नींव की ईंट Summary In Hindi

“Neenv Ki Eent” translates to “The Foundation Stone” in English. Read More Class 9 Hindi Summaries.

नींव की ईंट Summary In Hindi

नींव की ईंट जीवन-परिचय

जीवन-परिचय-श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का हिंदी गद्य-साहित्य में अद्भुत योगदान है। इनका जन्म सन् 1902 ई० में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर नामक गाँव में हुआ था। बचपन में ही इनके माँ-बाप की मृत्यु हो गई थी। इन्होंने अनेक कष्ट सहकर दसवीं तक की पढ़ाई की। सन् 1920 ई० में गांधी जी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित 7 सितंबर, सन् 1968 ई० को मृत्यु हो गई।

रचनाएं- श्री रामवृक्ष बेनीपुरी हिंदी के श्रेष्ठ लेखक माने जाते हैं। इनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं

  1. कहानी-चिता के फल
  2. उपन्यास-पतितों के देश में
  3. नाटक-आम्रपाली
  4. जंजीरें और दीवारें-रेखाचित्र।

साहित्यिक विशेषताएँ- श्री रामवृक्ष बेनीपुरी हिंदी के श्रेष्ठ साहित्यकार माने जाते हैं। उनका गद्य-साहित्य बहुत श्रेष्ठ है। इनके निबंधों में देशभक्ति की भावना का अनूठा वर्णन हुआ है। इन्होंने देश के युवाओं को देश एवं समाज पर बलिदान एवं त्याग करने के लिए प्रेरित किया है। इन्होंने समाज में फैली बुराइयों का सच्चा वर्णन किया है। इनकी भाषा सहज, सरल एवं स्वाभाविक है जिसमें तत्सम एवं तद्भव शब्दों का प्रयोग है। मुहावरों के प्रयोग से इनकी भाषा में निखार आ गया है।

नींव की ईंट निबंध का सार

‘नींव की ईंट’ लेखक श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का अत्यंत रोचक एवं प्रेरक निबंध है। इसमें लेखक ने मनुष्य को नि:स्वार्थ त्याग एवं बलिदान की प्रेरणा दी है। प्रत्येक मनुष्य को अपने देश तथा समाज के कल्याण के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। लेखक को इस बात का दुःख है कि आजकल हर आदमी भवन के कँगूरे की तरह बनना चाहता है। उसकी नींव की ईंट कोई बनना नहीं चाहता। लेखक चमकीली सुंदर एवं मज़बूत इमारत की नींव को ध्यान देने को कहता है। उसे दुःख है कि आज दुनिया केवल चमक-दमक देखती है किंतु उसके नीचे ठोस सत्य को कोई नहीं देखता। ठोस सत्य सदा शिवम् होता है किंतु वह सदा सुंदर हो यह जरूरी नहीं। सत्य कठोर होता है। कठोरता और भद्दापन एक साथ जन्म लेते हैं। लोग सदा कठोरता से भागते हैं। भद्देपन से मुँह मोड़ते हैं इसलिए वे सत्य से दूर जाते हैं।

कँगूरे पर चढ़ने वाली ईंट धन्य है जो लोगों को अपनी ओर आकृष्ट करती है किंतु इमारत की नींव की ईंट धन्य होती है जिसके ऊपर इमारत खड़ी होती है। इस ईंट के हिलने से कँगूरा ज़मीन पर गिर जाता है इसलिए हमें कँगूरे की ईंट को नहीं बल्कि नींव की ईंट के गीत गाने चाहिए। यह ईंट इमारत की शोभा बढ़ाने के लिए सदा ज़मीन के अंदर दबी रहती है और अपना त्याग एवं बलिदान करती है। इसी प्रकार जो समाज के लिए अपना बलिदान देते हैं वही समाज का आधार होते हैं। ईसा की शहादत ने ईसाई धर्म को अमर बनाया। वास्तव में ईसाई धर्म को अमर तो उन अनाम लोगों ने बनाया जिन्होंने इसका प्रचार करने में चुपचाप अपना बलिदान किया।

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