“Maa ka kamra” khani is a Hindi phrase that translates to “Mother’s room” in English. It typically refers to a room in a house that belongs to or is primarily used by a mother. The room may serve various purposes, such as a place for relaxation, rest, or a sanctuary for the mother to perform her daily activities and chores. Read More Class 10 Hindi Summaries.
माँ का कमरा Summary In Hindi
माँ का कमरा लेखक परिचय
जीवन परिचय- श्री श्याम सुंदर अग्रवाल पंजाब के प्रतिष्ठित लघुकथाकार हैं। इनका जन्म पंजाब राज्य के कोटकपूरा में 8 फरवरी, सन् 1950 ई० में हुआ था। बी०ए० तक की शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् ये लोक निर्माण विभाग में कार्यरत रहे। सन् 1988 ई० में इन्होंने पंजाबी पत्रिका ‘पिन्नी’ का संपादन कार्य आरंभ किया। यह पत्रिका त्रैमासिक है। अपनी नौकरी के दौरान ही इन्होंने हिंदी और पंजाबी में लघुकथा लेखन का कार्य आरंभ किया था। ये बाल-साहित्य की रचना भी करते हैं।
रचनाएँ– श्री अग्रवाल के फुटकर लघु कथनाओं के अतिरिक्त दो लघुकथा संग्रह अब तक प्रकाशित हुए हैं। उनके नाम हैं-‘नंगे लोका दा फिक्र’, ‘मारुथल दे वासी’।
साहित्यिक विशेषताएँ– श्री अग्रवाल वर्तमान युग की उस त्रासदी को अभिव्यक्त करने वाले कहानीकार हैं जिन्होंने युग बोध की सार्थकता को व्यक्त करने में सफलता प्राप्त की है। हर वस्तु के दो पक्ष होते हैं-अच्छा और बुरा। बुरा डराता है तो अच्छा मन में सद्भावों को उत्पन्न करता है। लेखक सद्भावों को जगाने में सक्षम है। वह दूर की गोटियां न उठा कर निकट से ही विषय को उठाते हैं। लेखक की भाषा सरल और सहज है। उसमें स्वाभाविकता है। गतिशीलता उसमें विद्यमान है।
माँ का कमरा कहानी का सार
बसंती अपने छोटे-से पुश्तैनी मकान में अकेली रहती थी। उसका पुत्र दूर शहर में नौकरी करता था। उसकी तरक्की हो गई थी। उसने अपनी माँ को शहर में आकर उसके साथ रहने के लिए पत्र लिखा। जब उसकी पड़ोसन को पता लगा तो उसने सलाह दी कि वह ऐसा बिल्कुल न करे। शहरों में प्राय: बहू-बेटे अपने बुजुर्ग माँ-बाप से नौकरों वाले काम कराने के लिए ही उन्हें अपने पास बुलाते हैं। वहाँ जाकर रहना तो कुत्तों से भी बुरी हालत में रहने के बराबर होता है। माँ चिंता में डूबी हुई थी।
उसका पुत्र अपनी कार में उसे लेने आ गया था। ‘जो होगा देखा जायेगा’ – सोचकर माँ पुत्र के साथ चली गई। लंबे सफर के बाद जब माँ वहाँ पहुँची तो उसने देखा कि घर बहुत बड़ा था। तीन कमरों में डबल बैड, एक बढ़िया सजा हुआ कमरा और पीछे नौकरों के कमरे। नौकर एक कमरे में उस का समान रख गया। घर में न तो दोनों बच्चे थे और न बहू। शाम को उसका बेटा वापस घर आया तो माँ ने उससे कहा कि उस का सामान भी उसके कमरे में रखवा देता। बेटे ने बताया कि उसका सामान उसी के कमरे में ही तो था। माँ के लिए ऐसा सुनना हैरान कर गया था। उसने झट उसे गले लगा लिया। खुशी से उसकी आँखें भर आयी थीं।
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