श्री गुरु अर्जुन देव जी, सिख धर्म के पांचवें गुरु और पहले प्रतिपालक हुए थे। उन्होंने सिख समुदाय को धार्मिक और सामाजिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन किया और अर्थराजकता, समाज में सामाजिक असमानता के खिलाफ उठे। उनके द्वारा लिखी गई “आदि ग्रंथ” सिखों का महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है और उनकी महान धार्मिक और सामाजिक योगदान को माना जाता है। Read More Class 7 Hindi Summaries.
श्री गुरु अर्जुन देव जी Summary In Hindi
श्री गुरु अर्जुन देव जी पाठ का सार
‘श्री गुरु अर्जुन देव जी’ पाठ में ‘पंचम पातशाह जी’ के नाम से सिक्ख परंपरा में विख्यात श्री गुरु अर्जुन देव जी के जीवन चरित्र का वर्णन किया गया है। श्री गुरु अर्जुन देव जी का जन्म 15 अप्रैल, सन् 1563 को गोइंदवाल में हुआ था। आप के पिता श्री गुरु रामदास जी चौथे सिक्ख गुरु थे। आपकी माता जी का नाम बीबी भानी जी था। वे तीसरे सिख गुरु श्री गुरु अमरदास जी की सुपुत्री थी। इस प्रकार गुरु अमरदास जी श्री गुरु अर्जुन देव जी के नाना हुए। गुरु अर्जुन देव जी अपने माता-पिता की तीसरी सन्तान थे। सोलह वर्ष की आयु में गुरु अर्जुन देव जी का विवाह मउ गाँव के श्रीकृष्ण चन्द की बेटी गंगा जी के साथ हुआ था। आप सन् 1581 ई० में गुरुगद्दी पर बैठे और ‘पंचम पातशाह जी’ के नाम से विख्यात हुए।
श्री गुरु अर्जुन देव जी ने ‘दसवंध मर्यादा’ का आरम्भ किया। गुरु जी ने मुस्लिम फकीर साईं.मियां मीर जी को आमंत्रित करके श्री हरमन्दिर साहिब की नींव रखवाई थी। दरबार साहिब के नाम से प्रसिद्ध यह सिक्ख धर्म का महान् तीर्थ माना जाता है। मुग़ल सम्राट अकबर भी इसकी यात्रा करने आया था और उसने गुरु जी के दर्शन किये थे।
श्री गुरु अर्जुन देव जी गुरुद्वारे में आने वाले श्रद्धालुओं को स्वयं भोजन परोसा करते थे। वे थके-मांदे की सेवा करते थे। गुरु जी की सबसे बड़ी देन ‘श्री गुरु ग्रन्थ साहिब’ है। उन्होंने बाबा बुड्डा जी को दरबार साहिब में ग्रन्थी बनाकर ग्रन्थी परम्परा शुरू की थी। श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में गुरु जी के 22 सौ ‘श्लोक’ तथा ‘शबद’ हैं। अकबर की मृत्यु के बाद गुरु जी के विरोधियों ने मुग़ल सम्राट् जहाँगीर के कान भरे क्योंकि उन्होंने जहाँगीर के पुत्र खुसरो की मुसीबत में सहायता की थी। दीवान चन्दू शाह ने गुरु जी को कैद में डाल दिया था। वह उन्हें अनेक यातनाएँ देता था। वे 30 मई, सन् 1606 ई० को शहीद हो गए। गुरु जी का शहीदी दिवस हर साल संसार भर में मनाया जाता है और ‘पंचम पातशाह जी’ के नाम से उनको स्मरण किया जाता है।
Conclusion:
श्री गुरु अर्जुन देव जी के योगदान ने सिख धर्म को मानवता, न्याय, और समाजिक समरसता के माध्यम से सजीव किया। उनका धार्मिक और सामाजिक उपकार आज भी सिख समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है और उन्हें गुरु अर्जुन देव जी के प्रति आभार और समर्पण की याद किया जाता है।