शायद यही जीवन है Summary in Hindi

शायद यही जीवन है Summary in Hindi

“Shayad Yahi Jivan Hai,” which translates to “Perhaps, This is Life” is a thought-provoking and contemplative phrase that encapsulates the essence of the human experience. In this summary, we explore the profound meaning behind this expression, which suggests that life, with all its uncertainties, challenges, and moments of joy, is a complex journey filled with both ups and downs. Read More Class 8 Hindi Summaries.

शायद यही जीवन है Summary in Hindi

शायद यही जीवन है पाठ का सार:

‘शायद यही जीवन है’ नामक पाठ डॉ० मीनाक्षी वर्मा द्वारा लिखित है। इसमें लेखिका ने ‘परिवर्तनशीलता में ही जीवन है’ इसका वर्णन किया है। लेखिका घर के बाहर बगीचे में बैंगन के पौधे की शाखा पर बने घोंसले में अंडों को देखकर चकित रह गई। इस घोंसले में लाल रंग के चार अंडे थे। इस अद्भुत दृश्य को देखकर लेखिका को लगा कि उसकी जिन्दगी बदल गई है। वह इस घोंसले के बारे में जानकारी पाने के लिए बहुत उत्सुक थी।

यह घोंसले दर्जिन नामक चिड़िया का था जिसका रंग जैतूनी हरा था और उसकी शिखा सफेद जंग जैसी थी। वह बार – बार घोंसले में आकर बैठती और उड़ जाती थी। इस घोंसले को बचाने के लिए लेखिका ने अपने बच्चों को भी इसके बारे में बताया तथा उन्हें घोंसले को हाथ न लगाने की हिदायत दी। इसके बाद बच्चे और लेखिका अंडों में से बच्चे निकलने की प्रतीक्षा करने लगे। बारहवें दिन घोंसले के अंडों से चार बच्चे निकले जिन्हें लेखिका टकटकी लगाकर तीन – चार दिन तक देखती रही। चिड़िया के छोटे – छोटे बच्चे हर समय अपनी खुली चोंच भोजन के लिए ऊपर ही किए रहते थे।

उनकी चिड़िया माँ बार – बार उड़कर चोंच में छोटे – मोटे कीड़े – मकोड़े लाकर अपने बच्चों के मुँह में डाल देती थी। वह किसी को सामने देखकर सीधे अपने घोंसले पर नहीं बैठती थी। उसके आसपास बैठ जाती थी। लेखिका चिड़िया को बच्चों के साथ घोंसले में सोती देखकर ही निश्चिंत होकर सो पाती थी।

शायद यही जीवन है Summary in Hindi

एक दिन दोपहर के समय घोंसले से दो बच्चों को बाहर लटका तथा दो को अचेत अवस्था में देखकर लेखिका घबरा उठी। उसने इन्हें अपने पति तथा बच्चों की मदद से प्लास्टिक के गोल डिब्बे में रख दिया। इस डिब्बे को उसी पौधे के नीचे रख दिया। चिड़िया के चारों बच्चे इस गतिविधि को देख रहे थे। बहुत देर बाद उनकी माँ चिड़िया बच्चों को डिब्बे में तलाश कर उन्हें भोजन देकर उड़ गई। संध्या होने पर लेखिका ने बच्चों को घोंसले में डालकर पौधे की सबसे नीची डाली पर बाँध दिया। घोंसले के पास में बैठी बिल्ली को देखकर लेखिका घबरा गई थी। उसने उसको तो भगा दिया पर वह खतरा अभी भी बना हुआ था इसलिए घोंसला उसी पौधे की सबसे ऊँची डाली पर बांध दिया। लेखिका का चिड़िया और उसके बच्चों से आत्मीय संबंध बन गया था। अगली संध्या इन बच्चों की मां अपना घोंसला यहाँ-वहाँ ढूंढ़ रही थी। अगली दोपहर चिड़िया के तीन बच्चे घोंसले से उड़ गए। अब घोंसले में केवल एक ही बच्चा रह गया था। रविवार के दिन सभी लोग घर पर थे।

चिड़िया का बच्चा घोंसले से बाहर आकर कभी घोंसले के ऊपर बैठता तो कभी पत्तों पर। शायद वह उड़ने की इच्छा में फुदक रहा था। इसी बीच उसकी माँ उसके पास बैठ गई। दो घण्टे बाद वह बच्चा भी घोंसले से उड़ गया। उस समय लेखिका उदास हो गई और अपनी बेटी की ओर देखते हुए सोचने लगी कि मुक्त जीवन की इच्छा में यह भी चिडिया की तरह उड जाएगी। यही जीवन की परिवर्तनशीलता है। परिवर्तनशीलता में ही जीवन है।

राखी की चुनौती कविता Summary in Hindi

राखी की चुनौती कविता Summary in Hindi

“Rakhi Ki Chunauti,” which can be translated as “The Challenge of Rakhi” in English, is a heartwarming and culturally significant story that revolves around the sacred bond of love and protection between siblings, celebrated during the Indian festival of Raksha Bandhan. Read More Class 8 Hindi Summaries.

