“हम पंछी उन्मुक्त गगन के” एक प्रसिद्ध हिन्दी कविता है जो दिनेश्वर नाथ माध्यमिक विद्यालय के छात्र दिनेश्वर नाथ कौशिक द्वारा रची गई है। इस कविता में, पंछियों के द्वारा आकाश के अनन्त स्वतंत्रता का सुंदर प्रतीक प्रस्तुत किया गया है, जो मनुष्यों को उनकी आपातकालिन दिक्कतों से मुक्ति की ओर प्रेरित करता है। यह कविता गगन की शांति और स्वतंत्रता के संदेश के साथ हमें प्रेरित करती है। Read More Class 7 Hindi Summaries.
हम पंछी उन्मुक्त गगन के Summary In Hindi
हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का सार
शिव मंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ में कवि ने आज़ादी से उड़ने वाले पक्षी के विचारों का वर्णन किया है। कवि लिखता है कि खुले आकाश में उड़ने वाला पक्षी कहता है कि वह पिंजरे में बन्द हो कर गा नहीं सकेगा क्योंकि पिंजरे की सोने की तीलियों से टकराकर उसके आनन्द में मग्न पंख टूट जाएंगे। वे सदा बहता हुआ जल पीते हैं तथा उन्हें पिंजरे में सोने की कटोरी में दिए गए स्वादिष्ट भोजन की अपेक्षा कड़वी नीम की निबौरी ही अच्छी लगती है। सोने के पिंजरे में बन्द होकर वे अपनी स्वाभाविक चाल और गति भी भूल जाते हैं और पेड़ की फुनगी पर बैठने से मिलने वाले झूले का आनन्द उनके लिए स्वप्न ही बन जाता है। वे नीले आकाश में बहुत ऊँचे उड़कर अपनी लाल चोंच से तारों रूपी अनार के दानों को चगना चाहते थे। वे असीम क्षितिज को अपने पंखों से नाप लेना चाहते थे जिस से वे उसे पा लेते अथवा उनकी साँसों की डोरी तन जाती। वे चाहते हैं कि चाहे उन्हें किसी टहनी पर रहने के लिए घोंसला न दो परन्तु यदि पंख दिए हैं तो उन्हें निर्विघ्न उड़ान भरने दो।
Conclusion:
“हम पंछी उन्मुक्त गगन के” कविता का संक्षेप इसके मुख्य संदेश को स्पष्ट करता है, जो है – स्वतंत्रता का मूल्य हमारे जीवन में महत्वपूर्ण है, और हमें अपनी आवश्यकताओं और दिक्कतों के बावजूद आगे बढ़ना चाहिए। यह कविता हमें यह याद दिलाती है कि सफलता और स्वतंत्रता का मार्ग हमारे अंतरात्मा में ही है, और हमें उसे खोजने का प्रयास करना चाहिए।