“राखी की चुनौती” एक हिन्दी कहानी है जो बंधन के महत्वपूर्ण त्योहार, रक्षाबंधन, के मौके पर आधारित है। इस कहानी में एक बहन अपने भाई से एक विशेष चुनौती देती है, जो उनके बंधन की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है। यह कहानी परिवार के बंधनों और स्नेह के महत्व को प्रमोट करने का संदेश देती है। Read More Class 7 Hindi Summaries.
राखी की चुनौती Summary In Hindi
राखी की चुनौती कविता का सार
‘राखी की चुनौती’ कविता सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित है, जिस में कवयित्री ने रक्षा-बंधन के पर्व पर देश को स्वतंत्र कराने के लिए जेल में बन्द अपने भाई को राखी की चुनौती देते हुए भारत माँ की स्वाधीनता को वापस लाने के लिए कहा है। कवयित्री लिखती है कि आज राखी के दिन बहन मन में, बिजली बादलों में, घटा आकाश में और लता वन में फूली नहीं समा रही है। कहीं राखियाँ, कहीं वर्षा की बूंदे, कहीं फूल खिले हैं। पूर्णिमा के इस राखी पर्व पर उन्हें बधाई है, जिन्हें भाई मिले हैं। बहन घर में है पर उसका भाई यहाँ नहीं है, भादों है पर घटा छाई नहीं है, प्रसन्नता न होते हुए भी दुःख भी नहीं है। भाई भारत माता को गुलामी के बन्धनों से छुड़ाने के लिए जेल गया है। इसलिए गर्व तो है परन्तु भाई को राखी नहीं बांध सकती, वह होता तो खुशी दुगुनी हो जाती। यहाँ आनन्द मन रहा है और भाई जेल में तप रहा है, यही बहन को दुःख है। उस के पास भाई के लिए लोहे की हथकड़ी जैसी राखी है। वह चाहती है कि इस विषम परिस्थिति में यदि उसके भाई को कुछ भी लज्जा है तो वह इसका कैदी बन कर देखे कि राखी का बन्धन कैसा होता है? यही उसकी राखी उसे आज चुनौती दे रही है।
Conclusion:
“राखी की चुनौती” एक दिलचस्प हिन्दी कहानी है जिसमें रक्षाबंधन के पर्व पर आधारित है। कहानी में एक बहन अपने भाई से एक अद्वितीय चुनौती देती है और उसे अपने प्रेम और समर्पण के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करती है। इस कहानी का संदेश है कि परिवार के बंधन और प्यार हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं और हमें उनकी रक्षा करने के लिए समर्पित रहना चाहिए।