मदर टेरेसा, जिनका असली नाम आन्जेजे गोंजा बोयजी हुआ, एक प्रमुख भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता और मिशनरी थीं। उन्होंने अपने जीवन को गरीब, असहाय और अस्पताल में इलाज की आवश्यकता रखने वालों की सेवा में समर्पित किया और उनकी कड़ी मेहनत और निःस्वार्थी सेवा के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हुई। Read More Class 6 Hindi Summaries.
मदर टेरेसा Summary In Hindi
मदर टेरेसा पाठ का सार
मदर टेरेसा का जन्म 27 अगस्त, सन् 1910 को यूगोस्लाविया में हुआ। इनके बचपन का नाम एग्नेस गौंझा बोजाक्यु था। सात वर्ष की आयु में इनके पिता का देहान्त हो गया। 12 वर्ष की आयु में ही इन्होंने ‘नन’ बनने की इच्छा प्रकट की। तत्पश्चात् सन् 1928 में यह कोलकाता के इटाली स्थित लोरेटो कान्वेंट की शाखा सेंट मेरी स्कूल में भूगोल की अध्यापिका नियुक्त हुई। मदर टेरेसा अनाथों की नाथ, दीन-दुखियों के लिए करुणा का भण्डार थी। उसके मन में बेबस और लाचार तथा पीड़ित लोगों के लिए नि:स्वार्थ सेवा भावना विद्यमान थी। एक दिन उसने एक पीड़ित तथा दयनीय अवस्था में पड़ी महिला को उठाकर अस्पताल में भर्ती करवाया।
मदर टेरेसा गरीबों के बीच जाकर उनकी देखभाल करना और उनको शिक्षित करना चाहती थी लेकिन इसके लिए लोरेटो के सख्त नियम आड़े आ रहे थे अतः उन्होंने प्रधानाध्यापक के पद से त्यागपत्र दे दिया और पटना से चिकित्सक प्रशिक्षण लेकर समाज सेवा कार्यों में लग गई। उन्होंने सन् 1950 में एक संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी का शुभारम्भ किया। इस संस्था के अन्तर्गत उन्होंने ‘निर्मल हृदय’ तथा ‘निर्मल शिशु भवन’ आश्रम खोले जहाँ पर निराश्रितों, बेसहारा का पालन-पोषण होता था। सन् 1950 में जिस चैरिटी की स्थापना मदर टेरेसा ने अकेले की थी वह उनके अथक परिश्रम से काफ़ी विस्तृत हो गया था।
इस समय इनकी संस्था 70 विद्यालय, 250 अस्पताल, 28 कुष्ठ निवारण केन्द्र, 25 घर वृद्धों और निराश व्यक्तियों के लिए चला रही है। आज इस मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी के 700 से ज़्यादा केन्द्र है और 4500 से ज्यादा सिस्टर्स सेवा-कार्यों में लगी हैं। समाज सेवी मदर टेरेसा को उनकी सेवाओं के लिए अनेकों पुरस्कार और सम्मानं मिले। सन् 1962 में भारत सरकार द्वारा ‘पदमश्री’ सम्मान, सन् 1979 में नोबेल पुरस्कार तथा सन् 1980 में ‘भारत रत्न’ पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया गया। 5 सितम्बर, सन् 1997 को गरीबों की इस मसीहा का देहावसान हुआ।
Conclusion:
मदर टेरेसा ने अपने जीवन में सेवा और मानवता के महत्व को प्रकट किया और दुनियाभर में गरीबों और असहायों की सेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया। उनकी महानता और दिन-रात की मेहनत के परिणामस्वरूप, वे दुनिया के हर कोने में आशीर्वाद और प्रेरणा का प्रतीक बन गई।