शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Summary In Hindi

Shivmangal Singh Suman (1915-2002) became a prominent Hindi poet and literary parent regarded for his impactful contributions to Hindi literature. Shivmangal Singh Suman changed into a prominent Hindi poet whose verses captured the essence of human emotions, social issues, and the spirit of his time. His poetry is characterised with the aid of its simplicity, poignant expressions, and a deep connection to the everyday experiences of human beings. Read More Class 12 Summaries.

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Summary In Hindi

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जीवन परिचय

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी का जीवन परिचय दीजिए।

शिवमंगल सिंह ‘सुमन‘ का जन्म 5 अगस्त 1915 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के झगरपुर में हुआ था। आप की आरम्भिक शिक्षा रीवां और ग्वालियर में हुई। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से आपने हिन्दी विषय में एम० ए० और डी० लिट० की उपाधियां प्राप्त की। इन्होंने हाई स्कूल के अध्यापक पद से लेकर विश्वविद्यालय के उप-कुलपति पद पर कार्य किया। सन् 1956-61 तक आपने नेपाल में भारत सरकार के सांस्कृतिक प्रतिनिधि के तौर पर कार्य किया। आपको ‘विश्वास बढ़ता ही गया’ काव्य संग्रह पर देव पुरस्कार, ‘पर आँखें नहीं भरीं’ पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नवीन पुरस्कार, ‘मिट्टी की बारात’ पर साहित्य अकादमी पुरस्कार, तथा सोवियतलैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ रचना : इनकी अन्य रचनाएँ हिल्लोक, प्रणय सृजन, जीवन के गान हैं।

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ कविताओं का सार

चलना हमारा काम है कविता ने मनुष्य को सांसारिक जीवन में आने वाले सुख-दुःखों को समभाव से ग्रहण करते हुए निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा दी है क्योंकि कठिनाइयों का सामना करना ही जीवन है। कुछ साथी मिलेंगे, कुछ बिछड़ेंगे-परन्तु उत्साह और हिम्मत से आगे बढ़ते रहना चाहिए।

‘मानव बनो, मानव जरा’ कविता में कवि ने मनुष्य को आंसू बहाने, पराश्रित होने घबरा जाने के स्थान पर आत्मनिर्भर बनने का संदेश दिया है तथा संसार को संवेदनापूर्ण बनाकर लोककल्याण का मार्ग अपनाने पर बल दिया है।

Leave a Comment