“Sahayog” is a Hindi word that translates to “cooperation” or “collaboration” in English. It embodies the fundamental principle of working together for a common purpose or goal. Cooperation is an essential element in various aspects of life, whether it’s in personal relationships, communities, or global endeavors. Read More Class 8 Hindi Summaries.
सहयोग Summary in Hindi
सहयोग पाठ का सार
इस पाठ में सहयोग के बारे में बताया गया है। इस संसार में कोई भी मनुष्य अपने में पूर्ण नहीं हैं। किसी में बुद्धि की कमी है तो किसी में शारीरिक बल की तथा किसी में अच्छाई की कमी है। मानव के स्वभाव में भी विविधता है। ऐसी स्थिति में आपसी सहयोग के द्वारा ही हम अपनी कमियों को पूरा कर अपना उद्देश्य प्राप्त कर सकते हैं। अन्धे और लंगड़े की प्रसिद्ध कहानी सहयोग का अच्छा उदाहरण है जिसमें एक-दूसरे के सहयोग से बाढ के पानी से बचकर सुरक्षित स्थान पर पहँच गए थे।
मुसीबत के समय भी आदमी सहयोग से ही उसका मुकाबला करता है। लोहा भी पारस के स्पर्श से बहुमूल्य सोना बन जाता है। कमजोर तिनके भी आपसी सहयोग से मिलकर रस्सी बन जाते हैं। इसी तरह परस्पर सहयोग से कपोतराज चित्रग्रीव ने अनेक कबूतरों को शिकारी के चंगुल से आजाद करवा दिया था
सहयोग एक प्राकृतिक नियम है। एक मशीन सभी पुों के परस्पर सहयोग से ही चलती है। एक पुर्जा खराब होने पर वह नहीं चल सकती। आदमी का शरीर भी अंगों के सहयोग से ही स्वस्थ रहता है। किसी एक अंग के खराब होने पर शरीर स्वस्थ नहीं रह सकता। समाज को पूर्णता भी व्यक्तियों के सहयोग से मिलती है। वैसे भी मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज के सहयोग के बिना वह पशु के समान होता है।
समाज नर नारियों के परस्पर सहयोग से बनता है। उसी सहयोग से मानवता का विकास हुआ। परिवार समाज का एक अंग है जिसमें माता-पिता, भाई-बहन आदि अनेक लोगों का सहयोग होता है। माता घर का कामकाज करती है, बच्चों का पालन-पोषण करती है तो पिता ईमानदारी से रोजी कमाता है। सभी कार्य परिवार के लोगों के सहयोग से ही पूरे होते हैं। पड़ोसी भी समाज का अंग होते हैं। उनसे भी सहयोग की भावना जरूरी होती है।
उनसे भी मेलजोल बढ़ाना चाहिए। उनके साथ पूर्ण सहयोग करना चाहिए। स्कूल एक संस्था होती है, जिसमें अध्यापक, विद्यार्थी, चपरासी सभी का सहयोग होता है। सबके सहयोग से ही वह उन्नति करता है। इसी से साफ़-सफ़ाई अनुशासन बना रहता है। बच्चे भी परस्पर सहपाठी से सहयोग रखते हैं। उनके कार्य भी एक-दूसरे के सहयोग से पूर्ण होते हैं।
खेल के मैदान में भी खिलाड़ियों का एक-दूसरे से सहयोग आवश्यक होता है। उनमें खेल-भावना इसी से आती है। सद्भावना बनी रहती है। प्रेम-प्यार का प्रसार होता है।
बच्चों में सहयोग की भावना का विकास करने के लिए रैडक्रॉस, स्काउट, गर्लगाइड, एन० एस० एस०, एन० सी० सी० आदि संस्थाएं स्थापित की गई हैं। गाँव, कस्बे अथवा नगर में भी सहयोग बहुत आवश्यक होता है। सहयोग से ही मानव अच्छा नागरिक बनता है। वह दूसरों के हित की सोचता है। वह प्राणी मात्र की सेवा एवं हित का ध्यान रखता है। उसमें मानवता का विकास होता है।