राखी की चुनौती कविता Summary in Hindi

राखी की चुनौती कविता का सार:

‘राखी की चुनौती’ सुभद्रा कुमारी चौहान की एक देश – भक्तिपूर्ण रचना है। यह कविता हमारे देश की स्वतन्त्रता से पहले लिखी गई थी। एक बहन का भाई स्वतन्त्रता – आन्दोलन में जेल गया हुआ था। राखी का त्योहार आ गया। प्रायः बहनें इस अवसर पर फूली नहीं समातीं। जिनके भाई हैं, उन्हें बधाई है। सजी हुई राखियाँ तो थीं, परन्तु लेखिका के भाई के जेल में बंद होने के कारण लेखिका के मन में खुशी नहीं थी। उसे दुःख भी नहीं था क्योंकि उसका भाई भारत माता की पुकार पर जेल गया था। वह भारत माँ की छिनी हुई आजादी को लेने गया था। बहन को इस बात का गर्व था। राखी सूनी पड़ी थी। यदि भाई होता तो कितनी खुशी होती।

राखी की चुनौती कविता Summary in Hindi

कवयित्री देश के युवकों को सम्बोधित करते हुए कहती है- हम खुशियाँ मनाएँ और जेल गया हुआ भाई दुःख उठाए – यह सोचकर उसका हृदय दुःखी है। अब राखी बंधवाने के लिए कोई हाथ आगे आए। यह रेशम की डोरी नहीं है। यह तो लोहे की हथकड़ी है। यही प्रण लेकर बहन खड़ी है। बहन पूछती है – क्या तुम आने को तैयार हो? क्या तुम्हें विषमता (असमानता) के बन्धन की लाज है? यदि है तो बन्दी बनो और देखो बन्धन कैसा होता है? यही आज इस राखी की तुम्हें चुनौती है।

मैट्रो रेल का सुहाना सफर Summary in Hindi

मैट्रो रेल का सुहाना सफर Summary in Hindi

“Metro Rail Ka Suhana Safar,” which translates to “A Pleasant Journey on the Metro Rail,” is a charming and insightful narrative that takes readers on a delightful exploration of the modern urban transportation experience. The metro rail system has become a lifeline in many bustling cities, and this summary aims to capture the essence of the comfort, convenience, and efficiency it offers to commuters. Read More Class 8 Hindi Summaries.

मैट्रो रेल का सुहाना सफर Summary in Hindi

मैट्रो रेल का सुहाना सफर पाठ का सार

मैट्रो – रेल का सुहाना सफ़र लेखक महेश कुमार शर्मा द्वारा लिखित है। इसमें लेखक ने मैट्रो रेल की सुहानी यात्रा का वर्णन किया है। राष्ट्रीय खेलों में पंजाब की योग टीम में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली आई जहाँ वह झलकरी बाई राजकीय उच्चतर विद्यालय अशोक विहार में ठहरी थी। पूरी टीम बहुत खुश थी क्योंकि उनके गुरु जी ने उनके प्रथम आने पर मैट्रो – रेल के सुहावने सफर का उपहार देने को कहा था। टीम ने पूरे देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। अगले दिन बच्चे मैट्रो – रेल से लाल किला देखने गए। वे कन्हैया नगर स्टेशन पर गए।

मैट्रो रेल का सुहाना सफर Summary in Hindi 1

एक बच्चे की बात सुनकर गुरु जी ने बताया कि दिल्ली में मैट्रो-रेल परिस्थिति और सुविधानुसार चलाई जाती है। उसकी पटरी ज़मीन या सड़क पर पुल बनाकर या सुरंग खोदकर बिछाई गई है। यह सुनकर प्रतिभा ने गुरु जी से अपनी गाड़ी का रास्ता पूछा। गुरु जी ने गाड़ी में बैठकर स्वयं रास्ता देखने को कहा। भास्कर ने गुरु जी से पूछा कि हम सीढ़ियों की अपेक्षा लिफ्ट से क्यों नहीं जा रहे। गुरु जी ने सभी को समझाते हुए बताया कि लिफ्ट का प्रबन्ध बूढ़ों, बीमारों और अपाहिजों के लिए किया जाता है। स्टेशन पहुँचकर बच्चे वहाँ पर साफ़-सफ़ाई और सजावट देखकर चकित हो गए।

