तत्सत् कहानी Summary In Hindi

Tatsat Kahani” translates to “True Story” in English. However, since you haven’t provided specific information about which true story you’re referring to, I cannot offer a summary without more context. There are countless true stories spanning various genres and topics, including history, biography, personal experiences, and more. Read More Class 12 Summaries.

तत्सत् कहानी Summary In Hindi

तत्सत् जीवन परिचय

जैनेन्द्र कुमार का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।

जैनेन्द्र कुमार का जन्म उत्तर प्रदेश के जिला अलीगढ़ के कौड़ियागंज गाँव में सन् 1905 ई० में हुआ। इनकी आरम्भिक शिक्षा हस्तिनापुर जिला मेरठ में हुई। इन्होंने सन् 1919 में पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास करके काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया, किन्तु गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन से प्रभावित होकर पढाई छोड कर स्वतन्त्रता आन्दोलन में कूद पड़े। इन्हें भारत सरकार ने पद्मभूषण से तथा दिल्ली विश्वविद्यालय ने डी० लिट की उपाधि से सम्मानित किया था। इनकी रचनाओं में मनोभावों तथा संवेदनाओं का सूक्ष्म चित्रण मिलता है। जीविका चलाने के लिए व्यापार किया, नौकरी भी की किन्तु सफल न हो सके और स्वतन्त्र लेखन को ही जीवन का ध्येय बना लिया। ध्रुवयात्रा, नीलम देश की राजकन्या, फाँसी इनके प्रसिद्ध कहानी संग्रह हैं। परख, सुनीता, त्यागपत्र, कल्याणी आदि उनके उपन्यास हैं। सन् 1989 ई० में इनका निधन हो गया था।

तत्सत् कहानी का सार

श्री जैनेन्द्र कुमार द्वारा रचित ‘तत्सत्’ नामक कहानी प्रतीक शैली में लिखी हुई है। इसमें जीवन के सूक्ष्म अनुभवों के स्वतंत्र मौलिक चिंतन द्वारा गूढ प्रश्नों का समाधान दार्शनिक दृष्टिकोण से किया गया है। जैनेन्द्र कुमार बुद्धिवादी दार्शनिक एवं विचारक हैं। वैयक्तिक स्थितियों के आंतरिक चित्रण का सुंदर और सहज रूप इस कहानी में उपलब्ध होता है। – एक घने जंगल में दो शिकारी शिकार की टोह में पहुँचे । दोनों पुराने शिकारी थे पर इतना भयानक वन उन्होंने आज तक न देखा था। एक बड़े पेड़ की छाँह में बैठकर उस भयानक और घने वन के संबंध में बात करते हुए, कुछ देर विश्राम करने के बाद वह दोनों चले गये। उनके चले जाने पर पास के शीशम के पेड़ ने उस.पेड़ से कहा कि.ए बड़ दादा अभी तुम्हारी छाँह में कौन बैठे थे, वे गये। बड़दादा उसे बताते हैं कि वे आदमी कहलाते हैं। उनके न पत्ते होते हैं न जड़ें, बस तना ही तना होता है। अपने तने की दो शाखों पर चलते हैं, इधर-उधर चलते हैं, ऊपर की ओर बढ़ना उन्हें नहीं

आता। तभी बबूल ने बड़दादा से पूछा कि क्या आपने वन देखा है। अभी ये आदमी किसी भयानक वन की बात कर रहे थे। बड़दादा ने कहा कि मैंने शेर, चीता, भालू, हाथी, भेड़िया सभी जानवर देखे हैं पर वन नाम के जानवर को मैंने अब तक नहीं देखा। आदमी एक टूटी-सी टहनी से आग की लपट छोड़कर शेर-चीतों को मार देता है। उन्हें ऐसे मरते अपने सामने हमने देखा है पर वन की लाश हमने नहीं देखी। वह ज़रूर कोई बड़ा भयानक जानवर होगा।

बड़दादा, शीशम और बबूल में इसी प्रकार बातें हो रही थीं। आस-पास के साल, सेंमर, सिरस, बाँस, घास आदि पेड़ भी इस बातचीत में हिस्सा लेने लगे। उनमें से कोई भी वन को नहीं जानता था। पर सभी अज्ञात रूप से वन से डरने लगे थे। सबमें काफ़ी बहस हुई पर कोई भी यह न बता सका कि वन कौन-सा जानवर है। तभी वहां सिंह आया। बड़दादा ने उससे वन के सम्बन्ध में पूछा। पर सिंह भी न बता सका कि वन कौन है। लोग सलाह करते हैं कि साँप से इस सम्बन्ध में पूछना चाहिए।

तत्सत् Summary

संयोग से एक नाग भी उधर आ निकला। वन के सम्बन्ध में अनेक प्रकार की कल्पना की गई पर इसका निश्चय नहीं हो सका कि वह कौन जानवर है। सभी जीव-जन्तु और पेड़-पौधों ने आपस में पूछताछ की और अंत में यह तय हुआ कि दो पैर वाले मनुष्य की बात का कोई भरोसा नहीं। मनुष्य ईमानदार जीव नहीं है। तभी उसने वन की बात कह दी पर वास्तव में वह कुछ नहीं है। बड़दादा ने कहा कि उन आदमियों को फिर आने दो तब उनसे पूछा जायेगा कि वन क्या है ?

एक दिन वे दोनों शिकारी फिर उधर आ निकले। उनके आने पर जंगल के सभी जीव-जन्तु, पेड़-पौधे तरह-तरह की आवाज़ों में बोलकर मानों उनका विरोध करने लगे। इस विचित्र स्थिति में अपने को पाकर आदमियों ने अपनी बंदूकें सम्भाली पर बड़दादा ने बीच में पड़कर जंगल के प्राणियों को शांत किया और उन आदमियों से पूछा कि जिस जंगल की तुम बात किया करते हो बताओ कि वह कहाँ है। आदमियों ने कहा कि जहाँ हम सब हैं यह जंगल ही तो है। इस पर किसी को भला कैसे विश्वास हो सकता था। वह सेंमर है, वह सिरस है, वह घास है, वह सिंह है, वह पानी है फिर भला जंगल कहाँ है।

आदमी ने कहा यह सब कुछ जंगल ही है। पर सभी अपना नाम बताते और जंगल या वन कौन है यह कोई मानने को तैयार न था। आदमी और बड़दादा में थोड़ी देर तक धीमी आवाज़ में बातचीत होती रही। इसके बाद बड़दादा ने अन्य प्राणियों को बताया है कि यह वन ही है हम नहीं, हम सब ही वन हैं। समग्रता का बोध होने पर ही बड़दादा वन की सत्ता स्वीकार कर लेता है और अन्य वन्य प्राणियों को भी वन की सत्ता स्वीकार करने के लिए कहता है।

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