माँ तुलसी मेरे आँगन की Summary In Hindi

“माँ तुलसी मेरे आँगन की” एक हिन्दी कहानी है जो एक माँ की संघर्षपूर्ण जीवन कहानी को दर्शाती है, जिसमें वह अपने बच्चे के लिए सब कुछ करने का प्रयास करती है। कहानी ने माँ-बेटे के बंधन और माँ के प्रेम की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रस्तुत किया है। Read More Class 7 Hindi Summaries.

माँ तुलसी मेरे आँगन की Summary In Hindi

माँ तुलसी मेरे आँगन की पाठ का सार

‘माँ तुलसी मेरे आँगन की’ पाठ में लेखक ने तुलसी के पौधे के औषधीय गुणों का शशि और सिम्पी के वार्तालापों के माध्यम से वर्णन किया है। राशि स्नान के बाद माँ तुलसी मेरे आँगन की गुनगुनाती हुई तुलसी के पौधे को जल चढ़ा कर शीतलता, शान्ति और पवित्रता का अनुभव कर उसी में लीन है और सिम्पी की आवाज़ नहीं सुन पाती और उस के यह कहने पर कि क्या वह ‘मैं तुलसी मेरे आँगन की’ फ़िल्म देख कर गुनगुना रही है? उसे उत्तर देती है कि तुलसी को जल चढ़ा कर उसे ऐसा लगता है जैसे उसे माँ के आंचल की छाया मिल गई हो। सिंपी भी अपने आँगन में तुलसी का पौधा मँगवा कर लगाना चाहती है। शशि उसे अपने तुलसे के चबूतरे से तुलसी का नन्हा पौधा ले जाकर अपने घर लगाने के लिए कह कर उसे उस के वृन्दा के देवी रूप के विषय में बताती है जो कहीं हर-शिव तथा जालंधर की पत्नी के रूप में प्रसिद्ध है। वृन्दावन में भी तुलसी-दलों की ही अधिकता रही होगी।

सिम्पी बताती है कि उसके घर आए एक वैद्यराज ने इसे महौषधि बताकर इसे सामान्य बुखार, जुकाम, खाँसी, मलेरिया, खून के विकारों को दूर करने में लाभदायक बताया था। शशि कहती है कि तुलसी से रोग ही दूर नहीं होते बल्कि इसके नियमित सेवन से रोग पास भी नहीं आते। इसे चरणामृत और प्रसाद में रखते हैं। इस की सुगन्ध मच्छर कीटाणुओं, साँप तक को दूर भगाती है। चाय में इस की महक बहुत अच्छी लगती है। यह दो प्रकार की सामान्य और श्यामा तुलसी होती है तथा दोनों के गुण सामान्य होते हैं। सिम्पी को भी तुलसी माता जैसी लगती है और दोनों गुनगुनाने लगती हैं ‘माँ तुलसी मेरे आँगन की।

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