“नवनिर्माण” “त्रिलोचन शास्त्री” की एक प्रसिद्ध कविता है, जो समाज में व्याप्त कुरीतियों और शोषण के खिलाफ एक आवाज है। कविता में कवि एक ऐसे समाज की कल्पना करता है, जो शोषण और अन्याय से मुक्त हो।
- कविता की शुरुआत में कवि बताता है कि वह एक ऐसे समाज की कल्पना करता है, जहां सभी लोग समान हों। इस समाज में कोई गरीब या अमीर न होगा, कोई शोषक या शोषित न होगा। सभी लोग एक-दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे से रहेंगे।
- कविता के दूसरे भाग में कवि बताता है कि वह एक ऐसे समाज की कल्पना करता है, जहां सभी लोगों को शिक्षा और रोजगार का समान अवसर मिले। इस समाज में कोई भेदभाव न हो, कोई जातिवाद या धर्मवाद न हो। सभी लोग समान रूप से शिक्षित और सशक्त होंगे।
- कविता के तीसरे भाग में कवि बताता है कि वह एक ऐसे समाज की कल्पना करता है, जहां प्रकृति का संरक्षण हो। इस समाज में लोग प्रकृति के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध रखेंगे। वे पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करेंगे।
नवनिर्माण Summary in Hindi
नवनिर्माण कवि का परिचय
नवनिर्माण कवि का नाम : त्रिलोचन। वास्तविक नाम वासुदेव सिंह। (जन्म 20 अगस्त, 1917; निधन 2007.)
प्रमुख कृतियाँ : धरती, दिगंत, गुलाब और बुलबुल, उस जनपद का कवि हूँ, सब का अपना आकाश (कविता संग्रह); देशकाल (कहानी संग्रह) तथा दैनंदिनी (डायरी) आदि।
विशेषता : काव्यक्षेत्र में प्रयोग धर्मिता के समर्थक। समाज के दबे-कुचले वर्ग को संबोधित करने वाले साहित्य के रचयिता।
विधा : चतुष्पदी। इस विधा में चार चरणों वाला छंद होता है। यह चौपाई की तरह होता है। इसके प्रथम, द्वितीय और चतुर्थ चरण में तुकबंदी होती है। भाव और विचार की दृष्टि से प्रत्येक चतुष्पदी अपने आप में पूर्ण होती है।
विषय प्रवेश : प्रस्तुत पद्य पाठ में कुल आठ चतुष्पदियाँ दी गई हैं। ये सभी चतुष्पदियाँ भाव एवं विचार की दृष्टि से अपने आप में पूर्ण है। इन चतुष्पदियों में आशावादी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है। कवि ने इनके माध्यम से संघर्ष करने तथा अन्याय, अत्याचार, विषमता और निर्बलता पर विजय पाने का आवाहन किया है।
नवनिर्माण चतुष्पदियों का सरल अर्थ
(1) तुमने विश्वास ……………………………….. आकाश दिया है मुझको।
मनुष्य के जीवन में किसी का विश्वास प्राप्त करने तथा किसी से प्रोत्साहन पाने का बड़ा महत्त्व होता है। इनके बल पर मनुष्य बड़े-बड़े काम कर डालता है।
कवि कहते हैं कि, तुमने मुझे जो विश्वास और प्रेरणा दी है वह मेरे लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। इन्हें देकर तुमने मुझे असीम संसार दे दिया है। पर मैं इन्हें इस तरह सँभाल कर अपने पास रखूगा कि मैं आकाश में न उहूँ और मेरे पाँव हमेशा जमीन पर रहें। अर्थात मुझे अपनी मर्यादा का हमेशा ध्यान रहे।
(2) सूत्र यह तोड़ ……………………………….. छोड़ नहीं सकते।
कवि मनुष्य के बारे में कहते हैं कि वह चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो जाए, आकाश में उड़ानें भरता हो या अन्य कहीं उड़ कर चला जाए, पर अंत में उसे अपनों के बीच यानी धरती पर तो आना ही पड़ता है। कवि कहते हैं कि, यह बात शाश्वत सत्य है। इस सच्चाई को कोई नियम तोड़-मरोड़ कर झूठा साबित नहीं कर सकता। अर्थात मनुष्य कितना भी आडंबर क्यों न कर ले, पर वह अपनी वास्तविकता को छोड़ नहीं सकता।
(3) सत्य है ……………………………….. सामने अँधेरा है।
