“पर्यावरण संरक्षण” एक महत्वपूर्ण और गंभीर विषय है, जिसका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और संरक्षण है। यह सामाजिक, आर्थिक, और वातावरणिक सुधार के लिए हमारे साथी प्राणियों, पौधों, और जलवायु की सुरक्षा को सुनिश्चित करने का काम करता है। इसका उद्देश्य हमारे प्राकृतिक वास्तविकता को बचाना और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण बनाना है। Read More Class 7 Hindi Summaries.
पर्यावरण संरक्षण Summary In Hindi
पर्यावरण संरक्षण कविता का सार
‘पर्यावरण संरक्षण’ नामक पाठ में अध्यापिका जी ने विद्यार्थियों को हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए, कक्षा में वार्तालाप के द्वारा समझाया है। उनके द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या मनुष्य हवा चला सकता है; पशु-पक्षी पैदा कर सकता है; नदिया, पहाड़ और नीला आकाश बना सकता है? सभी विद्यार्थी एक स्वर में उत्तर देते हैं कि नहीं मैडम। तब वे उन्हें समझाती हैं कि जब ऐसा है तो हमें इन्हें नष्ट भी नहीं करना चाहिए क्योंकि जीवजन्तु, पेड़-पौधे, भूमि, जल तथा वायु ही पर्यावरण की रचना करते हैं, जिन्हें मनुष्य प्रकृति पर विजय पाने के लिए नष्ट करता जा रहा है।
विदुषी के यह पूछने पर कि मनुष्य पर्यावरण को कैसे नष्ट कर रहा है; अध्यापिका जी बताती हैं कि मनुष्य नगर बसाने, कारखाने लगाने तथा ईंधन के लिए हरे-भरे वृक्षों को काट कर शुद्ध वायु और ऑक्सीजन कम कर के पर्यावरण को हानि पहुँचा रहा है। इस पर मीताली बताती है कि उसने पढ़ा था कि एक पत्ता अपने जीवनकाल में इतनी ऑक्सीजन पैदा करता है कि उससे एक आदमी चार दिन तक सांस ले सकता है। अध्यापिका जी कहती हैं कि साधारण व्यक्ति यह बात नहीं समझता और वनों को उजाड़ता रहता है जिससे सही समय पर वर्षा नहीं होती, रेगिस्तान बढ़ रहे हैं तथा बाढ़ आ जाती है।
तन्मय के यह पूछने पर कि पेड़ों के कटने का इनसे क्या संबंध है, वे बताती हैं कि ऊँचे-ऊँचे वृक्षों की हरी-भरी पत्तियाँ बादलों को खींचकर वर्षा कराती हैं, अपनी जड़ों से भूमि को जकड़ कर भूमि के कटाव को रोकते हैं। तभी ज्योत्सना वनों के कटने से वन के जीव, जन्तुओं और पक्षियों पर पड़ने वाले प्रभाव की बात करती है तो वे इसे ही इन सब के लुप्त होने का कारण बताती हैं।
शाश्वत भूमि, जल तथा वायु के प्रदूषित होने को भी पर्यावरण प्रदूषण की बात मानने के लिए पूछता है तो अध्यापिका जी कहती हैं कि ऐसा ही हैं। मीताली फसलों में प्रयोग करने वाली रासायनिक खादों और कीट नाशकों के प्रयोग को भी पर्यावरण प्रदूषण का कारण मानने के लिए पूछती है तो वे कहती हैं कि इनके अतिरिक्त दूषित जल, घर का कूड़ा-कर्कट, कारखानों-मोटरों का धुंआ भी वातावरण को प्रदूषित करता है।
विदुषी पॉलीथीन और प्लास्टिक के प्रयोग के बारे में पूछती है तो वे बताती हैं कि इन से भी पर्यावरण दूषित होता है क्योंकि ये गलते नहीं हैं। वे विद्यार्थियों को यह वचन देने के लिए कहती हैं कि वे पेड़-पौधे लगाकर उन्हें बड़ा करेंगे, घर का कूड़ा-कर्कट कूड़ेदान में डालेंगे, रासायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करेंगे, पॉलीथीन की बजाय कागज़, जूट, कपड़े के थैले प्रयोग करेंगे, पानी बचायेंगे, बिजली व्यर्थ नहीं जलाएंगे, कम दूरी के लिए वाहन का प्रयोग नहीं करेंगे, पुरानी कापी के पृष्ठों का उपयोग करेंगे तथा वन महोत्सव मना कर पेड़-पौधे लगाने के लिए लोगों को उत्साहित करेंगे। सब विद्यार्थी मैडम को वचन देते हैं।
Conclusion:
“पर्यावरण संरक्षण” का संग्रहण हमें यह सिखाता है कि हमारे प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण के बिना हमारे जीवन और मानव समुदाय का अधिकांश सहायता करते हैं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम पर्यावरण के प्रति सजग और सजाग रहें, ताकि हम आने वाली पीढ़ियों को भी स्वस्थ और सुरक्षित प्लेटफ़ॉर्म प्रदान कर सकें। हमें सुरक्षित और संरक्षित पर्यावरण के लिए अपने क्रियान्वयनों में सतर्क रहना होगा, ताकि हम आने वाले समय में एक हरित और स्वस्थ भूमिका छोड़ सकें।