मातृ-दिवस Summary In Hindi

“मातृ-दिवस” एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है जो मातृत्व, मातृशक्ति, और मातृभूमि की महत्वपूर्ण भूमिका को मनाता है। यह दिन मातृकला की महत्वपूर्णता को समझाने और मातृप्रेम का मान्यता देने के रूप में मनाया जाता है। यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिष्ठान है जो मातृत्व के महत्व को उजागर करता है। Read More Class 7 Hindi Summaries.

मातृ-दिवस Summary In Hindi

मातृ-दिवस पाठ का सार

‘मात-दिवस’ नामक पाठ में लेखक ने माता के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए ‘मातृदिवस’ मनाने की परम्परा का वर्णन किया है। लेखक के अनुसार माता अनेक कष्ट सहकर बच्चे को जन्म देती है और उसका बचपन से बुढ़ापे तक ध्यान रखती है। शिशु की मुस्कान माँ के हृदय-कमल को खिला देती है। इसलिए कहते हैं ‘माँवाँ ठंडियाँ छावाँ’ तथा ‘मातृ देवो भव।’ माँ के इसी महत्त्व को स्वीकार करते हुए ईसाई धर्म में वर्ष का एक दिन ‘मदर्स डे’ या ‘मातृ-दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, जिसका आरम्भ यूनान में हुआ था। यूनानी और रोमवासी देवताओं की माता ‘रेहया’ की उपासना मार्च में करते थे और उन्हें ‘ग्रेट मदर’ मानते थे। बाद में यह उत्सव गिरिजा घरों में भी मनाया जाने लगा। प्रारंभ में इसे ‘ईस्टर’ से एक-सवा महीने पहले अप्रैल में मनाते थे तथा बच्चे भी अपने विद्यालयों या कार्यस्थलों से लौट आते थे और माता के लिए विशेष भेंट लाते थे।

मातृ-दिवस Summary

‘मदर्स डे’ अमेरिका में सुश्री अन्ना जारबिस के प्रयत्नों से फिलाडेलफिया के गिरिजाघर में 10 मई, सन् 1908 ई० को पहली बार मनाया गया था। यूनान में फूल मार्च में और अमेरिका में मई में खिलते हैं, इसलिए ‘मदर्स डे’ अमेरिका में मई में मनाया गया। अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विलसन ने सन् 1914 ई० में अमेरिकी कांग्रेस में मई महीने के दूसरे रविवार अथवा मई महीने के दूसरे रविवार को ‘मदर्स डे’ मनाने का प्रस्ताव पारित कराया था। अब वहाँ 8 मई को यह दिन सार्वजनिक रूप से मनाया जाता है। बच्चे माँ को सफेद, गुलाबी और लाल रंग के फूल भेंट करते हैं। सफेद फूल माँ के हृदय की पवित्रता, गुलाबी फूल माँ का सब के प्रति सद्व्यवहार तथा लाल फूल माँ के कष्ट सहन करने का प्रतीक माना जाता है।

आजकल मदर्स डे इंग्लैंड, डेनमार्क, स्वीडन, मैक्सिको, चीन और भारत में भी मनाया जाता है। इसे ये देश मई की 8 तारीख, मई के पहले रविवार, मई के दूसरे रविवार अथवा 12 मई को अपनी सुविधानुसार मनाते हैं। अमेरिकी स्कूलों में बच्चे मई के दूसरे शुक्रवार को ‘मात दिवस’ मनाकर शनि, रविवार अपने घर पर मनाते हैं। जिन की माँ नहीं होती वे अपनी दादी, नानी, मौसी, मामी, ताई,चाची, भाभी को पुष्प भेंट कर उन्हें माँ का सम्मान देते हैं। घर न जा सकने पर बधाई पत्रों से माँ को संदेश भेजा जाता है। एक-दूसरे को भी ‘मदर्स डे’ पर बधाई-पत्र भेजे जाते हैं । समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर भी इस दिन को मनाया जाता है।

‘मदर्स डे’ के बधाई पत्रों पर माता मेरी की गोद में बैठे बालक ईसा मसीह का चित्र बना होता है। समाचार पत्र में एक विज्ञापन था- ‘माँ की गोद है बड़ी प्यारी, संसार के सब सुखों से न्यारी’ एक अन्य विज्ञापन था- ‘भाभी जी! आपने हमारे महान् पिता श्री रामलाल ग्रोवर जी को खो देने पर भी अत्यंत साहस दिखाकर हमारा पालन-पोषण किया। हम आपके तथा पूज्य पिता जी के चरण चिह्नों पर चलने के लिए आशीर्वाद माँगते हैं। पवित्र गुरुवाणी भी कहती है

“पूता माता की आशीस
निमख न विसरो तुमको
हर हर, सद भजो जगदीश”

Conclusion:

“मातृ-दिवस” का संग्रहण हमें मातृकला के महत्व को समझने और मातृप्रेम की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह हमारे समाज में मातृत्व की महत्वपूर्णता को उजागर करता है और हमें याद दिलाता है कि मातृशक्ति हमारे समृद्धि और समृद्धि के पीछे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस दिन का मनाना हमारे मातृओं का सम्मान करने का अच्छा मौका होता है और हमें उनके संगठनशील प्रेम का मान्यता देने के रूप में काम करता है।

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