विज्ञापन युग Summary In Hindi

Vigyapan Yug” translates to the “Advertising Era” in English. This term typically refers to a specific period in the history of Indian advertising, particularly during the 20th century. The “Vigyapan Yug” or Advertising Era in India represents a significant phase in the country’s advertising industry, characterized by the emergence and growth of various advertising mediums and practices. Read More Class 11 Hindi Summaries.

विज्ञापन युग Summary In Hindi

विज्ञापन युग निबन्ध का सारांश

प्रस्तुत निबन्ध एक व्यंग्यपरक निबन्ध है। इसमें लेखक ने विज्ञापन कला के विकसित होने पर उसे सिर दर्द कारण भी बताया गया है। लेखक कहते हैं कि पड़ोसियों की कृपा से उसे दिन रात गज़लों और भजनों के साथ चाय, तेल और सिर दर्द की टिक्कियों के विज्ञापन सुनने पड़ते हैं। यह विज्ञापन लेखक के दिलो-दिमाग़ पर सदा छाए रहते हैं। परिणाम यह हुआ है कि लेखक के लिए गज़ल-गज़ल न रह कर किसी न किसी चीज़ का विज्ञापन बन गए। लेखक को लगता है कि हर चीज़ विज्ञापन बन कर रह गई है। अजन्ता एलोरा की मूर्तियों का केश विन्यास लेखक को एक तेल की शीशी की याद दिलाता है। इसी तरह मूर्तियों की आँखें एवं उनका समूचा कलेवर किसी-न-किसी कम्पनी का विज्ञापन बन कर रह गया है।

लेखक कहते हैं कि देश में जितने भी मन्दिर पुराने किले और स्मारक आदि हैं वे सब पर्यटन व्यवसाय को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ एक विशेष ब्रांड के सीमेंट की मजबूती को व्यक्त करने के प्रतीक बन सकें। इसी तरह सफ़ेद रंग के शहद का विज्ञापन और सेब के मुरब्बे का विज्ञापन हो सकता है। लेखक का मत है कि विज्ञापन किसी भी चीज़ का हो सकता है। हम जहाँ भी रहे विज्ञापनों की लपेट से नहीं बच सकते।

लेखक का मत है कि विज्ञापन कला इतनी तेजी से उन्नति कर रही है कि उसे डर है कि आने वाले समय में शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और साहित्य आदि का उपयोग विज्ञापन कला के लिए ही रह जाएगा। लेखक कहते हैं कि अभी तक बहुत सारे ऐसे क्षेत्र हैं जिनका विज्ञापन के लिए प्रयोग नहीं किया जा सका है जैसे दवा की शीशियों में मक्खन के डिब्बों के विज्ञापन होने चाहिएँ।

कम्बलों और दुशालों में चाय और कोको के विज्ञापन दिए जा सकते हैं। अस्पताल की दीवारों पर वैवाहिक विज्ञापन लगाए जा सकते हैं। यह तो भविष्य की बात है, पर आज की स्थिति यह है कि लेखक को हर जगह विज्ञापन ही विज्ञापन दिखाई देता है। लेखक को चाय देने वाला लड़का भी क्लोरोफ़िल मुस्कराहट मुस्करा रहा होता है। तब लेखक को स्त्री कण्ठ की मधुर आवाज़ में यह विज्ञापन सुनाई पड़ता है कि लिवर ठीक रखने के लिए लिवर इमल्शन लीजिए। लेखक को अपने सामने आने वाला हर चेहरा किसी विज्ञापन का रूप नज़र आता है।

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