गुरु जी ने सभी बच्चों के समूह पास बनवाकर सुरक्षा जांच यन्त्र में से निकालने को कहा। ज्ञानीजन के पूछने पर गुरु जी ने बताया कि वे जालन्धर रेलवे स्टेशन पर भी ऐसे ही यन्त्र से निकलकर आए थे। यह यन्त्र सुरक्षा की दृष्टि से किसी भी विस्फोटक सामग्री के पास आते ही अपने आप ही एक विशेष ध्वनि निकालने लगता है। बच्चों के पूछने पर एक रेलवे कर्मचारी ने बताया कि यात्रा के लिए एक टोकन प्रति यात्री दिया जाता है जिसे इस मशीन के निकट लाने से प्रवेश द्वार खुल जाता है और यात्री इसमें से निकल जाता है। प्रतिदिन यात्रा करने वालों के लिए स्मार्ट कार्ड की सुविधा उपलब्ध है।

गुरु जी ने बच्चों को बताया कि प्लेटफार्म पर गाड़ी की प्रतीक्षा करते समय कभी भी पीली पट्टी पार नहीं करनी चाहिए। कुछ देर बाद गाड़ी आने की उद्घोषणा हुई। गुरु जी ने किरण को बताया कि वे कश्मीरी गेट पहुँचकर वहाँ से चाँदनी चौंक जाने वाली मैट्रो में बैठेंगे और वहाँ से लालकिला के लिए पैदल जा सकते हैं। थोड़ी देर बाद बच्चे गाड़ी में बैठकर खुशी से वहाँ से रवाना हुए। सभी बच्चे खुशी से झूमते हुए मैट्रो के सफर का आनंद ले रहे थे।

इसमें आगे आने वाले स्टेशन की भी स्पीकरों के द्वारा उदघोषणा हो रही थी। स्टेशन आने पर गाड़ी के रुकते ही स्वचालित द्वार अपने आप खुल जाते और यात्रियों के चढ़ने पर स्वत: बंद हो जाते। गाड़ी में स्थान-स्थान पर इलैक्ट्रानिक सूचना पट्ट लगे हुए थे। गाड़ी कन्हैया नगर स्टेशन से चलकर इन्द्रलोक स्टेशन, शास्त्री नगर, प्रताप नगर, तथा तीस हज़ारी स्टेशनों पर रुकती हुई कश्मीरी गेट पहुंची जहां सभी बच्चे उतर गए। वहाँ से वे चाँदनी चौक मैट्रों के मिलन के स्थान पर पहुँच गए। बच्चे वहाँ से मैट्रो में सफ़र कर चांदनी चौक पहुँच गए। चाँदनी चौक से वे लाल किले की तरफ बढ़ते हुए मैट्रो रेल की ही बातें कर रहे थे।

पिंजरे का शेर Summary in Hindi

पिंजरे का शेर Summary in Hindi

“Pinjare Ka Sher,” which translates to “The Lion in the Cage,” is a compelling and thought-provoking metaphorical concept that resonates with the human spirit’s yearning for freedom and self-expression. In this summary, we delve into the significance of “Pinjare Ka Sher,” a symbol of untamed strength and potential confined within the constraints of societal norms and limitations. Read More Class 8 Hindi Summaries.

पिंजरे का शेर Summary in Hindi

पिंजरे का शेर पाठ का सार:

‘पिंजरे का शेर’ नामक पाठ में किशोर चन्द्रगुप्त मौर्य की बुद्धि एवं कौशल का वर्णन किया गया है। प्राचीन समय में भारत अनेक राज्यों में बंटा हुआ था। इनमें मगध राज्य सब से शक्तिशाली माना जाता था। महापद्म नंद मगध का राजा था। एक दिन राजा की राजसभा हुई। वहाँ किसी धातु से बना शेर पिंजरे में बंद करके रखा था, जिसे सभी लोग देख रहे थे। यह पिंजरा रोम के राजदूत ने राजा को अपने सम्राट की तरफ से भेंट किया। राजदूत ने राजा को बताया कि इस पिंजरे में उन्होंने शेर को बंद कर दिया है किन्तु इस पिंजरे को बिना खोले और काटे शेर को बाहर निकालना है, जो खेल आप ही कर सकते हैं। तभी सम्राट के संकेत से महामंत्री ने सभा में बैठे सभी लोगों को बिना पिंजरा खोले और तोडे शेर को बाहर निकालने को कहा।

पिंजरे का शेर Summary in Hindi

सभा में उपस्थित सभी लोग पिंजरे की तरफ देखते रहे किसी ने भी उसमें से बिना खोले शेर को बाहर निकालने की हिम्मत नहीं दिखाई। अचानक वहाँ एक पन्द्रह – सोलह वर्ष का किशोर आया और उसने सम्राट् से उसे बाहर निकालने की आज्ञा माँगी। असफल होने पर मृत्यु का कठोर दंड भी उसे अपनी मंज़िल से विचलित नहीं कर सका। किशोर ने पिंजरे को पानी में डालने के लिए कहा और बाद में निकलवा लिया। उसने पिंजरे में बंदी शेर को ध्यानपूर्वक देखकर उसके चारों तरफ आग लगवा दी। इससे सभा में सन्नाटा छा गया। धीरे – धीरे सीसा धातु से बना शेर गर्मी से पिघलकर धरती पर फैल गया और पिंजरा खाली हो गया। इस कार्य के लिए उस किशोर को पुरस्कार दिया गया। यही किशोर बड़ा होकर चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम से प्रसिद्ध हुआ जिसने उत्तर भारत के सभी छोटे – छोटे राज्यों को एक सूत्र में बाँधकर सुदृढ़ साम्राज्य की नींव रखी।

हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती Summary in Hindi

हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती Summary in Hindi

“Himmat Karne Walon Ki Haar Nahin Hoti,” which translates to “Those Who Persevere Never Face Defeat,” is an inspirational mantra that embodies the essence of resilience and determination in the face of adversity. In this summary, we delve into the significance of this motto, which underscores the idea that success is not reserved for the exceptionally talented or fortunate but is attainable by those who possess unwavering courage and the will to persevere. Read More Class 8 Hindi Summaries.

हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती Summary in Hindi

हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती कविता का सार

“हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती’ नामक कविता डॉ० हरिवंशराय बच्चन द्वारा लिखित है। इसमें कवि ने साहसी पुरुषों की जीत का संदेश दिया है। साहसी लोगों की जीवन में कभी हार नहीं होती। जो लोग लहरों से डरते रहते हैं उनकी कभी नैया पार नहीं लगती। उदाहरण के रूप में वे समझाते है कि जैसे नन्हीं – सी चींटी दाना लेकर दीवारों पर चढ़ते हुए सैंकड़ों बार फिसलती है किन्तु वह हार नहीं मानती।

उसके मन का विश्वास उसमें साहस पैदा करता है। इस विश्वास से उसे चढ़कर गिरना और गिरकर चढ़ना बुरा नहीं लगता था। वे अंत में सफलता प्राप्त कर ही लेते हैं। वह अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेती है। एक गोताखोर मोती पाने की आशा में सागर में अनेक बार गोते लगाता है और अनेक बार खाली हाथ लौटता है किन्तु उसे पता है कि पानी में मोती आसानी से नहीं मिलते इसी बात से उसका उत्साह दुगुना बढ़ जाता है।

इसी उत्साह एवं हिम्मत से गोताखोर मोती प्राप्त कर लेता है। कवि ने प्रेरणा देते हुए कहा है कि असफलता को सदा एक चुनौती के रूप में स्वीकार करना चाहिए। हमें उसमें कमी को ढूंढकर उसका सुधार करना चाहिए। सफलता न मिलने तक नींद आराम त्याग देना चाहिए। मैदान छोड़कर कभी भी नहीं भागना चाहिए बल्कि अंत तक संघर्ष करना चाहिए क्योंकि जीवन में कुछ किए बिना ही जय प्राप्त नहीं होती।

पदावली (सूरदास,मीराबाई) Summary In Hindi

पदावली (सूरदास,मीराबाई) Summary In Hindi

“Padavali: Surdas and Meera Bai” is a remarkable collection of devotional poetry that transcends time and resonates with the spiritual essence of India’s rich cultural heritage. Comprising the works of two iconic poets, Surdas and Meera Bai, this anthology transports readers to a world of divine devotion, love, and unwavering faith. In this summary, we embark on a journey through the verses of these revered saints, exploring the profound themes of love, devotion, and the eternal quest for the divine. Read More Class 8 Hindi Summaries.

पदावली (सूरदास,मीराबाई) Summary In Hindi

सूरदास पदावली सार

सूरदास का ईश्वर के प्रति गहरा विश्वास है कि वे सभी प्राणियों का कल्याण करते हैं। वे उनके अवगुणों की ओर ध्यान नहीं देते। जिस प्रकार पारस पत्थर मंदिर में रखे हुए लोहे को सोना बना देता है तो वह कसाई के द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले लोहे के साधन को भी वह सोना ही बनाता है। वे उनमें कर्म के आधार पर भेद-भाव नहीं करता। गंदे नालोंनालियों का जल भी गंगा की धारा में मिल कर गंगा की पवित्रता को पा जाता है। हर अच्छे-बुरे का रक्षक ईश्वर ही है। श्रीकृष्ण साँवले रंग के थे। उनके बड़े भाई बलराम उन्हें चिढ़ाते थे कि उनका जन्म यशोदा माता से नहीं हुआ। उन्हें तो बाज़ार से खरीदा गया था। यशोदा माता ने गउओं की सौगंध खाकर कहा कि वह ही उनकी माँ थी। बलराम का कहना झूठ था क्योंकि वह तो जन्म से ही धूर्त था।

