पिंजरे का शेर Summary in Hindi

“Pinjare Ka Sher,” which translates to “The Lion in the Cage,” is a compelling and thought-provoking metaphorical concept that resonates with the human spirit’s yearning for freedom and self-expression. In this summary, we delve into the significance of “Pinjare Ka Sher,” a symbol of untamed strength and potential confined within the constraints of societal norms and limitations. Read More Class 8 Hindi Summaries.

पिंजरे का शेर Summary in Hindi

पिंजरे का शेर पाठ का सार:

‘पिंजरे का शेर’ नामक पाठ में किशोर चन्द्रगुप्त मौर्य की बुद्धि एवं कौशल का वर्णन किया गया है। प्राचीन समय में भारत अनेक राज्यों में बंटा हुआ था। इनमें मगध राज्य सब से शक्तिशाली माना जाता था। महापद्म नंद मगध का राजा था। एक दिन राजा की राजसभा हुई। वहाँ किसी धातु से बना शेर पिंजरे में बंद करके रखा था, जिसे सभी लोग देख रहे थे। यह पिंजरा रोम के राजदूत ने राजा को अपने सम्राट की तरफ से भेंट किया। राजदूत ने राजा को बताया कि इस पिंजरे में उन्होंने शेर को बंद कर दिया है किन्तु इस पिंजरे को बिना खोले और काटे शेर को बाहर निकालना है, जो खेल आप ही कर सकते हैं। तभी सम्राट के संकेत से महामंत्री ने सभा में बैठे सभी लोगों को बिना पिंजरा खोले और तोडे शेर को बाहर निकालने को कहा।

पिंजरे का शेर Summary in Hindi

सभा में उपस्थित सभी लोग पिंजरे की तरफ देखते रहे किसी ने भी उसमें से बिना खोले शेर को बाहर निकालने की हिम्मत नहीं दिखाई। अचानक वहाँ एक पन्द्रह – सोलह वर्ष का किशोर आया और उसने सम्राट् से उसे बाहर निकालने की आज्ञा माँगी। असफल होने पर मृत्यु का कठोर दंड भी उसे अपनी मंज़िल से विचलित नहीं कर सका। किशोर ने पिंजरे को पानी में डालने के लिए कहा और बाद में निकलवा लिया। उसने पिंजरे में बंदी शेर को ध्यानपूर्वक देखकर उसके चारों तरफ आग लगवा दी। इससे सभा में सन्नाटा छा गया। धीरे – धीरे सीसा धातु से बना शेर गर्मी से पिघलकर धरती पर फैल गया और पिंजरा खाली हो गया। इस कार्य के लिए उस किशोर को पुरस्कार दिया गया। यही किशोर बड़ा होकर चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम से प्रसिद्ध हुआ जिसने उत्तर भारत के सभी छोटे – छोटे राज्यों को एक सूत्र में बाँधकर सुदृढ़ साम्राज्य की नींव रखी।

Leave a Comment