पाँच प्यारे Summary In Hindi

“पाँच प्यारे” एक प्रसिद्ध हिंदी कहानी है, जो बच्चों को मोहक और शिक्षाप्रद संदेश देती है। इस कहानी में पंच प्यारे की एक अद्वितीय दोस्ती का वर्णन होता है, जो मिलकर मुश्किलों को पार करते हैं। Read More Class 6 Hindi Summaries.

पाँच प्यारे Summary In Hindi

पाँच प्यारे पाठ का सार

पाँच प्यारे Summary Images

सन् 1699 का वर्ष, बैसाखी का दिन था। भारी संख्या में बच्चे, बूढ़े तथा जवान आनन्दपुर साहब में इकट्ठे हुए। पंडाल में हजारों की संख्या में लोग उपस्थित थे। भगवान् का कीर्तन हो रहा था। गुरु गोबिन्द सिंह जी भी उस पंडाल में सुशोभित थे। कुछ समय के बाद गुरु जी खड़े हो गए। उनका चेहरा तमतमा रहा था। उन्होंने अपनी म्यान से तलवार निकाली और शेर की तरह गर्जना करते हुए बोले, “आज शक्ति-देवी एक बहादुर के शीश की मांग कर रही है। क्या यहाँ कोई ऐसा वीर है जो अपने जीवन का बलिदान कर सकता है ?” इन शब्दों को सुनते ही सभा में सन्नाटा छा गया। लोगों के हृदय कांपने लगे। कोई भी व्यक्ति बलिदान के लिए तैयार न था। गुरु जी ने अन्त में फिर कहा कि हज़ारों की इस गणना में क्या कोई भी ऐसा वीर नहीं जिसे मुझ पर विश्वास हो। इस पर पाँच वीर सामने आए। गुरु जी ने उन्हें खालसा सजाया। गुरु जी ने उन्हें पाँच प्यारों की संज्ञा दी और घोषणा की कि ये पाँच प्यारे अपने प्राणों का बलिदान देकर अपने धर्म की रक्षा करेंगे। यह सुनकर सबने सत्-श्री अकाल का जय-घोष किया।

Conclusion:

“पाँच प्यारे” कहानी का संक्षेपन करते समय, हम देखते हैं कि यह एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि सच्ची दोस्ती और साथीता किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। कहानी में पंच प्यारे की उम्र बढ़ती है, लेकिन उनकी दोस्ती और आपसी साथीता में कोई कमी नहीं आती, जो हमें यह सिखाता है कि अच्छे दोस्त हमारे जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से रहते हैं और वे हमारे साथ हर समय होते हैं।

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