कवि संघर्ष करने का आवाहन करते हुए कहते हैं कि आपकी राह अँधेरों से भरी हुई है; भले यह बात सच हो या आपकी प्रगति के द्वार को अवरुद्ध करने के लिए तरह-तरह की कठिनाइयाँ रास्ते में आ रही हों, तब भी आपको संघर्ष के मार्ग पर रुकना नहीं है।
अँधेरे में भी आगे ही आगे बढ़ते जाना है, क्योंकि इसके अलावा आपके सामने और कोई चारा भी तो नहीं है। कवि का कहने का तात्पर्य यह है कि संघर्ष करना जारी रखना चाहिए। संघर्ष से ही सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
(4) बल नहीं होता ……………………………….. “दिलाने के लिए।
कवि कहते हैं कि मनुष्य को निरर्थक कार्यों के लिए अपने बल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उसका प्रयोग सार्थक कार्यों के लिए होना चाहिए। वे कहते हैं कि मनुष्य के पास बल किसी असहाय, पीड़ित व्यक्ति को सताने के लिए नहीं होता। बल्कि वह किसी असहाय या पीड़ित व्यक्ति की रक्षा करने के लिए होता है। कवि बलवान व्यक्तियों को संबोधित करते हुए कहते हैं, यदि ईश्वर ने तुम्हें शक्ति प्रदान की है, तो तुम सभी कमजोर लोगों के बल बन ३ कर उनको न्याय दिलाने के काम में लग जाओ। तभी तुम्हारे बल की सार्थकता है।
(5) जिसको मंजिल ……………………………….. वही कहता है।
कवि कहते हैं कि जिस व्यक्ति को अपनी सफलता की मंजिल की जानकारी हो जाती है, वह व्यक्ति अपने मार्ग में आने वाली परेशानियों से नहीं डरता। वह हँसते-हँसते इन परेशानियों को झेल लेता है। ऐसे व्यक्तियों को ही जीवन में सफलता मिलती है। इस तरह सफलता के शिखर पर पहुँचने वाले व्यक्ति समाज के लिए इतिहास बन जाते हैं और लोग उससे प्रेरणा लेते हैं।
(6) प्रीति की राह ……………………………….. चले आओ।
कवि प्यार-मोहब्बत और अच्छे आचार-व्यवहार को अपनाने की बात करते हुए लोगों का आवाहन करते हैं कि वे सब के साथ प्यार-मोहब्बत से रहें और सब के साथ अच्छा व्यवहार करें। यही सब के लिए अपनाने वाला सही मार्ग है। वे कहते हैं कि सब को हँसते-गाते जीवन जीने का मार्ग अपनाना चाहिए।
(7) साथ निकलेंगे ……………………………….. “समाज नर-नारी।
कवि स्त्री-पुरुष समानता की बात करते हुए कहते हैं कि स्त्री पुरुष दोनों एक साथ मिल कर विकट समस्याओं को सुलझाने का कार्य करेंगे। दोनों इस दिशा में कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे और नए समाज की रचना करेंगे, जिसमें सब को समानता का अधिकार मिले।
(8) वर्तमान बोला……………………………….. गीत अच्छा था।
कवि वर्तमान और अतीत की बात करते हुए कहते हैं कि वर्तमान के अनुसार बीता हुआ समय अच्छा था। उस समय जीवन पथ में साथ निभाने वाले अच्छे मित्र थे। वर्तमान कहता है कि भविष्य में (जब हम अतीत हो जाएँगे और) लोग हमारा भी गुणगान करेंगे। वैसे अतीत भी गुणगान करने लायक था।
नवनिर्माण शब्दार्थ
व्योम = आकाश
सहचर = साथ-साथ चलने वाला, मित्र
सिद्धि = सफलता
मीत = मित्र, दोस्त
Conclusion
“नवनिर्माण” एक आदर्शवादी कविता है। यह कविता समाज में व्याप्त कुरीतियों और शोषण को दूर करने और एक नए समाज की स्थापना की कल्पना करती है। यह कविता आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी कि कविता के समय में थी।
कविता के माध्यम से कवि यह संदेश देना चाहता है कि समाज में व्याप्त कुरीतियों और शोषण को दूर करने के लिए एक नए समाज की स्थापना की आवश्यकता है। यह समाज एक आदर्श समाज होगा, जहां सभी लोग समान होंगे, सभी को शिक्षा और रोजगार का समान अवसर मिलेगा, और प्रकृति का संरक्षण होगा।
यह कविता एक महत्वपूर्ण कविता है, क्योंकि यह हमें एक ऐसे समाज की कल्पना करने के लिए प्रेरित करती है, जो बेहतर और न्यायपूर्ण हो।