मीराबाई पदावली सार

मीराबाई कृष्ण भक्ति के विषय में कहती है कि उनकी भक्ति सबसे अच्छी है जिसे चोर चुरा नहीं सकता, खर्च करने पर वह घटती नहीं बल्कि बढ़ती ही जाती है। वह सत्य की नौका को चलाने वाले हैं। उन्हीं का यश गागा कर वह प्रसन्नता प्राप्त करती है। वह अपने पाँवो में धुंघुरू बाँध कर उनके समक्ष नाचती है। लोग कहते हैं कि वह कुल का नाश कर रही थी पर वह उनकी परवाह नहीं करती। उसने राणा के द्वारा भेजा जहर का प्याला भी उनका प्रसाद समझ कर पी लिया था। वह तो केवल श्रीकृष्ण का है।

नेत्रदान Summary In Hindi

नेत्रदान Summary In Hindi

“Netradan” is a poignant and deeply touching concept that embodies the act of eye donation. This selfless gesture has the power to transform lives by restoring vision to those who have lost it. In this summary, we delve into the significance of “Netradan” and its profound impact on individuals and society as a whole. Read More Class 8 Hindi Summaries.

नेत्रदान Summary In Hindi

नेत्रदान पाठ का सार

प्रातः का समय था। ठंडी हवा चल रही थी। अपनी बात सुनाने वाली महिला घर के बगीचे में चाय पी रही थी कि फोन की घंटी बजी। उसकी बेटी फोन बाहर ही ले आई और उसने फोन अपनी मम्मी को दिया। फोन सुनते ही वह फूट-फूट कर रोने लगी। पूछने पर पता लगा कि उसकी प्रिय सहेली हृदयघात से चल बसी थी। वह और उसका पति शीघ्रता से उसके घर को चले।

घर से चलने से पहले उसने अपने नेत्रदान करने का संकल्प पत्र उठाया और फोन से नेत्र बैंक को सूचना दी। वहाँ पहुँचकर पता लगा कि सुबह चार बजे उसकी सहेली को दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी। महिला ने उसके पति को बताया कि उसकी मृतक पत्नी ने कुछ दिन पहले नेत्रदान करने का संकल्प किया था। पति ने बताया कि वह बाहर गया हुआ था और कल रात ही वापस लौटा था। उसने फोन पर इतना अवश्य बताया था कि वह मुझे कोई महत्त्वपूर्ण बात बताने वाली थी। महिला ने उसे अपना नेत्रदान पत्र दिखाया।

सहेली की सास और ससुर पहले तो अपनी बहू के नेत्रदान के लिए तैयार नहीं हुए लेकिन बाद में वे इसके लिए मान गए। मृतका की मौसी सास ने तो बहू की इस काम के लिए सराहना की। उसने स्वयं भी चार वर्ष पहले नेत्रदान का संकल्प पत्र भरा था। उसका पोता देख नहीं सकता था और हो सकता था कि बहू की आँखों से वह देखने लगे। नेत्रदान किसे प्राप्त होगा यह बात गुप्त रखी जाती है और एक व्यक्ति को एक ही आँख दान में दी जाती है। हमारे देश में 25 लाख से अधिक ऐसे बच्चे हैं जो देख नहीं सकते।

आँख के सामने का कॉर्निया नामक पर्दा धुंधला हो जाने के कारण दिखाई नहीं देता। जब साफ कॉर्निया लगा दिया जाए तो न देख सकने वाले वे लोग भी देख सकते हैं। मृतका की सहेली शल्य चिकित्सकों के आने से पहले रूई में बर्फ लपेट कर मृत शरीर की आँखों पर रखती रही थी। डॉक्टरों ने 15 से 20 मिनट में आँखें लेकर मृतका को नकली आँखें लगा दी थीं ताकि उसका चेहरा सामान्य बना रह सके।

फलों की चौपाल Summary In Hindi

फलों की चौपाल Summary In Hindi

“Phalon Ki Chaupal,” or “The Fruit Market,” is a captivating and lively setting that represents the vivid tapestry of nature’s offerings. This bustling marketplace is more than just a physical location; it’s a vibrant microcosm of existence itself, where an abundance of fruits showcases the kaleidoscope of shapes, sizes, colors, and tastes that the natural world provides. Read More Class 8 Hindi Summaries.

