मुँह बोले बेटे Summary In Hindi

The story named ‘Muh Bole Bete’ is a story that teaches the lesson of humanity. Two buses collided. One bus was going from Chandigarh to Shimla, the other from Shimla to Chandigarh. The driver of the Chandigarh bus was groaning, stuck in his seat, covered in blood. Dr. Sohan Lal Khanna was sitting on the ninth seat. Read More Class 8 Hindi Summaries.

मुँह बोले बेटे Summary In Hindi

मुँह बोले बेटे कहानी का सार/सारांश:

‘मुँह बोले बेटे’ नामक कहानी इन्सानियत का पाठ पढ़ाने वाली एक कहानी है। दो बसों में टक्कर हो गई। एक बस चण्डीगढ़ से शिमला जा रही थी, दूसरी शिमला से चण्डीगढ़। चण्डीगढ़ वाली बस का ड्राइवर खून से लथपथ अपनी सीट में फँसा कराह रहा था। डॉ० सोहन लाल खन्ना नौवीं सीट पर बैठे थे। वह शिमला जा रहे थे। वे नींद के झोंके में थे। जैसे ही टक्कर हुई वह अगली सीट से टकरा गए। खून की कुछ बूंदें टपक पड़ी। सभी सवारियों को अपनी जान के लाले पड़े थे। सभी बस से उतरने लगे। सब उतरने की जल्दी में थे। डॉ० सोहन लाल खन्ना सब के बाद बस से उतर सके। उनका रुमाल खून से तर-बतर हो चुका था। बस से उतरने पर दो युवक खन्ना साहब की ओर बढ़े। एक ने उनका अटैची थाम लिया और दूसरे ने बैग।

पुलिस की सूचना पर एक एम्बुलेंस की गाड़ी आई। वह छः घायलों को अस्पताल ले गई। इनमें एक महिला भी थीं। रोकने पर भी कोई वाहन वहाँ न रुकता था। लोग दुर्घटना के लिए कंकरीट को दोष दे रहे थे। खन्ना साहब को यह डर था कि कहीं दोनों युवक सामान लेकर चंपत न हो जाएं। युवकों के अनुरोध पर खन्ना साहिब ने पहाड़ी सड़क पर चढ़ने का इरादा बना लिया। एक किलोमीटर चलने के बाद तिराहा आया। इतने में एक वैन आई। उसका ड्राइवर एक सिक्ख नौजवान था। वह उन्हें अस्पताल तक पहुँचाने को तैयार हो गया। दोनों युवक और खन्ना साहब उसमें सवार हो गए। दस-बारह मिनट बाद वैन एक चौड़ी सड़क पर जा रुकी। अब तीनों अस्पताल तक पहुँचने के लिए छोटे रास्ते पर चल पड़े। खन्ना साहब अब भी शंकित थे। थोड़ी देर में एक सरकारी अस्पताल में पहुँच गए। डॉक्टर ने खन्ना साहब को स्ट्रेचर पर लिटाया और चोट पर दवाई का फाहा रख दिया। डॉक्टर के कहने पर एक नौजवान दवाइयों वाली दुकान से टीका खरीद लाया।

खन्ना साहब की कमर में टीका लगाया गया। खन्ना साहब ने स्वस्थ मन से कहाअब वह ठीक है। पहाड़ी-साहित्य-गोष्ठी का समय दस बजे था। खन्ना साहब ने कहाडॉक्टर साहब आपका भी धन्यवाद है, और इन दोनों बेटों का भी। उन्होंने लड़कों से कहा बेटा ! इंजैक्शन कितने का आया ? अपने पैसे ले लो। मुझे एक कुली कर दो, जो पंचायतभवन पहुँचा दे। एक युवक ने हँसते हुए कहा-हम ही आपको पंचायत भवन पहुँचाएंगे।

दूसरे ने कहा-वहीं आपसे इंजैक्शन के पैसे ले लेंगे। डॉक्टर की फीस और माल ढुलाई का भाड़ा भी लेंगे। तीनों पंचायत भवन की ओर चल पड़े। पूछने पर दोनों युवकों ने बताया कि वे बी० ए० पास थे और वे किसी नौकरी की तलाश में थे। अब खन्ना साहब पंचायत भवन पहुँच गए थे। खन्ना साहब ने लड़कों को पचास रुपये का नोट देते हुए कहा-‘बेटा’, यह लो दवाई के पैसे। अपने घर का पता बता दो। युवकों ने कहा-आपने हमें बार-बार बेटा कहा है। पैसे देकर हमारी इन्सानियत पर धब्बा न लगाएं। खन्ना साहब के मन में उन ‘मुँह बोले बेटों’ के सद् कारनामे याद आने लगे।

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