“Majboori” refers to a state of being compelled or forced to do something due to unavoidable circumstances or external pressures. It signifies a situation where an individual has limited choices or options and must act in a certain way out of necessity rather than personal preference. Read More Class 11 Hindi Summaries.
मजबूरी Summary In Hindi
मजबूरी कहानी का सारांश
रामेश्वर तीन वर्ष पश्चात् अपनी पत्नी और बेटे के साथ गाँव में अपने माता-पिता से मिलने आ रहा है। उनके आने की खुशी में रामेश्वर की माँ गठिया से जुड़ी होने पर भी घर की साफ़ सफ़ाई में जुट जाती है। उनके नहाने के लिए चूल्हे पर पानी गर्म करती है, तरकारी आदि काटकर पहले से तैयार रखती है ताकि वर्षों बाद आने वाले बेटे से खुलकर बातें कर सके।
रामेश्वर के नहाने जाने के पश्चात् रामेश्वर की माँ ने बहू से पूछा कि उसे कितने महीने चढे हैं। बहू ने साहस बटोर कर कहा कि इस बार बेटू को आप ही रखेंगे। जैसे-तैसे भी हो, इसे अपने से हिला लीजिए। मैं तो इसके मारे परेशान थी, दो-दो को तो नहीं संभाला जा सकता। रामेश्वर की माँ बहू की यह बात सुनकर बहुत प्रसन्न हुई। उसने यह बात सबको ज़ोर दे देकर बताई ताकि रामेश्वर की पत्नी अपना इरादा न बदल दे।
रामेश्वर ने जाते समय अपने माता-पिता को ढेर सारे कपड़े बनवा दिए और माँ ने भी उससे हर साल घर आने का वादा मांगा। किंतु अगले दो साल बाद रामेश्वर तो नहीं आया हाँ, उसकी पत्नी रमा अवश्य आई। उसने अपने बेटे को दादी के लाड़ प्यार के कारण बिगड़े हुए पाया। उसने अम्मा से शिकायत भी की किंतु अम्मा का बच्चों को पालने-पोसने का अपना ही तरीका था।
दो साल ओर बीत गए। रमा और रामेश्वर तीन साल के अपने छोटे बेटे को लेकर अपने मातापिता से मिलने के लिए आए। उन्होंने अपने छोटे बेटे को शहर के एक अंग्रेजी स्कूल में दाखिल करवा दिया था। किंतु बड़ा बेटा उसे वैसे का वैसा लगा जैसा वह छोड़ गई थी। न चाहते हुए भी रामेश्वर और रमा बेटू को अपने साथ ले गए। लेकिन बेटू दादी से इतना हिल-मिल गया था कि उसका बिछोड़ा उससे सहन न हो सका। उसे जाते ही बुखार चढ़ आया। यह समाचार सुनकर दादी उसे लेकर गाँव लोट आई।
एक साल ओर बीत गया। इस बार तो बेटू को जबरदस्ती बम्बई ले जाया गया। उसे इस प्रकार सिखाया-पढ़ाया गया कि वह शहर के वातावरण में हिल-मिल गया। बूढ़ी दादी को जब यह बात मालूम हुई कि बेटू उसे भूल गया है तो उसकी चिंता दूर हुई। किंतु अंदर ही अंदर वह दुःखी थी कि बेट उसे भूल गया है।
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