अहसास Summary In Hindi

In summary, “Ahasaas” in English simply means “feeling” or “emotion,” and it represents the subjective and often complex inner experiences that shape human reactions and responses to the world around them. Read More Class 10 Hindi Summaries.

अहसास Summary In Hindi

अहसास लेखिका परिचय

जीवन परिचय-ऊषा० आर० शर्मा का जन्म 24 मार्च, सन् 1953 में मुंबई में हुआ था। इन्होंने भारत के विभिन्न राज्यों में अपने विद्यालय स्तर की शिक्षा प्राप्त की। पंजाब विश्वविद्यालय से दर्शन शास्त्र और लोक प्रशासन से एम० ए. की परीक्षा पास की। शिक्षा के प्रति इनका अत्यधिक लगाव था। इन्होंने शिक्षा विषय में स्नातक स्तर पर विशेष रूप से शिक्षा ग्रहण की। कई वर्षों तक इन्होंने भारतीय-प्रशासनिक सेवा (I.A.S.) की सदस्या के रूप में कार्य किया। इसके बाद वे शिक्षा और लेखन के क्षेत्र में निरंतर मार्गदर्शन का कार्य कर रही हैं। इनकी साहित्य और कला में गहरी रुचि थी। संगीत, नाटक तथा रंगमंच के कार्यक्रमों में भाग लेना इनकी इसी कला और प्रतिभा का साक्षात् उदाहरण है। पंजाब भाषा विभाग की ओर से इन्हें ज्ञानी संत सिंह पुरस्कार और सुदर्शन पुरस्कार दिए गए। इन्हें पंजाब साहित्य अकादमी के द्वारा ‘वीरेंद्र सारस्वत सम्मान’ प्रदान किया गया।

रचनाएँ-ऊषा आर० शर्मा बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं। इन्होंने विभिन्न विधाओं पर सफलतापूर्वक लेखनी चलायी है। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
एक वर्ग आकाश, पिघलती साँकलें, भोज पत्रों के बीच, दोस्ती हवाओं से, परिंदे धूप के, बूंद-बूंद अहसास, सूरज मेरा तुम्हारा और बीहड़ के फूल (सभी काव्य संग्रह) हाशिए पर बिंदु, क्यों न कहूँ आदि।
इनके कहानी-संग्रह, काव्य-संग्रह तथा कथा-संग्रह पर शोध कार्य का काम भी हो चुका है।

साहित्यिक विशेषताएँ-ऊषा आर० शर्मा जी ने गद्य एवं पद्य दोनों प्रकार की रचनाएँ लिखीं। ये लेखिका और कवयित्री के रूप में प्रतिष्ठित हुईं हैं। इनकी भाषा में तत्सम, तद्भव तथा विदेशी सभी प्रकार के शब्द मिल जाते हैं। उनकी शैली कवित्वपूर्ण, प्रेरणादायी एवं रोचक है। वे कम-से-कम शब्दों में छोटे-छोटे वाक्यों के माध्यम से अपनी बात कहने में सिद्धहस्त हैं।

अहसास कहानी का सार

‘अहसास’ ऊषा० आर० शर्मा द्वारा रचित एक लघुकथा है। इस कहानी में लेखिका ने शारीरिक चुनौतियों का सामना करने वाले एक अपाहिज बच्चे की कहानी द्वारा लोगों में एक अहसास जगाने का प्रयास किया है। विद्यालय में परीक्षाएँ समाप्त हो चुकी थीं। इसके तुरन्त बाद एक शैक्षिक भ्रमण का कार्यक्रम आयोजित किया गया। भ्रमण को लेकर बच्चों में गहरी रुचि थी।

स्कूल बस में सभी के मन और तन हर्षित लग रहे थे। कोई अंताक्षरी खेल रहा था तो कोई मस्ती में झूम रहा था। लेकिन इन सबके बीच दिवाकर चुप-चाप, गुम-सुम सा बैठा हुआ था। वह बस की खिड़की से अंदर-बाहर देख रहा था। उसके पिता का ट्रांसफर हाल ही में हुआ था। पहले वह गाँव के स्कूल में पढ़ता था।

वह शारीरिक रूप से अपाहिज था। उसे वैशाखियों का सहारा लेकर चलना पड़ता था। उसकी अध्यापिका नीरू का व्यवहार तथा प्यार उसकी हिम्मत को बढ़ाता था। जल्दी ही रोज़ गार्डन आ गया। सभी छात्र-छात्राएँ खुशी से झूमते हुए पार्क में पहुँचे। पार्क में तरह-तरह के झूले थे। रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे। अध्यापिका नीरू बच्चों को रिफ्रेशमेंट बाँट रही थी। वहीं पास में दिवाकर एक बैंच पर बैठा हुआ था। वह अन्य छात्र-छात्राओं को झूला-झूलते हुए देख रहा था। उन्हें झूलते हुए देखकर उसे दो वर्ष पूर्व की घटना याद आ गई जब वह अपनी मौसी के घर दिल्ली गया था। उसने वहाँ फन सिटी में खूब मस्ती की थी।

किंतु पिछले साल एक दुर्घटना में उसे अपनी टाँग खोनी पड़ी थी। अब वह स्वयं को अधूरा समझने लगा था। तभी मैडम नीरू सभी बच्चों को साथ लेकर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम करने लगी। दिवाकर वहीं पास के बैंच पर बैठा वह सब देख रहा था। सहसा एक साँप झाड़ियों में से निकल कर बच्चों के सामने आ गया। अपने सामने साँप को देखकर सभी छात्र-छात्राएँ और अध्यापिका डर गईं। किंतु ऐसी कठिन परिस्थिति में दिवाकर ने बड़ी ही सूझ-बूझ से काम लेते हुए अपनी वैशाखी से उस साँप को उठाकर दूर फेंक दिया।

सभी की जान में जान आ गई। मैडम नीरू ने दिवाकर को शाबाशी देते हुए कहा-“दिवाकर। तुमने आज हम सबकी जान बचाई है। तुमने तो कमाल कर दिया। तुम वाकई बहादुर हो-असली हीरो।”

अगली सुबह विद्यालय की प्रार्थना सभा में प्राचार्य महोदय के द्वारा दिवाकर को उसकी सूझ-बूझ और वीरता के लिए सम्मानित किया गया। उस दिन दिवाकर को स्वयं में पूर्णता का अहसास हो रहा था।

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