“देश-प्रेम” एक गहरे और सजीव भावना है जो हमारे देश और उसके लोगों के प्रति हमारी निष्ठा और आस्था को दर्शाती है। यह एक समर्पण है जो हमारी आत्मा को देश की सेवा में समर्पित करने के लिए प्रेरित करता है और हमें देश के समृद्धि और सुरक्षा के प्रति जिम्मेदारी का आभास कराता है। “देश-प्रेम” हमारे राष्ट्र के समृद्धि और सामर्थ्य के लिए हमारे सभी नागरिकों की ज़रूरत है। Read More Class 6 Hindi Summaries.
देश-प्रेम Summary In Hindi
देश-प्रेम पाठ का सार
‘देश-प्रेम’ विषय पर ‘चित्र बनाओ’ प्रतियोगिता में बच्चों ने भारत के मानचित्र, तिरंगे झंडे, राष्ट्रीय प्रतीकों और नेताओं के चित्र बनाए थे। अध्यापिका ने देश-प्रेम के विषय में बताया कि देश की रक्षा और इसकी उन्नति और विकास में सहयोग देने के देश-प्रेम कहते हैं। माँ हमें जन्म देती है और मातृभूमि हमारे पालन-पोषण में सहायक सिद्ध होती है। देशप्रेम की डोर से सारे देशवासी मोतियों की माता की तरह गुंथे रहते हैं। इसी भावना के कारण देशवासी ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एकजुट हो गए थे।
महात्मा गांधी, तिलक, लाला लाजपत राय, सुभाषचंद्र बोस आदि सब देश-प्रेमी थे। इनके प्रयत्नों से देश 15 अगस्त, सन् 1947 को स्वतंत्र हुआ था। स्वतंत्रता के बाद देश ने बहुत तेजी से विकास किया है। यह देश हमारा है और हमें इसकी संपत्ति की सदा रक्षा करनी चाहिए। अपनी बातों को मनवाने के लिए कभी भी देश की संपत्ति की तोड़-फोड़ नहीं करनी चाहिए।
विद्यार्थियों को एन०सी०सी० और एन०एस०एस० से जुड़ कर देश-सेवा करनी चाहिए। हमें पर्यावरण की रक्षा, प्राकृतिक आपदाओं और विभिन्न दुर्घटनाओं की स्थिति में दूसरों की सहायता में हाथ बंटाना चाहिए। देश के विकास के हर व्यक्ति को अपने-अपने क्षेत्र में परिश्रम और निष्ठा से काम करना चाहिए। युवा पीढ़ी का कर्तव्य है कि वह देश का विकास करने में सहयोग करे।
Conclusion:
देश-प्रेम हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमें अपने देश के प्रति सच्चा समर्पण और सेवा भाव बनाए रखना चाहिए, क्योंकि यह हमारे राष्ट्र की समृद्धि और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।