हिम्मती सुमेरा Summary In Hindi

“हिम्मती सुमेरा” एक हिन्दी कहानी है जो एक साहसी और संघर्षशील लड़की, सुमेरा, की कहानी पर आधारित है। यह कहानी सुमेरा के जीवन के विभिन्न पहलुओं को दिखाती है, जिसमें उसके सपनों की पूर्ति के लिए उसकी हिम्मत और संघर्ष का महत्वपूर्ण संदेश होता है। यह कहानी समर्पण और संघर्ष के आदर्श को प्रकट करती है। Read More Class 7 Hindi Summaries.

हिम्मती सुमेरा Summary In Hindi

हिम्मती सुमेरा पाठ का सार

‘हिम्मती सुमेरा’ एक ऐसे गरीब बालक की कहानी है जो अपनी मेहनत और लगन से एक सफल व्यापारी बन गया। सुमेरा पुराने से बस्ते को लेकर पढ़ने स्कूल जाता है। उसकी माँ की मृत्यु हो गई है तथा पिता बस अड्डे पर सामान ढोने का काम करता है। पिता उसे सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर चलने की शिक्षा देते हैं। एक दिन शाम को सुमेरा घर का काम-काज करने के बाद पढ़ रहा था कि तीन-चार आदमी उसके पिता को उठा कर लाए जो सिर चकराने से बेहोश हो गए थे। उन्हें अस्पताल ले जाया गया। जहाँ वे दो दिन बेहोश रहे। बेहोशी टूटने पर पता चला कि उन के दोनों पैरों को लकवा मार गया था। दस वर्षीय सुमेरा समझ नहीं रहा था कि अब क्या करें?

सुमेरा ने दिन में स्कूल, सुबह पिता की सेवा और बाकी समय में सब्जी बेचने का निश्चय किया। उसके पास पैसे नहीं थे। उसने अपनी सारी दशा अपने मास्टर जी को बताई तो उन्होंने उसे तीस रुपए उसकी हिम्मत से खुश होकर इनाम में दिए परन्तु सुमेरा ने इन्हें उधार समझकर लौटाने के लिए कहा।

सुमेरा ने मंडी से तीस रुपए के संतरे खरीदे और सवेरे-सवेरे सब्जी वालों के बीच में उन्हें गा-गा कर बेचता रहा। शाम तक उसने छत्तीस रुपए के संतरे बेच लिए तथा बचे हुए चार संतरे वह पिता के खाने के लिए ले आया। अगले दिन फिर उसने यही किया। उसकी बिक्री ठीक हो रही थी कि शाम को साइकिल पर थैला लटकाए कोई वसूला करने आया। पास वाले ने उसे साइकिल वाले के थैले में दो रुपए डालने के लिए कहा पर उसने नहीं डाले। दो दिन बाद कमेटी की गाड़ी आई और उस का सामान उठा कर ले गए क्योंकि उस के पास लाइसेंस नहीं था।

सवेरा होने पर वह दिल्ली के राजा के घर गया पर पहेरदारों ने उसे अन्दर नहीं जाने दिया। वह वही बैठा रहा। राजा बड़ी-सी मोटर में बाहर निकला पर सुमेरा के वहाँ तक पहुँचने से पहले ही गाड़ी वहाँ से निकल गई। सुमेरा वहीं बैठकर राजा के लौटने की प्रतीक्षा करने लगा। शाम को राजा की गाड़ी आते देख वह दोनों हाथ फैलाकर सड़क के बीच में राजा की गाड़ी के सामने खड़ा हो गया। गाड़ी रोककर ड्राइवर ने उसे डाँटा तो वह राजा साहब की खिड़की के सामने कुछ कह कर सुबकने लगा। तब राजा साहब ने उसे कोठी में बुलाकर सब कुछ पूछा और सुमेरा को दस रुपए देकर अगले दिन आने के लिए कहा। अगले दिन राजा साहब ने उसे लाइसेंस और सौ रुपए दिए कि इन से वह अपना काम शुरू करे।

सुमेरा ने कठिन परिश्रम से अपना काम बढ़ाया, पिता का इलाज कराया, उन्हें दुकान पर बैठा कर वह पढ़ने जाता। उसने दो कमरों का पक्का मकान और दिल्ली के सब्जी बाज़ार में अपनी दुकान भी बना ली।

Conclusion:

“हिम्मती सुमेरा” कहानी द्वारा हमें सुमेरा जैसे साहसी और संघर्षशील व्यक्तित्व के महत्व को समझाया जाता है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी हार नहीं मानता। इस कहानी का संदेश है कि संघर्ष और समर्पण से हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं। “हिम्मती सुमेरा” हमें सपनों की पूर्ति के लिए निरंतर प्रयास करने का प्रेरणास्पद संदेश देती है।

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