सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ Summary In Hindi

Sachidanand Hiranand Vatsyayan ‘Agyeya’ (1911-1987) became a renowned Indian poet, novelist, and literary determinerecognized for his giant contributions to Hindi literature. Sachidanand Hiranand Vatsyayan ‘Agyeya’ changed into a multifaceted literary persona whose works encompassed poetry, fiction, grievance, and essays. His literary profession spanned numerous a long time and his writings left an enduring effect on Hindi literature. Read More Class 12 Summaries.

सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ Summary In Hindi

सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जीवन परिचय

करतारपुर के भणोत सारस्वत ब्राह्मण परिवार से सम्बन्ध रखने वाले सच्चिदानंद का जन्म 7 मार्च, सन् 1911 ई० को बिहार के जिला देवरिया के ‘कसया’ नामक स्थान पर हुआ। वहाँ इनके पिता हीरानन्द शास्त्री पुरातत्व विभाग में काम करते थे। पिता के साथ इन्होंने अनेक प्रदेशों का भ्रमण किया। इन्होंने सन् 1925 ई० में पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिक पास करके यहीं से सन् 1929 में बी० एससी० की परीक्षा पास की। एम० ए० अंग्रेज़ी में दाखिला लिया किन्तु स्वतन्त्रता युद्ध में कूद पड़ने के कारण पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और क्रान्तिकारी साथियों के साथ पकड़े गए।

इस अवधि में ये चार वर्ष तक जेल में भी रहे और यहीं से आपने अपना साहित्यिक जीवन आरम्भ किया। अपने जीवन में आपने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया और अनेक नौकरियाँ की और छोड़ी तथा देश-विदेश की कई यात्राएँ कीं।

सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ के काव्य

इन्हें इनकी काव्यकृति ‘आंगन के पार. द्वार’ पर साहित्य अकादमी पुरस्कार, ‘कितनी नावों में कितनी बार’ भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार तथा इंटरनेशनल पोएट्री एवार्ड से सम्मानित किया गया था। 4 अप्रैल, सन् 1987 को अज्ञेय जी का निधन हो गया। इनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ, हरी घास पर क्षणभर, बाबरा अहेरी, पूर्वा इन्द्रधनुष रौंदे हुए तारसप्तक हैं। शेखर एक जीवनी तथा नदी के द्वीप उनके प्रमुख उपन्यास हैं।

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