Girija Kumar Mathur (1927-2007) was an eminent Indian writer, journalist, and editor known for his contributions to Hindi literature and journalism. Girija Kumar Mathur was a versatile literary figure who excelled in both journalism and creative writing. His literary journey encompassed a wide range of genres, from fiction to non-fiction, and his works left a significant mark on Hindi literature. Read More Class 12 Summaries.
गिरिजा कुमार माथुर Summary In Hindi
गिरिजा कुमार माथुर जीवन परिचय
गिरिजा कुमार माथुर जी का जीवन परिचय लिखिए।
गिरिजा कुमार माथुर का जन्म 22 अगस्त, सन् 1919 ई० को मध्यप्रदेश के अशोक नगर में हुआ। लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एम० ए० तथा एल० एल० बी० पास करके आपने झाँसी में कुछ समय तक वकालत की और बाद में आकाशवाणी में नौकरी कर ली। सन् 1950 में आपको संयुक्त राष्ट्र संघ में सूचना अधिकारी नियुक्त किया गया। सन् 1953 में वापस आकर इन्हें आकाशवाणी लखनऊ के उपनिदेशक पद पर नियुक्त किया गया। इन्होंने आकाशवाणी जालन्धर में भी कार्य किया और दिल्ली केन्द्र से उप महानिदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए। इनका निधन 10 जनवरी, सन् 1994 को नई दिल्ली में हो गया था।
गिरिजा कुमार माथुर रचना:
इनकी नाश और निर्माण, धूप के धान, शिलापंख चमकीले, जो बंध नहीं सका, भीतरी नदी की यात्रा, जन्म कैद आदि प्रमुख रचनाएँ हैं।
गिरिजा कुमार माथुर कविताओं का सार
आदमी का अनुपात कविता में कवि ने अहंकारी मनुष्य को बताया है कि लाखों ब्रह्मांडों के मध्य उसका अनुपात कितना तुच्छ है, फिर भी वह स्वार्थवश अपनी अलग दुनिया रचना चाहता है, यहाँ तक कि एक कमरे में दो आदमी भी मिलकर नहीं रह पाते। ‘पन्द्रह अगस्त’ कविता ने देशवासियों को अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए सचेत रहने के लिए कहा है क्योंकि हमारी स्वतंत्रता पर बाहरी सीमा से शत्रु तथा आंतरिक रूप से देश की समस्याएं आक्रमण कर सकती हैं। इसलिए हमें सदा सजग प्रहरी बनकर इनसे जूझना होगा।