Madhua Summary “One day drunkard meets Madhua, and brings him to his home. Life of the drunkard changes a lot after the arrival of Madhua in his life. He gets a motive to live a life and in the end of the story he decides to quit drinking and decides to earn money by hard work”. Read More Class 12 Summaries.
मधुआ कहानी Summary In Hindi
मधुआ जीवन परिचय
जयशंकर प्रसाद का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
जयशंकर प्रसाद का जन्म सन् 1889 ई० में वाराणसी के एक धनी वैश्य परिवार में हुआ। इन्होंने स्कूल में केवल आठवीं तक ही शिक्षा पाई थी, तत्पश्चात् घर पर ही संस्कृत हिन्दी, अंग्रेज़ी आदि भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। इनकी सर्वप्रथम कहानी ‘गाय’ सन् 1911 में ‘इन्दु’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई। आकाशदीप, आँधी, प्रतिध्वनि, छाया और इन्द्रजाल इनके पाँच कहानी संग्रह हैं। तितली, कंकाल और इरावती इनके उपन्यास हैं। इन्होंने लगभग दर्जन-भर नाटक भी लिखे हैं, जिनमें चन्द्रगुप्त, स्कन्धगुप्त अजातशत्रु और ध्रुवस्वामिनी प्रमुख हैं। ‘कामायनी’ महाकाव्य इनकी कीर्ति का आलोक स्तम्भ है। सन् 1937 ई० में इनका निधन हो गया था।
मधुआ कहानी का सार
प्रस्तुत कहानी में एक गरीब व्यक्ति के चारित्रिक विकास के माध्यम से सामाजिक विषमताओं और अन्यायों का चित्र खींचा गया है। यह एक मनोवैज्ञानिक कहानी है जिसमें एक कोमल, सुन्दर किन्तु पीड़ित बालक के दुःख से भरे जीवन से प्रभावित होकर एक निष्क्रिय शराबी भी कर्मठ बन जाता है। ठाकुर सरदार सिंह को कहानी सुनने का चस्का था। एक शराबी उन्हें तरह-तरह की कहानियाँ सुनाकर बदले में शराब के लिए पैसे लेता है। एक दिन शराबी ठाकुर साहब के पास कहानी सुनाने पहुँचता है और कहता है कि आज उसे सात दिन से ऊपर हो गए हैं, एक बूंद भी गले में नहीं उतरी। कहानी सुनाने से पहले ही ठाकुर साहब को नींद सताने लगी। उन्होंने उसे एक रुपया देकर अपने नौकर लल्लू को भेजने का आदेश देकर उसे विदा किया।
शराबी लल्लू को ढूँढ़ता हुआ जब उसकी कोठरी के पास पहुँचा तो उसने अन्दर से एक बालक के सिसकने का शब्द सुना। लल्लू उस बालक को डाँट रहा था। जब उसकी डाँट खाकर बालक बाहर निकला तो उसकी आँखों में आँसू देखकर शराबी ने उसे बड़े दुलार से उसकी आँखें पोंछते हुए उसे साथ लेकर फाटक के बाहर चला आया। बालक को पुनः रोता देख जब शराबी ने उसके रोने का कारण पूछा तो उसने बताया कि वह दिन भर से भूखा है। मार तो वह रोज ही खाता है लेकिन आज खाना भी नहीं मिला।
बालक की बात सुनकर शराबी उसे अपनी गन्दी कोठरी में ले गया और उसे वहाँ बैठाकर स्वयं उसके लिए कुछ लेने के लिए चला गया। शराबी की जेब में एक रुपया था, वह शराब पीना चाहता था किन्तु न जाने किस दैवीय शक्ति के कारण उसने पूरे एक रुपए की मिठाई, पूरी और नमकीन खरीदी और बालक को खाने के लिए दी। इसे खाकर बालक मुस्कुराने लगा। . . . दूसरे दिन सवेरे उठकर शराबी ने अपनी कोठरी में बिखरी हुई दरिद्रता को देखा और उसने बालक मधुआ के लिए फिर से गृहस्थी बनने की बात सोची और फिर से अपना पुराना सान धरने का धन्धा शुरू कर दिया। बालक भी उस की गठरी उठाकर उसके साथ चल पड़ा।