“Metro Rail Ka Suhana Safar,” which translates to “A Pleasant Journey on the Metro Rail,” is a charming and insightful narrative that takes readers on a delightful exploration of the modern urban transportation experience. The metro rail system has become a lifeline in many bustling cities, and this summary aims to capture the essence of the comfort, convenience, and efficiency it offers to commuters. Read More Class 8 Hindi Summaries.
मैट्रो रेल का सुहाना सफर Summary in Hindi
मैट्रो रेल का सुहाना सफर पाठ का सार
मैट्रो – रेल का सुहाना सफ़र लेखक महेश कुमार शर्मा द्वारा लिखित है। इसमें लेखक ने मैट्रो रेल की सुहानी यात्रा का वर्णन किया है। राष्ट्रीय खेलों में पंजाब की योग टीम में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली आई जहाँ वह झलकरी बाई राजकीय उच्चतर विद्यालय अशोक विहार में ठहरी थी। पूरी टीम बहुत खुश थी क्योंकि उनके गुरु जी ने उनके प्रथम आने पर मैट्रो – रेल के सुहावने सफर का उपहार देने को कहा था। टीम ने पूरे देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। अगले दिन बच्चे मैट्रो – रेल से लाल किला देखने गए। वे कन्हैया नगर स्टेशन पर गए।
एक बच्चे की बात सुनकर गुरु जी ने बताया कि दिल्ली में मैट्रो-रेल परिस्थिति और सुविधानुसार चलाई जाती है। उसकी पटरी ज़मीन या सड़क पर पुल बनाकर या सुरंग खोदकर बिछाई गई है। यह सुनकर प्रतिभा ने गुरु जी से अपनी गाड़ी का रास्ता पूछा। गुरु जी ने गाड़ी में बैठकर स्वयं रास्ता देखने को कहा। भास्कर ने गुरु जी से पूछा कि हम सीढ़ियों की अपेक्षा लिफ्ट से क्यों नहीं जा रहे। गुरु जी ने सभी को समझाते हुए बताया कि लिफ्ट का प्रबन्ध बूढ़ों, बीमारों और अपाहिजों के लिए किया जाता है। स्टेशन पहुँचकर बच्चे वहाँ पर साफ़-सफ़ाई और सजावट देखकर चकित हो गए।
गुरु जी ने सभी बच्चों के समूह पास बनवाकर सुरक्षा जांच यन्त्र में से निकालने को कहा। ज्ञानीजन के पूछने पर गुरु जी ने बताया कि वे जालन्धर रेलवे स्टेशन पर भी ऐसे ही यन्त्र से निकलकर आए थे। यह यन्त्र सुरक्षा की दृष्टि से किसी भी विस्फोटक सामग्री के पास आते ही अपने आप ही एक विशेष ध्वनि निकालने लगता है। बच्चों के पूछने पर एक रेलवे कर्मचारी ने बताया कि यात्रा के लिए एक टोकन प्रति यात्री दिया जाता है जिसे इस मशीन के निकट लाने से प्रवेश द्वार खुल जाता है और यात्री इसमें से निकल जाता है। प्रतिदिन यात्रा करने वालों के लिए स्मार्ट कार्ड की सुविधा उपलब्ध है।
गुरु जी ने बच्चों को बताया कि प्लेटफार्म पर गाड़ी की प्रतीक्षा करते समय कभी भी पीली पट्टी पार नहीं करनी चाहिए। कुछ देर बाद गाड़ी आने की उद्घोषणा हुई। गुरु जी ने किरण को बताया कि वे कश्मीरी गेट पहुँचकर वहाँ से चाँदनी चौंक जाने वाली मैट्रो में बैठेंगे और वहाँ से लालकिला के लिए पैदल जा सकते हैं। थोड़ी देर बाद बच्चे गाड़ी में बैठकर खुशी से वहाँ से रवाना हुए। सभी बच्चे खुशी से झूमते हुए मैट्रो के सफर का आनंद ले रहे थे।
इसमें आगे आने वाले स्टेशन की भी स्पीकरों के द्वारा उदघोषणा हो रही थी। स्टेशन आने पर गाड़ी के रुकते ही स्वचालित द्वार अपने आप खुल जाते और यात्रियों के चढ़ने पर स्वत: बंद हो जाते। गाड़ी में स्थान-स्थान पर इलैक्ट्रानिक सूचना पट्ट लगे हुए थे। गाड़ी कन्हैया नगर स्टेशन से चलकर इन्द्रलोक स्टेशन, शास्त्री नगर, प्रताप नगर, तथा तीस हज़ारी स्टेशनों पर रुकती हुई कश्मीरी गेट पहुंची जहां सभी बच्चे उतर गए। वहाँ से वे चाँदनी चौक मैट्रों के मिलन के स्थान पर पहुँच गए। बच्चे वहाँ से मैट्रो में सफ़र कर चांदनी चौक पहुँच गए। चाँदनी चौक से वे लाल किले की तरफ बढ़ते हुए मैट्रो रेल की ही बातें कर रहे थे।