मन के जीते जीत Summary in Hindi

“Man Ke Jeete Jeet” is a Hindi phrase that translates to “Victory of the Mind” in English. This concept emphasizes the power of one’s mindset and inner strength in overcoming challenges and achieving success. It underscores the idea that a determined and positive mind can conquer any obstacles in life. Read More Class 8 Hindi Summaries.

मन के जीते जीत Summary in Hindi

मन के जीते जीत पाठ का सार

‘मन के जीते जीत’ लेखक डॉ० सुनील बहल द्वारा लिखित है। इसमें लेखक ने मन पर विजय पाने से ही सफलता मिलती है-इसका वर्णन किया है। जीवन में छोटी-बड़ी परेशानियां सबके जीवन में आती हैं। हम उनके आने से निराश हो जाते हैं। सभी के जीवन में मुश्किल घड़ियां आती हैं किन्तु इन पर वही विजय प्राप्त करते हैं जो मुश्किलों के सामने घुटने नहीं टेकते बल्कि उनका साहस के साथ मुकाबला करते हैं।

दुनिया में सामान्य लोगों ने ही नहीं बल्कि विकलांग लोगों ने भी ऐसा साहस दिखाया है, जिसके कारण उनकी विकलांगता उनके सामने झुक गई। त्रेतायुग में अष्टावक्र विकलांग हुए जो आठ जगह से टेढ़े थे। एक बार उन्हें राजा जनक के दरबार में देखकर सब हँसने लगे तो अष्टावक्र ने उन्हें बताया कि गन्ने के टेढ़े-मेढ़े होने से उसकी मिठास कम नहीं होती न फूल की पंखुड़ी टेढ़े होने से उसकी खुशबू खत्म होती है, न नदी की धारा टेढ़ी होने से उसका जल दूषित होता है। यह सुनकर राजा जनक तथा दरबारी बहुत लज्जित हुए और उसकी विदवता के सामने नतमस्तक भी हुए।

हिंदी-साहित्य में भक्तिकाल में सूरदास जो जन्म से ही अन्धे थे। किन्तु उन्होंने श्री कृष्ण की लीलाओं का बहुत ही सजीव वर्णन किया है जो संसार में दुर्लभ है। इसी तरह जायसी भी एक आँख और एक कान से रहित थे। शेरशाह के उपहास उड़ाने पर उन्होंने उनको कहा था कि तुम मुझ पर हँसों अथवा उस ईश्वर पर जिसने मुझे बनाया है। इससे शेरशाह बहुत लज्जित हुए थे। जायसी का महाकाव्य पद्मावत बहुत प्रसिद्ध है। नेत्रहीन एवं गरीब मिल्टन कभी जीवन से निराश नहीं हुए इसीलिए अंग्रेजी साहित्य में उनका अद्वितीय स्थान रहा।

भारतीय सिनेमा में रवीन्द्र जैन की दृढ़ इच्छा शक्ति, एकाग्रता और आत्म विश्वास के आगे अपनी विकलांगता को भी हरा दिया। वे अद्भुत संगीतकार थे। इन्होंने रामानंद सागर द्वारा प्रसारित ‘रामायण’ में भी संगीत दिया। इसके साथ अलिफ लैला, जय हनुमान, श्री कृष्ण आदि महान् धारावाहिकों में सभी कर्णप्रिय संगीत दिया।

विश्व के महान् आविष्कारक थामस अल्वा एडीसन सुनने की श्रवण शक्ति खो चुके थे। किन्तु वे जीवन से निराश नहीं हुए। उन्होंने अपने साहस के बल पर हजारों आविष्कार किए। बिजली के बल्ब का आविष्कार उनकी बड़ी उपलब्धि है। तीन वर्ष की आयु में नेत्रहीन हो जाने वाले लुई ब्रेल भी अपनी इच्छा शक्ति के बल पर नेत्रहीन स्कूल में पढ़े और अध्यापक बने। उन्होंने अपने अनथक प्रयासों से नेत्रहीनों के किए ब्रेल नामक लिपि का आविष्कार किया जो दुनिया में आज भी प्रयुक्त हो रही है।

महान् समाज सेवी बाबा आम्टे को कौन नहीं जानता। वे भयंकर अस्थि विकलांगता से पीड़ित थे किन्तु फिर भी इन्होंने सारी उम्र कुष्ट रोगियों की सेवा की। इनको समाज सेवा के कारण ही भारत सरकार ने सन् 1971 ई० में पदम्श्री तथा सन् 1986 ई० में पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया। भारतीय क्रिकेट में भी विकलांग होने के बावजूद स्पिनर चंद्रशेखर ने क्रिकेट में अपनी जगह बनाई। उनका एक हाथ पोलियोग्रस्त था किन्तु वे उसी हाथ से गेंदबाजी करते थे। उन्होंने भारतीय टीम की ओर से 58 टैस्ट मैच तथा 7199 रन देकर 242 विकट लिए। उन्हें अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया गया।

भारतीय इतिहास में वीर राणा सांगा, जिन्होंने बचपन में अपनी एक आँख खो दी थी, अपने वीरता बल एवं साहस से दुनिया में अपनी ताकत का लोहा मनवाया। युद्ध में एक पैर और हाथ भी खो दिया पर वे इससे बिल्कुल भी घबराये नहीं। इन्होंने इब्राहिम लोदी जैसे अनेक विरोधियों को हराया।

इसी तरह महाराजा रणजीत सिंह की चेचक के कारण एक आँख खराब थी किन्तु फिर भी उन्होंने उन्नीस वर्ष की आयु में लाहौर पर अधिकार कर लिया था और धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर, अमृतसर, मुलतान, पेशावर आदि क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। उन्हें कुशल प्रबन्ध, वीरता, न्यायप्रियता, दयालुता और दानशीलता के कारण जाना जाता है।

इस प्रकार यदि मनुष्य के दिल में कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो मुसीबतें हार जाती हैं इसलिए हमें अपने आत्म-विश्वास, दृढ़ निश्चय, चित्र की एकाग्रता और अपनी शक्तियों को केंद्रित करके अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ना चाहिए। यह सत्य है कि ईश्वर भी केवल साहसी लोगों की ही सहायता करते हैं।

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