फलों की चौपाल Summary In Hindi

फलों की चौपाल पाठ का सार

तरह-तरह के फलों की एक सभा बुलाई गई। छोटे लड़के-लड़कियों ने फलों के मुखौटे लगाकर फलों का अभिनय किया। फलों के राजा आम ने अन्य फलों से पूछताछ की। वह जानना चाहते थे कि लोग उन्हें खाने के बाद बीमार क्यों पड़ जाते थे। केले ने सभा को आरम्भ किया और अमरूद पर आरोप लगाया कि उसे खाने से एक लड़के को खांसी हो गई।

शारीरिक परेशानी के साथ-साथ उसे इलाज के लिए पैसे भी खर्च करने पड़े। अमरूद ने अपना बचाव करते हुए कहा कि सर्दी के दिन शाम के समय उस लड़के ने उसे बिना धोये हुए खाना शुरू कर दिया था। यदि उसे दोपहर के समय खाया जाता तो वह हानिकारक नहीं होता। वह पाचन क्रिया को बढ़ाता है, पेट साफ रखता है, दाँतोंमसूड़ों के लिए अच्छा है, कब्ज़ और बवासीर में उपयोगी है और दिमाग की गर्मी को कम करता है। वह पागलपन दूर करने में भी सहायक होता है। बस, उसका इस्तेमाल ठीक ढंग से किया जाना चाहिए।

संतरे ने गाजर पर आरोप लगाया कि उसके कारण लोगों में दस्त और पेट की गड़बड़ी होने की शिकायतें आ रही थीं। गाजर ने अपने उत्तर में कहा कि लोग उसे धोए बिना खा लेते हैं। उस पर लम्बे-लम्बे बालों में एंटामीबा नामक जीवाणु होते हैं जो पेट में जाकर पाचन क्रिया को प्रभावित करते हैं। उसमें विटामिन ‘ए’, ‘बी’, ‘डी’ और ‘के’ काफ़ी मात्रा में होते हैं जिससे शरीर का विकास होता है। उसे अच्छी तरह धोने के बाद ही खाया जाना चाहिए। गाजर के बैठते ही मूली ने अपने बारे में स्वयं कहा कि उसे खाने से पहले धोया जाना चाहिए।

केले ने अंगूर पर आरोप लगाया कि उसे खाने से अनेक लोग बीमार पड़ जाते हैं। इसका कारण क्या था ? अंगूर ने बताया कि उसमें विटामिन ए, बी, सी, प्रोटीन, वसा, कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहा आदि होते हैं जिनसे शरीर में खून बढ़ता है, खून साफ होता है, पाचन क्रिया ठीक होती है और नेत्र ज्योति ठीक होती है। वह कमज़ोर और रोगियो के लिए बहुत उपयोगी होता है।

लोगों की बीमारी का कारण वह नहीं है बल्कि लोग स्वयं हैं। वे रेडियों और ठेले वालों से उसे खरीदते हैं। उस पर पड़ी धूल-मिट्टी, मक्खियों की गन्दगी आदि की परवाह किए बिना उसे खा जाते हैं जिस कारण वे बीमार पड़ जाते हैं। उसे पकाने के लिए रासायनिक पदार्थों का उपयोग भी नहीं किया जाना चाहिए। उसे खाने से पहले अच्छी तरह धोया जाना चाहिए। अंगूर के बैठते ही सेब स्वयं खड़ा हो गया। उसने बताया कि उसे खाने के लिए लोग उसका छिलका उतार देते हैं। छिलके के ठीक नीचे विटामिन ए और सी होते हैं। इसलिए अच्छी तरह धोकर छिलके सहित खाना चाहिए। सबकी बात सुनकर आम ने निष्कर्ष निकाला कि लोगों को फल सावधानी से खाने चाहिएं। उन्हें अच्छी तरह धोकर बिना छिलका उतारे ही खाना चाहिए।

उम्मीद का अन्तिम पत्ता Summary In Hindi

उम्मीद का अन्तिम पत्ता Summary In Hindi

“Umeed Ka Antim Patta,” which translates to “The Final Leaf of Hope” in English, is a thought-provoking and emotionally charged literary work that delves deep into the human psyche and the resilience of the human spirit. Read More Class 8 Hindi Summaries.

उम्मीद का अन्तिम पत्ता Summary In Hindi

उम्मीद का अन्तिम पत्ता कहानी का सार

मन में उत्पन्न होने वाले आशा के भाव किसी में भी नया जीवन भर देने की ताकत रखते हैं। स्यू और जॉनसी दो सहेलियां थीं। वे कलाकार थीं और एक साथ एक पुराने मकान की तीसरी मंजिल पर रहती थीं। नवम्बर महीने में जॉनसी को निमोनिया हो गया था। वह बिना हिले-डुले बिस्तर पर लेटी रहती थी। डॉक्टर उसका इलाज कर रहा था पर उस पर दवाई का कोई असर ही नहीं हो रहा था। एक दिन डॉक्टर ने स्यू से कहा कि उसे लगता था कि उसकी सहेली ने अपने दिमाग में यह बात बिठा ली थी कि वह अब ठीक नहीं हो सकती थी। ऐसा होने के कारण दवाइयाँ उस पर असर नहीं कर रही थीं।

