जब मैं पढ़ता था Summary in Hindi

“जब मैं पढ़ता था” एक किताब या कहानी के आरंभिक अनुच्छेद को संक्षेप में दर्शाता है, जो लेखक के पढ़ाई के दिनों की यादें और अनुभवों को साझा करता है। यह कहानी पढ़ाई और शिक्षा के महत्व को प्रमोट करती है।

जब मैं पढ़ता था Summary in Hindi

जब मैं पढ़ता था पाठ का सार

महात्मा गाँधी अपने जीवन के विषय में बताते हैं कि उनके पिता का नाम करमचन्द गाँधी तथा माता का नाम पुतली बाई था। पिता सत्यप्रिय, साहसी और उदार व्यक्ति थे। माता आस्तिक और अच्छे स्वभाव की महिला थीं। पोरबंदर में जन्म लेकर उन्होंने स्कूली शिक्षा राजकोट में प्राप्त की।

जब मैं पढ़ता था Summary Images

बचपन में ‘श्रवणपितृभक्ति’ नामक पिता के द्वारा लाई पुस्तक को पढ़कर और श्रवण कुमार की शीशे में तस्वीर देख श्रवण कुमार की तरह बनने की इच्छा तेज़ हो गई थी। वे हरिश्चन्द्र की सत्यवादिता से बहुत प्रभावित हुए थे। तेरह वर्ष की आयु में उनका विवाह कस्तूरबा से हो गया था। शिक्षा प्राप्ति में उन्होंने सुलेख का महत्त्व समझा। अपने संस्कृत-अध्यापक की प्रेरणा से उन्होंने संस्कृत सीखी। पढ़ाई में ये सामान्य थे। इनका मन व्यायाम करने, क्रिकेट या फुटबाल खेलने में नहीं लगता था। ये अपने पिता की सेवा करना चाहते थे। एक बार आकाश में बादलों के कारण ये समय का ठीक अनुमान नहीं लगा पाए थे और शाम के व्यायाम के लिए ठीक समय पर न पहुँच पाने के कारण इन्हें जुर्माना देना पड़ा था जिसका इन्हें दुख था कि झूठा न होने पर भी उन्हें दंडित किया गया, तब उन्होंने जाना था कि सच बोलने वाले को असावधान भी नहीं रहना चाहिए।

Conclusion:

“जब मैं पढ़ता था” कविता हमें बचपन की पढ़ाई के लम्हों की यादों को जीवंत करती है और शिक्षा के महत्व को महसूस कराती है। इसके माध्यम से हमें ज्ञान और सीखने की महत्वपूर्ण भूमिका का आदर करने का संदेश मिलता है।

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