सुनो किशोरी Summary in Hindi

सुनो किशोरी” जयशंकर प्रसाद की एक प्रसिद्ध कविता है। यह कविता एक किशोरी को संबोधित करते हुए लिखी गई है। कवि किशोरी को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि जीवन में सुख और दुख दोनों होते हैं। हमें सुख और दुख दोनों का सामना धैर्य और साहस के साथ करना चाहिए।

सुनो किशोरी Summary in Hindi

सुनो किशोरी लेखक का परिचय

सुनो किशोरी लेखक का नाम : आशारानी व्होरा। (जन्म 7 अप्रैल, 1921; निधन 2009.)

सुनो किशोरी प्रमुख कृतियाँ : भारत की प्रथम महिलाएँ, स्वतंत्रता सेनानी लेखिकाएँ, क्रांतिकारी किशोरी, स्वाधीनता सेनानी, लेखक-पत्रकार आदि।

सुनो किशोरी विशेषता : आपने आधुनिक हिंदी साहित्य में नारी विषयक लेखन को समृद्ध किया। लेखन में नई धारा को जन्म। विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी रही. महिलाओं के जीवन संघर्ष को चित्रित किया और वर्तमान नारी वर्ग के सम्मुख उनके आदर्श प्रस्तुत किए।

सुनो किशोरी विधा : पत्र शैली में लिखा गया निबंध।

सुनो किशोरी विषय प्रवेश : प्रस्तुत पाठ पत्र शैली में लिखा गया है। लेखिका अपनी पुत्री को रूढ़ि और परंपरा का अंतर बताते हुए कह रही है कि हमें जीवन में ऊँचा उठने का प्रयास अवश्य करना चाहिए परंतु अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता से कटकर नहीं। साथ ही लेखिका का यह भी कहना है कि किशोरियों की शंकाओं, परेशानियों, प्रश्नों, दुश्चिंताओं आदि के समाधान के लिए एक माँ या एक अच्छी सखी को मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करना चाहिए।

सुनो किशोरी Summary in Hindi 1

सुनो किशोरी पाठ का सार

लेखिका की पुत्री सुगंधा की किशोरी सखी रचना ने अभी कॉलेज में प्रवेश लिया है। वहाँ वह एक सहपाठी की ओर आकर्षित हो जाती है। अभी लड़का और लड़की दोनों की आयु कम है। लेखिका अपनी पुत्री को उसे उचित मार्गदर्शन देने की प्रेरणा दे रही है। साथ ही सखी का साथ न छोड़ने का भी परामर्श देती है। किशोर अवस्था। में बच्चे अपने साथियों पर कहीं अधिक विश्वास करते हैं।

Conclusion

कविता के अंत में, कवि किशोरी को यह आश्वासन देते हैं कि अगर वह सुख और दुख दोनों का सामना धैर्य और साहस के साथ करेगी, तो वह एक बेहतर इंसान बनेगी।

Leave a Comment