवाणी से प्रसारित हो चुके हैं। दिल्ली रेडियो स्टेशन से प्रसारित नवाबी सनक एकांकी को तो वर्ष का सर्वोत्कृष्ट ब्रॉडकास्ट माना गया था। इनके प्रमुख एकांकी संग्रह हैं- अवसान, धराशायी, नवाबी सनक, शिखर, हाथी के दाँत। इनके द्वारा रचित चर्चित एकांकी हैं-सोने की हथकड़ी, फटा तिमिर उगी किरण, साईं बाबा का कमाल आदि।
देश के दुश्मन पाठ का सार
‘देश के दुश्मन’ जयनाथ नलिन द्वारा लिखित एक राष्ट्रभक्ति की भावना से ओत-प्रोत एकांकी है। इसमें लेखक ने भारतीय रक्षा-सेनाओं की कर्त्तव्यपरायणता, वीरता, त्याग-भावना, निःस्वार्थभावना बलिदान आदि का चित्रांकन किया है। इन वीरों के साथ-साथ इनके परिवार जन भी इन्हीं उदात्त भावनाओं से भरे होते हैं। इन्हीं महान् लोगों के कारण भारतवर्ष अपने दुश्मनों को धराशायी कर आज गर्व से झूम रहा है? इसके माध्यम से लेखक ने ऐसे ही तेजस्वी वीरों, देशभक्तों एवं नौजवानों का अभिनंदन किया है। यह एकांकी बसंत ऋतु के अंत में सुबह साढ़े आठ बजे प्रारंभ होती है जहां मीना कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रही थी। एकांकी में सुमित्रा, मीना, नीलम, चाचा, जयदेव और उपायुक्त पात्र हैं। जयदेव वाघा बार्डर पर सेना में जवान होने के कारण देश की रक्षा के लिए तैनात है।
एक दिन अचानक माँ सुमित्रा माधोराम के घर रेडियो से यह खबर सुनकर चिंतित हो उठी कि वाघा बार्डर पर तस्करों से मुकाबला करते हुए दो सरकारी अफसर मारे गए। इस खबर से माँ का कलेजा भर आया किंतु एक सैनिक एवं राष्ट्रभक्त परिवार होने के नाते मीना इसे गौरव की बात कही और इसे मातृभूमि के प्रति बलिदान बताकर सांत्वना प्रदान की। जयदेव की पत्नी नीलम ने भी कहा कि बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाता। ऐसे दिव्य बलिदान पर तो देवता भी अर्घ्य चढ़ाते हैं कहकर माता जी को धैर्य दिया। माता सुमित्रा भी इसे गर्व एवं गौरव की बात तो मानी किन्तु उसके पति के बलिदान के बाद वह टूट चुकी थी। बस इसी से डर रही थी। इसी कारण अपने बेटे के लिए चिंतित थी।
नीलम और मीना अपनी माता जी का ढांढस बंधाने लगी। तभी घर में उनके चाचा जी का प्रवेश हुआ और उन्होंने जयदेव के छुट्टियों पर आने के बारे में पूछा। सुमित्रा अपने बेटे की चिट्ठी के प्रति चिंतित होकर निराश हो रही थी किंतु चाचा जी ने कहा कि वह अभी-अभी खबर सुनकर आया है कि जयदेव का बाल भी बांका नहीं हुआ। दो सरकारी अफसर मारे गए। इतना ही नहीं अखबार में भी जयदेव की बहादुरी की प्रशंसा छपी है। उसने तस्करों से डटकर मुकाला किया।
चार लोगों को मार गिराया तथा उनसे पाँच लाख रुपये का सोना छीन लिया। यह सुनकर सुमित्रा माँ प्रसन्न हो उठी। तभी मीना अपने भैया के साहस एवं शौर्य की कहानी सुनाने लगी कुछ समय उपरांत जयदेव भी घर पहुंच गया। जयदेव को देखकर मीना, नीलम तथा सुमित्रा प्रसन्नचित हो उठीं। सब अपने-अपने तरीके से उसका अभिवादन करने लगे। जयदेव की बहादुरी एवं शौर्य की खबरें चारों तरफ फैल चुकी थीं। उपायुक्त महोदय भी जयदेव के घर उससे मिलने आए। उन्होंने उसे बताया कि उसके सम्मान में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा जिसमें गवर्नर साहब जयदेव का दस हज़ार का इनाम घोषित करेंगे। इसे सुनकर जयदेव ने उपायुक्त महोदय को कहा कि वे इस राशि को मृत पुलिस अफसरों की विधवाओं को आधा-आधा बांट दिया जाए। जयदेव के इस त्याग और राष्ट्रप्रेम पर उपायुक्त साहब भी गर्व कर चले गए।