“ईमानदार बालक” एक उपन्यास है जो मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखा गया था। यह कहानी एक आदर्श और समाजिक संदेश के साथ एक छोटे से गांव के एक ईमानदार बच्चे के जीवन को प्रस्तुत करती है, जो भ्रष्टाचार और निर्वाचनों के माध्यम से सच्चाई को बचाने के लिए संघर्ष करता है। इस उपन्यास से हमें ईमानदारी, साहस, और समाजसेवा की महत्वपूर्ण भूमिका का अद्वितीय दर्शन मिलता है। Read More Class 6 Hindi Summaries.
ईमानदार बालक Summary In Hindi
ईमानदार बालक पाठ का सार
बसंत नाम का एक गरीब लड़का थैले में रख कर सामान बेच रहा था। थैले में बटन, छन्नी, दियासलाई जैसे छोटे-छोटे सामान थे। उसने मज़दूर नेता राज किशोर से कुछ सामान खरीदने का आग्रह किया। वे उससे एक छन्नी लेकर नोट देते हैं। छुट्टे पैसे लेने के लिए वह गया पर काफ़ी समय तक लौट कर नहीं आया। अपने परिचित कृष्ण कुमार के कहने पर वे घर वापस चले गए कि कोई उन्हें ठग कर ले गया। काफ़ी देर बाद प्रताप नाम का एक युवक उनके घर आया। उसने उनके बचे हुए पैसे उन्हें लौटाए और बताया कि बसंत उसका भाई था जो पैसे भुना कर लाते समय एक बस के नीचे आ गया था। उसके दोनों पाँव कुचले गए। उसके माता-पिता पहले ही दंगों में मारे जा चुके थे। राजकिशोर एक डॉक्टर को ले कर उस के घर गए और उसकी ईमानदारी के विषय में डॉक्टर को बताया।
Conclusion:
“ईमानदार बालक” एक उपन्यास है जो हमें ईमानदारी की महत्वपूर्ण भूमिका को समझाता है। इस कहानी के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि ईमानदार और सत्य के प्रति स्थिर रहना हमारे आचारगत और समाजिक जीवन में महत्वपूर्ण है। इससे हमें समाज में सुधार और न्याय की ओर बढ़ने का संदेश मिलता है कि हमें अपने मूल्यों और ईमानदारी पर पकड़ मजबूत रखना चाहिए।