“नगर की सुंदरता” एक कविता है जो विशेष तरीके से शहरों की जीवंत और विविधता को स्वरूपित करती है। इसके माध्यम से कवि नगर के विचारशीलता, गति, और जीवन की आकर्षण भरी दृश्यरूपता को बयां करते हैं। यह कविता हमें शहरी जीवन की सुंदरता को समझने के लिए एक नए दृष्टिकोण प्रदान करती है।
नगर की सुंदरता Summary in Hindi
नगर की सुंदरता पाठ का सार
महाराज कृष्णदेव विजयनगर को साफ़-सुथरा और सुन्दर बनाना चाहते थे। उन्होंने अपने मन्त्री को अपनी इच्छा बताई। महाराज की आज्ञा का पालन करते हुए मन्त्री विजयनगर को सजाने-सँवारने में लग गया। कुछ ही दिनों में विजयनगर की सुन्दरता की चर्चा दूर-दूर तक होने लगी। दूर-दूर से लोग उसकी सुन्दरता को देखने के लिए आने लगे। इससे महाराज बहुत ही खुश हुए। उन्होंने विजयनगर की सुन्दरता के बारे में दरबारियों की राय माँगी तो सभी दरबारियों ने एक ही स्वर में कहा कि विजयनगर की सुन्दरता में हमें कोई कमी नहीं दिखाई। देती। सभी ने विजयनगर की प्रशंसा की, लेकिन तेनालीराम चुपचाप बैठा रहा। उसे चुप बैठे देखकर महाराज ने कहा, “तेनालीराम, चारों ओर विजयनगर की प्रशंसा हो रही है, लेकिन तुम गुमसुम क्यों हो ?” तेनालीराम ने कहा कि महाराज विजयनगर की सुन्दरता में कुछ कमी रह गई है।
महाराज के पूछे जाने पर कि क्या कमी रह गई है, तेनालीराम ने इसके उत्तर में कहा कि उस कमी को देखने के लिए आपको मेरे साथ नगर का भ्रमण करना पड़ेगा। महाराज ने कहा कि यदि तुम कमी को सिद्ध नहीं कर पाए तो तुम्हें मृत्यु दण्ड दिया जाएगा। तेनालीराम महाराज को लेकर एक बस्ती की ओर गये। बस्ती में पहुँचने पर मंत्रियों के चमचे तो महाराज की जय-जयकार करने लगे, लेकिन प्रजा में कोई उत्साह नहीं था। आगे बढ़ने पर महाराज ने अँधेरा ही अँधेरा देखा, वहाँ का माहौल बहुत-ही गन्दा था, लोग तरह-तरह की बीमारियों से पीड़ित थे। प्रजा को दुखी देखकर महाराज का दिल रो पड़ा। उन्होंने दुखी होकर तेनालीराम की ओर देखा।
तेनालीराम ने बताया कि नगर को सुन्दर बनाने के प्रयास में प्रजा की अनदेखी हुई है। महाराज ने तुरन्त आदेश दिया कि प्रजा के सुन्दर जीवन के बिना विजयनगर की सारी सुन्दरता बेकार है। अत: नगर की गन्दी बस्तियों को साफ़ किया जाए, बीमारों का इलाज करवाया जाए और बढ़े हुए करों को वापिस ले लिया जाए। महाराज के आदेश को तुरन्त अमल में लाया गया। नगर को सुन्दर बनाने का अभियान चल पड़ा। तेनालीराम का भी बहुत मान-सम्मान होने लगा।
Conclusion:
“नगर की सुंदरता” कविता हमें शहरों की जीवंत और विविध जीवनशैली की महत्वपूर्ण भूमिका को याद दिलाती है। यह हमें शहरों में छुपी सुंदरता को देखने और महसूस करने की प्रेरणा देती है।