स्यू ने अपनी सहेली के ध्यान बंटाने के लिए फैशन, वस्त्रों, चित्रकला आदि से जुड़ी हुई बातें कीं लेकिन उसने कोई उत्तर नहीं दिया। वह अपना ड्राइंग बोर्ड भी उसके कमरे में ले आई थी। एक दिन स्यू ने जॉनसी को खिड़की के बाहर लेटे-लेटे आइवी-लता के झड़ते पत्तों को गिनते देखा। वह बेल खिड़की के सामने ईंटों की दीवार के मध्य तक चढ़ी हुई थी। बाहर लगातार बढ़ती ठंड के कारण बेल के पत्ते गिर रहे थे। जब स्यू ने उससे इस बारे में पूछा तो जानसी ने उत्तर दिया कि तीन दिन पहले वहाँ लगभग सौ पत्ते थे। अब केवल पाँच पत्ते शेष रह गए थे। जब अन्तिम पत्ता गिर जाएगा तो वह भी मर जाएगी।

स्यू ने उसे समझाया कि झड़ते पत्तों का उसके जीवन से कोई सम्बन्ध नहीं था लेकिन वह भी कुछ नहीं बोली। अब बेल पर केवल तीन पत्ते शेष रह गए थे। जाह्नसी अन्धेरा होने से पहले पके हुए अन्तिम पत्ते को भी गिरते हुए देखना चाहती थी और सोचती थी कि उसके बाद वह भी सदा के लिए सो जाएगी। स्यू ने उसे दुलारा, प्यार किया और उसे समझाया। उसने उससे कहा कि जब तक वह चित्र पूरा नहीं बना लेती तब तक वह खिड़की के बाहर उस पत्ते की ओर न देखे। वह बूढ़े खनिक का चित्र बनाने के लिए सबसे नीचे वाली मंजिल की ओर चली गई जहां बहरमैन नामक बूढ़ा चित्रकार रहता था। वह उसे अपने चित्र का मॉडल बनाना चाहती थी। वह बूढ़ा चित्रकार एक सर्वश्रेष्ठ कलाकृति बनाना चाहता था। स्य ने अपनी सहेली से सम्बन्धित सारी परेशानियाँ बहरमैन को बताईं। वे दोनों जब कमरे में आए तो जाह्नसी सो रही थी। बेल पर अब केवल एक पत्ता शेष बचा था, बाहर तेज़ बारिश हो रही थी और बर्फीली हवा चल रही थी, ऐसा लगता था कि आखिरी पत्ता भी गिर जाएगा। बहरमैन बिना कुछ बोले वापस अपने कमरे में चला गया।

अगली सुबह जब पर्दा हटाया तो तेज़ हवाओं के बावजूद आखिरी पत्ता नहीं गिरा था। वह काफी हरा और स्वस्थ लग रहा था। कुछ-कुछ देर बाद जाह्नसी अपनी आँखें खोलकर उस पत्ते की ओर देख लेती थी। शाम को एक बार फिर तूफ़ान आया वह पत्ता फिर भी नहीं गिरा। कुछ देर बाद उसने स्यू से कहा कि उसके विचार ठीक नहीं थे। वह जान गई थी कि मौत की चाह रखना पाप था।

दोपहर बाद डॉक्टर साहब ने उसे जाँच कर कहा कि अब ठीक थी और शीघ्र पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएगी। उसने यह भी बताया कि बहरमैन को भी निमोनिया हो गया था और कोई उम्मीद नहीं थी कि वह जिन्दा रह पाएगा। अगली सुबह स्यू ने जॉनसी को बताया कि बहरमैन की मृत्यु हो गई थी। उसे दो दिन से निमो िथा। चौकीदार ने बताया कि वह गीले कपड़े और गीले जूते पहने हुए बिस्तर पर पड़ा काँप रहा था। वह तूफ़ानी रात में बाहर निकला था। उसने आईवीलता का आखिरी पत्ता गिर जाने के बाद हरे-पीले रंगों का पत्ता बनाकर वहां लगाया था जो फड़फड़ाता नहीं था। वह उसकी सर्वश्रेष्ठ कलाकृति थी।

हरी-हरी दूब पर Summary In Hindi

हरी-हरी दूब पर Summary In Hindi

“Hari Hari Doob Par” translates to “On green grass” refers to a setting or scene where grass is lush, vibrant, and typically has a vivid green color. This phrase often conveys a sense of natural beauty, serenity, and peacefulness associated with open green spaces. It can evoke images of leisurely activities, picnics, or moments of relaxation spent outdoors. Read More Class 8 Hindi Summaries.

