स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न Summary In Hindi

The question of “Stree Ke Arth Swatantraya” in English translates to “The Meaning of Womanhood and Freedom.” This is an important and social question that pertains to women’s rights, freedom, and their role in society.

स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न Summary In Hindi

स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न का सार

प्रस्तुत निबन्ध महादेवी वर्मा जी की कृति श्रृंखला की कड़ियाँ’ में संकलित है। प्रस्तुत निबन्ध में लेखिका ने मनुष्य के सामाजिक विकास की ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि देते हुए आर्थिक दृष्टि से नारी की परवशता पर प्रकाश डाला है।

लेखिका कहती है कि धन सदा शक्ति का अनुगामी रहा है। शक्तिशाली ने ही अपनी इच्छा और सुविधानुसार धन का बँटवारा किया है। सारी राजनीतिक, सामाजिक तथा अन्य व्यवस्थाओं की रूपरेखा इसी शक्ति पर आधारित रही है। आदिकाल से ही स्त्री को सुख का साधन तो समझा गया किन्तु उसे आर्थिक रूप से पुरुष पर ही निर्भर रहना पड़ा है। पुरुष को हमारे समाज में भर्ता कहा गया और स्त्री सदा उसका मुँह ताकती रही है।

वेदकालीन समाज में नारी को केवल सन्तान पैदा करने वाली एवं घर-गृहस्थी सम्भालने वाली के रूप में ही देखा गया। उसकी आर्थिक स्वतन्त्रता पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। बस दहेज में जो कुछ दे दिया गया उसे ही काफ़ी समझा गया। पिता की सम्पत्ति में उसे कोई अधिकार नहीं दिया गया। सैंकड़ों साल बीत जाने पर भी स्त्री की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।

एक सामाजिक प्राणी के लिए धन कितना महत्त्व रखता है, यह हर कोई जानता है। आर्थिक रूप से परवशता स्त्री के स्वाभाविक विकास और आत्म-विश्वास को प्रभावित करती है। भारतीय पुरुष-स्त्री को सहयात्री तो कहता है सहयोगी नहीं मानता। इसी विषमता को दूर करना होगा।

Stree Ke Arth Swatantraya Ka Prashn Summary In Hindi

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