हरी-हरी दूब पर Summary In Hindi

हरी-हरी दूब पर कविता का सार:

कवि ने अपनी कविता में प्रकृति में आने वाले परिवर्तनों को सूक्ष्मता से देखा है और उन्हें प्रकट किया है। सुबह-सवेरे हरी-हरी घास ओस की बूंदें अभी कुछ देर पहले तो दिखाई दे रही थीं पर अब वे वहाँ नहीं हैं। हमारे जीवन में भी खुशियाँ आती हैं। वे पलभर रहती हैं और फिर हमारा साथ छोड़ जाती हैं। आश्विन महीने में सुबह सूर्य पूर्व दिशा में जब प्रकट हुआ तो मेरी बगीची का पत्ता-पत्ता जगमगा उठा था। मुझे समझ नहीं आ रहा कि अब मैं सूर्य देव को प्रकाश देने के लिए प्रणाम करूँ या उस धूप के कारण भाप बन गई ओस को ढूँढूँ। सूर्य एक सच्चाई है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता पर ओस की बूंद भी तो सच है। हाँ, इतना ठीक है कि ओस का जीवन पलभर का है और पल-पल की खुशी को पीने का मुझे अधिकार है। मैं उसे प्राप्त क्यों न करूँ ? सूर्य तो फिर उगेगा, धूप भी निकलेगी पर मेरी बगीची में हर मौसम में ओस की बूंदें तो दिखाई नहीं देंगी।

सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा Summary In Hindi

सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा Summary In Hindi

“Sadak Suraksha-Jeevan Raksha” translates to “Road Safety, Life Protection” in English. This phrase encapsulates the core idea that road safety measures are essential for protecting and preserving lives. Read More Class 8 Hindi Summaries.

सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा Summary In Hindi

सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा पाठ का सार

स्कूल में ट्रैफिक पुलिस अधिकारी आमन्त्रित किए गए थे। प्रधानाचार्य ने उनका परिचय देते हुए स्कूल में आने के लिए स्वागत किया। सभी विद्यार्थी यातायात के नियमों को जानना चाहते थे। स्टेज पर लगे यातायात नियमों तथा चिह्नों से सम्बन्धित चार्यों को समझना चाहते थे। ट्रैफिक पुलिस अधिकारी ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि यातायात के नियमों का पालन न करने और सड़क पर लापरवाही के कारण दुर्घटनाओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इनसे बचने का एक ही मूल तरीका है कि हमें स्वयं सड़क पर सुरक्षित ढंग से चलना चाहिए और दूसरों की सुरक्षा का भी ध्यान रखना चाहिए। विद्यार्थियों की जानकारी बढ़ाते हुए उन्होंने बताया कि हमें हमेशा सड़क के बायीं ओर ही चलना चाहिए। यदि सड़क पार करनी हो तो दायीं-बायीं ओर देखकर सावधानी से ऐसा करना चाहिए।

हमें सड़क के किनारे फुटपाथ पर ही चलना चाहिए। तेज़ रफ्तार से वाहन नहीं चलाना चाहिए। पुरुषों और महिलाओं को हेलमेट का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। वाहन चलाते समय सुरक्षा बैल्ट का प्रयोग करना चाहिए। यदि वाहन चलाते समय मोबाइल फोन की घण्टी बज जाती है तो वाहन को सड़क के किनारे रोककर बात करनी चाहिए। ट्रैफिक पुलिस ने जगह-जगह सड़क किनारे बोर्ड लगवाए हुए हैं। स्कूल के सामने बोर्ड पर जो बैग ले जाते बच्चे का चित्र बना होता है उसका अर्थ होता है कि यहाँ स्कूल है इसलिए वाहन की गति कम करो। अस्पताल के पास हार्न के कटे हुए निशान का अर्थ होता है कि व्यर्थ में हार्न न बजाया जाए क्योंकि ऊँची आवाज़ से रोगियों को परेशानी होती है।

पार्किंग के लिए अलग-अलग तीर लगे होते हैं। ‘P’ के नीचे दायीं ओर लगा तीर यह दर्शाता है कि वाहन दायीं ओर खड़ा करें। यही तीर का चिह्न बाईं ओर लगा हो तो वाहन को बाईं तरफ खड़ा करना चाहिए। ‘P’ के दोनों तरफ लगे तीर यह दर्शाते हैं कि वाहन दोनों तरफ खड़े किए जा सकते हैं। यदि ‘P’ के नीचे ‘साइकिल’ या ‘कार’ का चिह्न लगा हो तो वहाँ वहीं सम्बन्धित वाहन ही खड़ा करना चाहिए। सड़क पर लगी काली-सफेद लाइनों को ज़ेबरा लाइनें कहते हैं। पैदल चलने वालों को सदा उन्हीं पर चलते हुए सड़क पार करनी चाहिए। ऊबड़-खाबड़ सड़क की चेतावनी भी बोर्ड पर अंकित की जाती है। सड़क पर बायें, दायें या घूमने के संकेत बोर्डों द्वारा चालकों को दिए जाते हैं। हमें सड़क पर न तो खेलना चाहिए और न कूड़ा-कर्कट फेंकना चाहिए। भारी गाड़ियों के बीच में से हमें नहीं निकलना चाहिए। यातायात के नियम हमें और दूसरों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।